रायपुर: लोक कला और रंग-बिरंगी संस्कृति को समेटे छत्तीसगढ़ की पहचान को पूरी दुनिया में स्थापित करने वाली डॉक्टर तीजन बाई की सहजता से हर कोई मोहित हो जाता है. इस पंडवानी कलाकार ने अपने दम पर पूरी दुनिया में छत्तीसगढ़ का डंका बजाया है. महाकाव्य महाभारत को अनूठे अंदाज में पेश करने वाली तीजन बाई ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस मीडिया के सामने पहली बार उनका एक प्रिय शिष्य भी सामने आया और हमसे अपनी बात कही.
सवाल- आपके ऊपर बॉलीवुड में फिल्म बनने जा रही है, कैसा लग रहा है ?
तीजन बाई- जी हां वे लोग लिखित में लेकर गए हैं. वे इस बारे में कुछ काम के लिए छत्तीसगढ़ भी आना चाहते हैं. फिल्म का काम काफी लंबा होता है.
सवाल- आप की भूमिका विद्या बालन निभाने जा रही हैं, क्या उन्होंने आपसे संपर्क किया है या आप उन्हें जानती हैं.
तीजन बाई- मेरी उनसे बात नहीं हुई है, अगर उन्हें टीवी में देखी होंगी तो याद नहीं है. हां हाल ही में उनकी एक तस्वीर मुझे दिखाई गई, जिसमें वो बहुत सुंदर लग रही हैं. उनका कास्ट्यूम बिल्कुल मेरे जैसा है.
सवाल- पंडवानी को लेकर आप पूरी दुनिया में गईं हैं. अब इसके विकास और संरक्षण के लिए क्या प्रयास होना चाहिए ?
तीजन बाई- अपने तरफ से प्रयास कर रही हूं. नए बच्चों को भी सीखा रहीं हूं. किसी को गाना तो किसी को तबला या दूसरे वाद्यों में ट्रेनिंग दी जा रही है. ईश्वर की इच्छा होगी तो इनमें से कोई आगे जाएगा.
इस तरह पंडवानी के लेकर तीजन बाई का प्रयास जारी है. तीजन बाई के प्रिय शिष्य सौरभ भी ने भी ETV भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि वो तीजनबाई के पोते हैं. साथ ही वे उनसे पंडवानी की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं.
सौरभ- बचपन से दादी को देखकर ही पंडवानी के प्रति लगाव हुआ. शुरुआत में दादी से बोलता था तो उन्हें मजाक लगता था. ऐसे साल भर बीत गया, लेकिन दादी नहीं मानती थीं. एक दिन मेरी जिद पर वो मान गईं. दादी ने एक प्रसंग याद कर सुनाने के लिए कहा, जिसे मैंने दादी को सुना दिया. इसके बाद दादी ने मुझे ट्रेनिंग देना शुरू किया.
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सवाल- आपको महाभारत का कौन सा पात्र और प्रसंग पसंद है ?
तीजन बाई- मुझे भीमसेन का पात्र बेहद पसंद है. इसके आलावा प्रसंग की बात कही जाए तो चीरहरण, सुभद्रा हरण, दुर्योधन वध जैसे प्रसंग पसंद है.
सवाल- समाज के लिए महाभारत से क्या संदेश देना चाहते हैं ?
तीजन बाई- महाभारत पांडव पुत्रों की गाथा है.. ये हमें समाज में एक जुट और सत्य के लिए जीने का संदेश देती है. इसे ही छत्तीसगढ़ी में पंडवानी कहते हैं. मेरी कोशिश जारी है कि बच्चों को अपना दे सखूं. अपने घर के बच्चे को सिखाने में झिझक रही थी. कि कहीं बीच में न छोड़ दे और लोग हंसे कि तीजन बाई के घर के बच्चे पंडवानी छोड़ रहे हैं लेकिन सौरभ ने अच्छी उम्मीद जताई है. वो अब बड़े मंचों में एकल प्रस्तुति दे रहा है.
सवाल- आपको दुनियाभर में कई सम्मान मिले हैं. पद्म सम्मान भी इनमें शामिल हैं, जब ये सम्मान आपको मिले तब इनके बारे में आपको पता था ?
तीजन बाई- नहीं मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं था. मैं ज्यादा टीवी नहीं देखती मुझे पता नहीं चल पाता. मीडिया वाले आते हैं तो पता चलता है.
सवाल- आपने पंडवानी की शुरुआत किस तरह की. किस तरह की चुनौती थी आपके सामने ?
तीजन बाई- मेरी शुरुआत कठिनाइयों से भरी हुई थी. आज 76 साल पहले लड़कियों के लिए कितना मौका रहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं. न तो लड़की अपनी इच्छा से खेल पाती थी न खुलकर हंस-बोल पाती थी. ग्रामीण इलाके में पंडवानी मुख्य रूप से पुरूष ही गाते थे. पंडवानी सीखने की कोशिश करना भी कठिन था. इस बात को लेकर मां काफी नाराज होती थी और कई बार जमकर पिटाई भी करती थीं. मेरे ऊपर क्या बीती है भगवान ही जानता था.
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सवाल - पंडवानी गायन सीखने के बाद मंच कैसे मिला?
तीजन बाई- सीखने के बाद गुरु परीक्षा दी, मेरे पास नारियल खरीदने के लिए भी पैसा नहीं था. गुरुजी ही नारियल लेकर आए. पूजा के दौरान ही मां पहुंच गईं और पीटने लगीं. इससे दुखी होकर घर छोड़कर दूसरे गांव चली गई. वहां से मेरा पंडवानी का सफर शुरू हुआ.
सवाल- जब आप पहली बार विदेश गईं तो कैसा अनुभव रहा ?
तीजनबाई- भारत सरकार के द्वारा पेरिस में भारत फेस्टिवल आयोजित किया गया था, वहां गई थी. गाइड की मदद से कोई परेशानी नहीं हुई. वहां लोग भले भाषा नहीं समझ पाते थे लेकिन हमारी कला को एन्जॉय करते थे. मैं जहां वृंदावन बिहारी लाल की जय बोलती थी तो फ्रांस में लोग समझ जाते थे कि कार्यक्रम खत्म हो गया.
सवाल- स्थानीय कलाकारों की शिकायत है कि उन्हें सरकार के स्तर पर मदद नहीं मिल रही है. ऐसे में आप क्या कहना चाहेंगी.
तीजन बाई- मैं सरकार को नहीं बोलना चाहती. मांग के लेने में और मेहनत से पाने में फर्क होता है. बाकी सरकार तो अपने तरफ से पर्याप्त व्यवस्था कर रही है. मुझे कोई शिकायत नहीं है.
सवाल- पहले लड़कियों के लिए घर से बाहर निकलना बड़ी चुनौती थी, अब बदलाव आया है ?
तीजन बाई- अब लड़कियां ज्यादा आगे आ रहीं हैं. अच्छा लगता है, हमें जिस परेशानी का सामना करना पड़ा वो अब की बच्चियों को नहीं झेलना पड़ता है. ये बहुत अच्छा लगता है. बच्चियों को माता-पिता का पूरा साथ मिले, यहीं मेरी इच्छा है.