रायपुर: भूजल का अत्याधिक दोहन एक पर्यावरणीय चुनौती बनती जा रही है. भू-जल के अंधाधुंध दोहन से भूमिगत जल स्तर में तेजी से गिरावट के साथ कार्बन उत्सर्जन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. भू-जल सर्वेक्षण के हालिया आकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कई जिलों के कई ब्लॉक संवेदनशील क्षेत्र में शामिल हो चुके हैं.
25 मीटर तक जलस्तर में गिरावट
केन्द्रीय भू-जल बोर्ड की उत्तर-केन्द्रीय छत्तीसगढ़ शाखा, छत्तीसगढ़ ग्राउण्ड वाटर बोर्ड की एक अध्ययन के मुताबिक रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, राजनांदगांव, महासमुंद और दुर्ग में भू-जल स्तर में 4 से 7 मीटर तक की गिरावट आई है. ये रिपोर्ट छत्तीसगढ़ के 540 कुओं और बोरिंग से नमूने और डाटा के आधार पर बनाई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक 73 प्रतिशत से अधिक कुओं का जलस्तर 4 मीटर तक गिर चुका है, जबकि बिलासपुर, दुर्ग, जशपुर, कोरबा, राजनांदगांव और सरगुजा जिलों में कई भू-जल स्रोत पहले के मुकाबले 20 मीटर तक नीचे जा चुका है. छत्तीसगढ़ ग्राउण्ड वाटर बोर्ट के मुताबिक बिलासपुर और दुर्ग के कुछ विकासखण्ड ऐसे हैं. जहां जलस्तर में 25 मीटर तक की गिरावट आई है.
60 प्रतिशत से ज्यादा दोहन खतरनाक
भू-जलविदों के मुताबिक किसी भी स्थान पर ग्राउण्ड वाटर के स्टोरेज का अधिकतम 60 प्रतिशत पानी का ही दोहन करना सुरक्षित होता है. इससे ज्यादा पानी का निकाला जाना जल संकट की स्थिति पैदा कर सकता है. धरसींवा ब्लॉक के रायपुर में जमीन से पानी निकाले जाने का प्रतिशत 73.06 है. जो 70 प्रतिशत से ज्यादा है. वहीं राजनांदगांव के डोंगरगांव ब्लॉक में जमीन से पानी निकाले जाने का प्रतिशत 86.90 है. जो सुरक्षा स्तर से काफी ज्यादा है. राजनांदगांव में भी जमीन से पानी निकाले जाने का प्रतिशत 82.96 तक पहुंच चुका है. प्रदेश में दुर्ग का गुरूर क्षेत्र सबसे खतरनाक स्थिति में है. यहां जमीन से पानी निकाले जाने का प्रतिशत 102.44 रहा है. हालांकि बीते कुछ सालों में इसमें सुधार हुआ है, लेकिन स्थिति अब भी भयावह ही है. रायगढ़ के बरमकेला जमीन से पानी निकाले जाने का प्रतिशत 98.730 है. वहीं धमतरी ब्लॉक में जमीन से पानी निकाले जाने का प्रतिशत 90.08 प्रतिशत है.
ओवर एक्सप्लाइटेड जोन में प्रदेश का एक ब्लॉक
भू-जल दोहन के हिसाव से इसे चार जोन में बांटा गया है. पहला है सेफ जोन, जहां जमीन के भीतर जाने वाले पानी में से 60 प्रतिशत तक जल का दोहन किया जाता है. दूसरा सेमी क्रिटिकल जोन जहां 60 से 90 प्रतिशत जल का दोहन किया जाता है. तीसरा है क्रिटिकल जोन यहां 90 से 100 प्रतिशत पानी का दोहन होता है. चौथा है ओवर एस्सप्लाइटेड जोन. जहां जमीन में जाने वाले पानी में से 100 प्रतिशत से अधिक पानी का दोहन किया जाता है. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुरूर को इसी जोन में रखा गया है. जहां जमीन से पानी निकाले जाने का प्रतिशत 103.26 है. सर्वेक्षण के आधार पर छत्तीसगढ़ के 18 ब्लॉक को सेमी क्रिटिकल, दो ब्लॉक क्रिटिकल और एक ब्लॉक ओवर एक्सप्लाइटेड जोन में रखा गया है. छत्तीसगढ़ में कई बार ऐसी स्थिति बनती है कि बोर से पानी आना बंद हो जाता है. 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा सिंचाई के लिए अभी भी बारिश के पानी पर ही निर्भर है.
बताते हैं छत्तीसगढ़ में तालाबों की एक संस्कृति हुआ करती थी, गांव-गांव में तालाबों की एक श्रृंखला सालों से देखने को मिलती रही है, लेकिन शहरीकरण के चलते अब तालाबो का अस्तित्व लगभग खत्म होने लगा है.