रायपुर: शनि देव की जयंती शोभन योग मुद्गर योग और वट सावित्री व्रत के साथ दर्श अमावस्या को 19 मई को भरणी और कृतिका नक्षत्र में मनाई जा रही है. शनि ग्रह न्यायधीश माने जाते हैं और दंडाधिकारी के रूप में भी जाने जाते हैं. इसके साथ ही शनि ग्रह व्यक्ति को पुरुषार्थ, मेहनत, संघर्ष और कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं. शनि देवता के न्यायधीश माने जाने की कहानी भी काफी रोचक हैं.
पौराणिक मान्यता के अनुसार शनि देवता ने सप्तर्षियों के बीच जाकर अपनी परीक्षा ली और खुद की आलोचना की. लेकिन सप्तर्षियों ने शनि ग्रह के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा वरन उन्हें न्यायाधिपति और दंडाधिकारी के रूप में रेखांकित किया. तभी से शनि देव प्रसन्न होकर सप्तऋषियों के नाम पर सप्तधान्य को चढ़ाए जाने पर अत्यंत प्रसन्न होने लगे. शनिदेव ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी जातक उन्हें सप्तधान्य से पूजित करेगा, उस जातक के लिए अनुकूल सिद्ध होंगे. अर्थात शनि ग्रह की कृपा सप्तधान्य चढ़ाने वाले जातकों पर विशेष रूप से रहेगी." -पंडित विनीत शर्मा
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क्या है सप्तधान्य: गेहूं, चावल, तिल, मूंग, उड़द, जौ और धान आदि 7 पदार्थ हैं. जिनको अर्पित करने पर शनि ग्रह बहुत प्रसन्न होते हैं. इन पदार्थों को साफ सुथरे ढंग से साफ रखकर नीले रंग की पोटली में या काले रंग के कपड़े से बांधकर दान करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. शनि अमावस्या के दिन शनि देवता को 7 धान्य चढ़ाए जाने पर उनका अनुग्रह और आशीर्वाद जल्दी मिलता है. इसके साथ ही शनि देवता को तिल का तेल, सरसों का तेल या अलसी के तेल से भी पूजन किए जाने पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं. शनिदेव को 4, 8, 12, 16, 24 32, 40 आदि आठ के गुणनफल में दीपक जलाए जाने पर शनि ग्रह का आशीर्वाद मिलता.
न्याय के देवता हैं शनि देव: शनि जयंती के शुभ दिन अपने अधीनस्थ कर्मचारियों, सहयोगियों और अपने अधीन काम करने वाले लोगों को सम्मान दिया जाना चाहिए. जिससे शनि देव की कृपा मिलती है. शनि जयंती के शुभ दिन दिव्यांग, निराश्रितों की सेवा करने पर निश्चित रूप से शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है. शनि जयंती के दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, शनि सहस्त्रनाम, सुंदरकांड, रामचरितमानस, राम रक्षा स्त्रोत आदि का जाप करने का भी विधान है. इसके साथ ही इन ग्रंथों को बांटने से भी शनि देव खुश होते हैं.