रायपुर: सुंदरकांड का पाठ मंगलवार या शनिवार से शुरू करनाा चाहिए. इसे एक बार पढ़ने पर 2:30 से 3 घंटे लगते हैं. इन्हें सम्मान के साथ प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा करके चरणबद्ध रूप में भी पढ़ा जा सकता है. सुंदरकांड पढ़ने के पहले की रात में पूरे मनोयोग के साथ से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए. सात्विक भोजन, सात्विक विचार और पूर्ण मर्यादा में रहते हुए भगवान श्रीहनुमान जी को याद करते हुए मन और तन दोनों की सफाई करने के बाद ही सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए.
रोजाना थोड़ा थोड़ा करके भी कर सकते हैं पाठ: सुंदरकांड को रोजाना थोड़ा-थोड़ा भी पढ़ा जा सकता है. समय की उपलब्धता पर सुंदरकांड का जाप करने और पाठ करने के लिए अलग से समय निकाला जाना चाहिए. सुंदरकांड के पाठ मात्र से भगवान रामचंद्र जी और हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. राम भक्त, रामदूत और भक्तवत्सल श्री हनुमान जी सुंदरकांड के पाठ से बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और समस्त इच्छाओं, कामनाओं को पूरा करते हैं.
"सुंदरकांड की प्रत्येक चौपाई, प्रत्येक शब्द अपने आप में सिद्ध माना गया है. सुंदरकांड के नियमित पाठ से शत्रु बाधा दूर होती है. समस्त तरह के रोग, ऋण दूर होते हैं. जीवन में प्रकाश का फैलाव होता है. व्यक्तित्व का विकास होता है. सुंदरकांड के जाप से अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के साथ हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.": पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिषाचार्य
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सामने रखें हनुमान जी की फोटो या मूर्ति: सुंदरकांड का पाठ करते समय हनुमान जी की मूर्ति या फोटो सामने होनी चाहिए. उत्तर की ओर मुंह करके या पूर्व की ओर मुंह करके सुंदरकांड का पूरी श्रद्धा और सच्चे मनोभाव से पाठ करना चाहिए. इस मंत्र का जाप करते समय मन में पूरी तरह से सात्विकता के भाव होने चाहिए. मन पूरी तरह से सात्विक, निर्मल और शुद्ध होना चाहिए.
सुंदरकांड पाठ करने के नियम:
- मंगलवार या शनिवार के दिन से सुंदरकांड पाठ करें, साधक को विशेष कृपा मिलेगी.
- सुंदरकांड पढ़ने के दौरान हनुमानजी को सिंदूर जरूर भेंट करें.
- सुंदरकांड का पाठन शुरू करने से पहले गणेश वंदना करें.
- साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.
- पूजन स्थल पर बजरंगबली की मूर्ति के साथ सीता-राम की मूर्तियां या फोटो भी रखें.
- हनुमानजी की पूजा के दौरान उन्हें फल-फूल, मिठाई का भोग जरूर चढ़ाएं.