रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े (corona infected patients in chhattisgarh) अब लगातार कम हो रहे हैं. लेकिन पोस्ट कोविड मरीज (post covid patient) को कई सारी बीमारियां अब परेशान कर रही है. जिसमें ब्लैक फंगस (black fungus) और डायबिटीज (diabetes) के मरीज ज्यादा हैं. ऐसे में लोगों के दिमाग पर काफी असर पड़ रहा है. लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं. निगेटिव चीजों को लेकर लोग डिप्रेस्ड होते जा रहे हैं. जिससे लोगों का कॉन्फिडेंस लूज हो रहा है. ऐसे में कैसे अपने आप को शांत रखें और कैसे पॉजिटिव सोच बनाए रखें इसके लिए ETV भारत ने मनोचिकित्सक डॉ. सुरभि दुबे (Psychiatrist Dr. Surbhi Dubey) से बातचीत की.
सवाल: पिछले डेढ़ साल से भारत में लगातार नई-नई बीमारी देखने को मिल रही है. ऐसे में लोगों के दिमाग पर ये किस तरह प्रभाव डाल रहा है ?
जवाब: ब्लैक फंगस (black fungus) इतनी कॉमन बीमारी नहीं है. जितना हम सोच रहे हैं और हर किसी पेशेंट को हो रहा है, ऐसा भी नहीं है. कुछ ऐसे पेशेंट जिनको डायबिटीज है, जिनको बीमारियां पहले से हैं, जिनको कोरोना के दौरान एस्ट्रोराइड दिए गए हो, उनमें ये बीमारी देखने को मिल रही है. ऐसा भी नहीं है कि ये बीमारी सभी में देखने को मिल रही है. कुछ ही मरीजों में ब्लैक फंगस देखने को मिला है. इससे डरने की जरूरत नहीं है. आप खुद को थोड़ा बचाकर चलें. पब्लिक भी पहले के मुकाबले अब काफी सजग हो गई है. मास्क पहनकर ही लोग घर से बाहर निकल रहे हैं. लेकिन एक के बाद एक बीमारियां आने से लोग बहुत विजिलेंट हो गए हैं.
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सवाल: बुजुर्ग पहले ही दिमागी तौर पर थोड़े कमजोर होते हैं. ऐसे में लगातार निगेटिविटी से उन पर कितना तनाव बढ़ता है.
जवाब: बुजुर्गों की एक अलग दिनचर्या होती है. ऊपर से उन्हें बीमारियों की वजह से घर में बंद कर दिया गया है. जिससे वे कैद से हो गए हैं. कुछ ऐसे बुजुर्ग भी हैं जिनके बच्चे बाहर रहते हैं और वे अकेले हो गए हैं. दूसरों पर निर्भर हो गए हैं. ये तो अच्छा है कि लोग बहुत अच्छे हैं जो एक दूसरे की मदद करते हैं. बुजुर्ग पहले से ही थोड़ा अलग अलग रह रहे हैं. उनमें लगातार कोई न कोई बीमारियां अटैक कर रही हैं जो उनके मेंटल स्ट्रेन और स्ट्रेस का कारण बन रहा है. बुजुर्गों में नींद की कमी आना, जल्दी डर जाना या बुरे सपने आना ऐसे मामले भी देखने को मिल रहे हैं. इसके कारण बीपी और शुगर में बहुत जल्दी-जल्दी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. सांस लेने में तकलीफ हो रही है. बुजुर्ग हमारे पास कंप्लेन लेकर आते हैं कि हमने पल्स ऑक्सीमीटर लगाया है, वह थोड़ी थोड़ी देर में अलग रीडिंग बता रहा है. बुजुर्ग 1, 2 डिग्री और ऑक्सीजन में उतार चढ़ाव से भी घबरा जाते हैं.
सवाल: आसपास हो रही निगेटिविटी से बच्चों के दिमाग पर किस तरह का असर पड़ता है और बच्चे किस तरह उसको एडजस्ट करके चलें ?
जवाब: इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी (Indian Psychiatric Society) और छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने टेलीकंसल्टेशन (teleconsultation) की सर्विस शुरू की है. रायपुर मेडिकल कॉलेज (Raipur Medical College) में डेली टेलीकंसल्टेशन होता है. सुबह 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक आप उसमें लॉगिन कर सकते हैं. उसमे आपको मेंटल हेल्थ सर्विसेज और हर डिपार्टमेंट के सीनियर डॉक्टर मिलेंगे. जो आपकी मदद कर सकते हैं. अगर आपको इस तरह की कोई भी मानसिक अवसाद, घबराहट, बेचैनी, एंजाइटी के लक्षण नजर आ रहे हैं या थोड़ी सी आवाज में डर जाना, घबरा जाना, धड़कन तेज हो जाना, जैसे लक्षण अगर आपको दिख रहे हैं तो आप मनोरोग चिकित्सक से कॉन्टैक्ट कर सकते हैं. या ऑनलाइन काउंसलिंग की सुविधा जो हमारी छत्तीसगढ़ सरकार ने उपलब्ध करवाई है उसका लाभ ले सकते हैं.