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किसान आंदोलन की अनदेखी का नतीजा है चुनाव परिणाम, सबक ले केंद्र सरकार: राजाराम त्रिपाठी - ममता बनर्जी

कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे किसान संगठनों की नजर पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों के चुनाव नतीजों पर थी. इसे लेकर ETV भारत ने अखिल भारतीय किसान महासंघ (AIFA) के संयोजक डॉ. राजाराम त्रिपाठी से बात की.

impact of the election results on  farmers movement
राजाराम त्रिपाठी
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Published : May 3, 2021, 8:14 PM IST

Updated : May 3, 2021, 9:03 PM IST

रायपुर: पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों के चुनाव नतीजों पर देश के किसानों की नजर थी. इन नतीजों का किसान आंदोलन पर असर को लेकर ETV भारत ने अखिल भारतीय किसान महासंघ (AIFA) के संयोजक डॉ. राजाराम त्रिपाठी से बात की. उनसे जाना कि इन चुनाव परिणामों को किसान नेता किस तरह देखते हैं.

डॉ. राजाराम त्रिपाठी, संयोजक, अखिल भारतीय किसान महासंघ

सवाल: पांच राज्यों के चुनाव परिणामों को किसान किस तरह देखते हैं ?

जवाब: पांच राज्यों के चुनाव परिणामों, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों का किसान आंदोलन पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन इन चुनाव परिणामों ने ये साबित कर दिया है कि देश के मतदाताओं ने अन्य मुद्दों के साथ ही देश के किसानों के मुद्दों पर, किसानों के पक्ष में विशेष रूप से मुहर लगाई है. जनता ने ये साबित कर दिया है कि केंद्र सरकार का किसानों के जरूरी मुद्दों पर अड़ियल, अहंकारी और अधिनायकवादी रुख सरासर गलत है. देश की जनता को देश के अन्नदाता किसानों के साथ यह निर्मम व्यवहार कतई स्वीकार्य नहीं है.

सवाल: विपक्ष के तौर पर ममता बनर्जी की क्या भूमिका होगी ?

जवाब: नतीजों के बाद अब देश के विपक्ष में ममता बनर्जी की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण होगी. वर्तमान में बिखरा हुआ विपक्ष एकजुट और शक्तिशाली हो सकता है. ये विपक्ष अब किसानों के पक्ष में और मजबूती के साथ खड़ा हो पाएगा.

भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत पर हुए हमले की छत्तीसगढ़ किसान महासंघ ने की निंदा

सवाल: मौजूदा हालातों के लिए किसे दोषी मानते हैं ?

जवाब: देश की जनता कोरोना के मौजूदा हालातों के लिए और किसानों की नाराजगी के लिए पूरी तरह से मोदी सरकार को दोषी मान रही है. मोदी सरकार अपने आड़ियल और अहंकारी रुख को छोड़कर अपनी गलती मानते हुए, किसानों की मांगे जल्द से जल्द पूरी करे. जिससे कि वे देश के सबसे बड़े मतदाता वर्ग, यानी किसानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर सकते हैं.

सवाल: आगे की रणनीति क्या होगी ?

जवाब: देश के मतदाताओं में सबसे बड़ा हिस्सा यानी करीब 61 प्रतिशत किसान परिवारों का वर्ग है. ये किसान वर्ग अब अपनी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित कर, देश की सभी समस्याओं के बेहतर निराकरण के लिए आगामी चुनावों में बड़े कदम उठा सकते हैं. इसके लिए किसानों के सामने कई विकल्प खुले हुए हैं.

रायपुर: पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों के चुनाव नतीजों पर देश के किसानों की नजर थी. इन नतीजों का किसान आंदोलन पर असर को लेकर ETV भारत ने अखिल भारतीय किसान महासंघ (AIFA) के संयोजक डॉ. राजाराम त्रिपाठी से बात की. उनसे जाना कि इन चुनाव परिणामों को किसान नेता किस तरह देखते हैं.

डॉ. राजाराम त्रिपाठी, संयोजक, अखिल भारतीय किसान महासंघ

सवाल: पांच राज्यों के चुनाव परिणामों को किसान किस तरह देखते हैं ?

जवाब: पांच राज्यों के चुनाव परिणामों, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों का किसान आंदोलन पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन इन चुनाव परिणामों ने ये साबित कर दिया है कि देश के मतदाताओं ने अन्य मुद्दों के साथ ही देश के किसानों के मुद्दों पर, किसानों के पक्ष में विशेष रूप से मुहर लगाई है. जनता ने ये साबित कर दिया है कि केंद्र सरकार का किसानों के जरूरी मुद्दों पर अड़ियल, अहंकारी और अधिनायकवादी रुख सरासर गलत है. देश की जनता को देश के अन्नदाता किसानों के साथ यह निर्मम व्यवहार कतई स्वीकार्य नहीं है.

सवाल: विपक्ष के तौर पर ममता बनर्जी की क्या भूमिका होगी ?

जवाब: नतीजों के बाद अब देश के विपक्ष में ममता बनर्जी की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण होगी. वर्तमान में बिखरा हुआ विपक्ष एकजुट और शक्तिशाली हो सकता है. ये विपक्ष अब किसानों के पक्ष में और मजबूती के साथ खड़ा हो पाएगा.

भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत पर हुए हमले की छत्तीसगढ़ किसान महासंघ ने की निंदा

सवाल: मौजूदा हालातों के लिए किसे दोषी मानते हैं ?

जवाब: देश की जनता कोरोना के मौजूदा हालातों के लिए और किसानों की नाराजगी के लिए पूरी तरह से मोदी सरकार को दोषी मान रही है. मोदी सरकार अपने आड़ियल और अहंकारी रुख को छोड़कर अपनी गलती मानते हुए, किसानों की मांगे जल्द से जल्द पूरी करे. जिससे कि वे देश के सबसे बड़े मतदाता वर्ग, यानी किसानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर सकते हैं.

सवाल: आगे की रणनीति क्या होगी ?

जवाब: देश के मतदाताओं में सबसे बड़ा हिस्सा यानी करीब 61 प्रतिशत किसान परिवारों का वर्ग है. ये किसान वर्ग अब अपनी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित कर, देश की सभी समस्याओं के बेहतर निराकरण के लिए आगामी चुनावों में बड़े कदम उठा सकते हैं. इसके लिए किसानों के सामने कई विकल्प खुले हुए हैं.

Last Updated : May 3, 2021, 9:03 PM IST
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