रायपुर : इंसान के ग्रह और नक्षत्र उसका भविष्य तय करते हैं.ज्योतिष शास्त्र में ये विदित है कि जिसने भी ग्रह नक्षत्र की अनदेखी की उसे उसका परिणाम भुगतना पड़ा.कई बार इंसान काफी मेहनत करता है.लेकिन उसे उसका फल नहीं मिल पाता.आज हम आपको बताएंगे ऐसे कौन से कारण हैं जिसके कारण कोई काफी मेहनत करने के बाद भी सफल नहीं हो पाता.जबकि कोई थोड़ी सी मेहनत में ही अपार सफलता प्राप्त करता है.
उच्च ग्रह से ज्यादा नीच ग्रह देते हैं फल : ज्योतिष के मुताबिक कलयुग में उच्च के ग्रह अपना उतना फल नहीं दे पाते जितना नीच के ग्रह देते हैं. यदि नीच ग्रह का नीच भंग राजयोग बन गया है, तो वह उच्च ग्रह की अपेक्षा अधिक शुभ फल देता है. उसमें यह भी पाया गया है यदि वह नीच भंग राजयोग वाला ग्रह शुभ ग्रह है, जैसे गुरु, शुक्र, बुध बली चंद्रमा तो वह उतना अच्छा फल नहीं दे पाता. लेकिन यदि शनि राहु मंगल जैसे ग्रह अगर नीचभंग योग बनाते हैं तो उनका फल बहुत अधिक मात्रा में शुभ फल प्राप्त होता है. यदि जो ग्रह नीच का है उसका स्वामी और वह ग्रह जिस राशि में उच्च का होता है, उसका स्वामी दोनों परस्पर केंद्र में हो तो नीच भंग राजयोग होता है.
ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "जो ग्रह नीच का है वह यदि लग्न या चंद्र से केंद्र में स्थित हो अर्थात पहला, चौथा, सातवां और दशम भाव में हो तो ऐसी स्थिति में भी नीचभंग योग माना जाता है. ऐसे में शुभ ग्रह उतना प्रभाव नहीं दे पाते. वहीं पापी और क्रूर ग्रह बहुत ज्यादा शुभ प्रभाव देते हैं. इसका कारण यही है कि यह कलयुग है. यहां सीधा सरल सत्य मार्ग पर चलना बहुत कठिन होता है. अत्यंत संघर्ष करना पड़ता है.
'' लेकिन यदि व्यक्ति, कुटिल, कपटी और दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो वह अपना प्रभाव बढ़ा लेता है. ऐसी स्थिति में यदि क्रूर और पापी ग्रह हैं तो उनका नीच भंग राजयोग ज्यादा फलित होता है. जितना शुभ ग्रहों का नहीं होता." डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर, वास्तुविद्
किस राशि का नीच ग्रह सबसे फलकारी :सूर्य तुला राशि में, चंद्रमा वृश्चिक राशि में, मंगल कर्क राशि में , बुध मीन राशि में, गुरु मकर राशि में, शुक्र कन्या राशि में, शनि मेष राशि में, राहु वृश्चिक धनु राशि में, केतु वृषभ और मिथुन राशि में नीच का होता है. इन ग्रहों में भी जो क्रूर और पापी ग्रह हैं. वह नीच भंग होने पर अधिक और अच्छा फल देते हैं. एक बात और है कि कई बार ग्रह राजयोग का फल नहीं दे पाते उसका कारण है कि जातक अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करता. उनकी अवहेलना करता है. उनको कष्ट देता है. ऐसी स्थिति में उच्च ग्रहों के राजयोग पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. माता पिता की आत्मा का कष्ट जातक के कर्म फल को समाप्त कर देता है. उन्हें राजयोग का फल नहीं मिल पाता यह भी एक बहुत बड़ा कारण है.