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Raipur News : यूट्यूब से पढ़कर नेत्रहीन देवश्री भोयर ने की पढ़ाई, पीएचडी डिग्री हासिल कर समाज को दिखाया आईना

छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का 26वां दीक्षांत समारोह कार्यक्रम संपन्न हुआ. कार्यक्रम में 136 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और 308 छात्रों को पीएचडी की डिग्री दी गई.जिसमें एक दृष्टिबाधित ने भी पीएचडी की डिग्री हासिल की है.

Visually impaired Devshree Bhoyar obtained PhD degree
यूट्यूब से पढ़कर नेत्रहीन देवश्री भोयर ने की पढ़ाई
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Published : May 24, 2023, 5:27 PM IST

यूट्यूब से पढ़कर नेत्रहीन देवश्री भोयर ने किया कमाल

रायपुर : 308 पीएचडी के विद्यार्थियों में एक छात्रा ऐसी थी जो सबसे अलग थी. शारीरिक कमजोरियों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने अपनी जिंदगी में सफलता की सीढ़ी चढ़ी. आखिरकार अपना पीएचडी पूरा कर पीएचडी की डिग्री हासिल की. हम बात करें हैं देवश्री भोयर की.जो बचपन से ही देख नहीं सकती है.बावजूद इसके उन्होंने अपनी कमजोरी को सफलता के आगे नहीं आने दिया.

कौन है देवश्री भोयर : देवश्री भोयर जन्म से नेत्रहीन है. इसके बावजूद देवश्री भोयर ने आर्ट्स के सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दुर्गा कॉलेज से पूरा किया. अब पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी पर पीएचडी की. देवश्री की निजी जिंदगी की बात की जाए तो घर में उनके माता-पिता और उनका एक भाई है. देवश्री वर्तमान में धमधा के शासकीय स्कूल में टीचर के पद पर नौकरी कर रही हैं. उनके पिता घर में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं.ईटीवी भारत ने देवश्री से इस मौके पर बात की.

सवाल - देव श्री आपने किस विषय पर पीएचडी की?
जवाब - भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान।

सवाल - आपका सफलता का ये सफर कितना कठिन रहा ?
जवाब - मैं अपने सफर को कठिन तो नहीं बोल सकती, जो भी मैंने किया बहुत अच्छे से किया है. मैं इसे अपनी कमजोरी भी नहीं कहूंगी. क्योंकि मेरे मां-बाप ने कभी इसे कमजोरी नहीं समझा. समाज में हालांकि अड़ोस पड़ोस वाले बातें करते थे कि तुम्हारी बेटी कुछ नहीं कर पाएगी. लेकिन मेरे मां-बाप ने कभी ऐसा नहीं सोचा.

सवाल - पढ़ाई में आपकी मदद कौन करता था?
जवाब - मेरे माता पिता मेरी मदद करते थे. यूट्यूब वगैरह से सर्च करके मैं पढ़ाई किया करती थी. फिफ्थ तक की पढ़ाई मैंने ब्लाइंड स्कूल से की है. उसके बाद मैंने सामान्य तरह से पढ़ाई की स्कूल से लेकर कॉलेज तक.

सवाल - दिव्यांग लोग अपनी कमियों को अपनी कमजोरी समझ कर आगे नहीं बढ़ पाते. ऐसे लोगों को आप क्या संदेश देना चाहती हैं?
जवाब - कितनी भी मुसीबत आए. कितनी भी चुनौतियां हैं. उसे दूर कर देना चाहिए. ये नहीं सोचना चाहिए कि मैं यह नहीं कर सकती हूं. हमेशा यह सोचना चाहिए कि मुझे यह करना है तो वह अपने आपने आप ही हो जाता है. मुझे इस बात का अफसोस है कि सीएम के हाथों मुझे डिग्री नहीं मिली. यह एक ऐसी डिग्री है जो बहुत कम लोगों को मिलती है.

