रायपुर: अक्सर डॉक्टर, मरीजों को घास पर नंगे पैर चलने की सलाह देते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक घास पर खाली पैर चलना सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. रोजाना लोगों को घास पर 15 से 20 मिनट या उससे अधिक समय तक चलना चाहिए. खास कर खाली पैर. इसके पीछे की वजह है? इस बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत में डॉ. राकेश गुप्ता से बातचीत की.
खून का होता है संचार: डॉ गुप्ता ने बताया कि "सुबह सुबह खाली पैर घास पर या मिट्टी पर चलना प्रकृति का अनुभव लेने जैसे है. जब सुबह के वक्त आप घास पर चलते हो तो यह एक्यूप्रेशर थेरेपी होती है. पांव का स्पर्श जब खुली धरती से होता है तो खून का संचरण पांव से ऊपर की ओर होता है. इस तरह की क्रिया करने से एक्यूप्रेशर की थेरेपी होती है, जिससे बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिलता है. यह प्रकृति का नियम है. डॉक्टर बताते हैं कि आप सुबह उठकर कसरत करें, योगा करें या अन्य कोई फिजिकल एक्टिविटी करें... तो यह ब्लड प्रेशर डायबिटीज और अन्य हेल्थ डिजीज को दूर रखा जा सकता है. प्रकृति के निकट जाने में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. इस बात का ध्यान रखना है कि जब बहुत ज्यादा ठंड हो, उस वक्त नंगे पांव घास पर ना चले. सामान्य तापमान में आप यह थेरेपी करें."
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आंखों की बढ़ती है रौशनी: कुछ लोगों का यह मानना है कि जब आप खाली पैर घास पर सुबह-सुबह चलते हैं, तो आपके शरीर का पूरा वजन आपके अंगूठे में आता है. अंगूठा में दबाव बनने से आपके आंखों की रोशनी तेज होती है. कुछ लोग तो ऐसा भी मानते हैं कि आंखों को हरा रंग बेहद पसंद आता है. हरा रंग देखने से उन्हें शांति महसूस होती है. इस थेरेपी से पैरों के नीचे जो नाजुक कोशिकाएं होती है, वो मस्तिष्क को राहत पहुंचाती है.
तनाव से मिलती है मुक्ति: सुबह उठकर मुलायम घास पर चलने से ना केवल एक्यूप्रेशर थेरेपी होती है बल्कि सुबह की हल्की धूप, सुबह की हवा, सूरज की ना जलन देने वाली रोशनी इन सारी चीजों से आपके दिमाग पर भी प्रभाव पड़ता है और इस वजह से आप तनाव से दूर रहते हैं. यानी कि आपको किसी भी प्रकार का डिप्रेशन नहीं होता है. इसीलिए मानसिक विकारों के लिए अभी सुबह उठकर नंगे पांव घास पर चलना बेहद ही फायदेमंद होता है.