सवाल - राजनीति में आपको काफी रुचि है तो किसी एक राजनीतिज्ञ के बारे में बताइए जिसे आप अपनी प्रेरणा मानते हैं?
जवाब - मेरे प्रेरणा स्रोत अटल बिहारी वाजपेयी हैं. मुझे यह अच्छा लगता है कि वह किसी पार्टी को नहीं देखते थे. एक प्रतिभावान व्यक्तित्व के धनी थे. किसी पार्टी विशेष को महत्व नहीं देते थे. वे सभी की मदद करते थे. जो देश हित में जरूरी था. वह वही करते थे.

यूट्यूब से पढ़कर नेत्रहीन देवश्री भोयर ने किया कमाल

रायपुर : 308 पीएचडी के विद्यार्थियों में एक छात्रा ऐसी थी जो सबसे अलग थी. शारीरिक कमजोरियों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने अपनी जिंदगी में सफलता की सीढ़ी चढ़ी. आखिरकार अपना पीएचडी पूरा कर पीएचडी की डिग्री हासिल की. हम बात करें हैं देवश्री भोयर की.जो बचपन से ही देख नहीं सकती है.बावजूद इसके उन्होंने अपनी कमजोरी को सफलता के आगे नहीं आने दिया.

कौन है देवश्री भोयर : देवश्री भोयर जन्म से नेत्रहीन है. इसके बावजूद देवश्री भोयर ने आर्ट्स के सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दुर्गा कॉलेज से पूरा किया. अब पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी पर पीएचडी की. देवश्री की निजी जिंदगी की बात की जाए तो घर में उनके माता-पिता और उनका एक भाई है. देवश्री वर्तमान में धमधा के शासकीय स्कूल में टीचर के पद पर नौकरी कर रही हैं. उनके पिता घर में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं.ईटीवी भारत ने देवश्री से इस मौके पर बात की.

सवाल - देव श्री आपने किस विषय पर पीएचडी की?
जवाब - भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान।

सवाल - आपका सफलता का ये सफर कितना कठिन रहा ?
जवाब - मैं अपने सफर को कठिन तो नहीं बोल सकती, जो भी मैंने किया बहुत अच्छे से किया है. मैं इसे अपनी कमजोरी भी नहीं कहूंगी. क्योंकि मेरे मां-बाप ने कभी इसे कमजोरी नहीं समझा. समाज में हालांकि अड़ोस पड़ोस वाले बातें करते थे कि तुम्हारी बेटी कुछ नहीं कर पाएगी. लेकिन मेरे मां-बाप ने कभी ऐसा नहीं सोचा.

सवाल - पढ़ाई में आपकी मदद कौन करता था?
जवाब - मेरे माता पिता मेरी मदद करते थे. यूट्यूब वगैरह से सर्च करके मैं पढ़ाई किया करती थी. फिफ्थ तक की पढ़ाई मैंने ब्लाइंड स्कूल से की है. उसके बाद मैंने सामान्य तरह से पढ़ाई की स्कूल से लेकर कॉलेज तक.

सवाल - दिव्यांग लोग अपनी कमियों को अपनी कमजोरी समझ कर आगे नहीं बढ़ पाते. ऐसे लोगों को आप क्या संदेश देना चाहती हैं?
जवाब - कितनी भी मुसीबत आए. कितनी भी चुनौतियां हैं. उसे दूर कर देना चाहिए. ये नहीं सोचना चाहिए कि मैं यह नहीं कर सकती हूं. हमेशा यह सोचना चाहिए कि मुझे यह करना है तो वह अपने आपने आप ही हो जाता है. मुझे इस बात का अफसोस है कि सीएम के हाथों मुझे डिग्री नहीं मिली. यह एक ऐसी डिग्री है जो बहुत कम लोगों को मिलती है.

सवाल - राजनीति में आपको काफी रुचि है तो किसी एक राजनीतिज्ञ के बारे में बताइए जिसे आप अपनी प्रेरणा मानते हैं?
जवाब - मेरे प्रेरणा स्रोत अटल बिहारी वाजपेयी हैं. मुझे यह अच्छा लगता है कि वह किसी पार्टी को नहीं देखते थे. एक प्रतिभावान व्यक्तित्व के धनी थे. किसी पार्टी विशेष को महत्व नहीं देते थे. वे सभी की मदद करते थे. जो देश हित में जरूरी था. वह वही करते थे.

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