रायपुर: कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने देश में रोज कोरोना से बिगड़ते हालात पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सार्वजनिक मंच पर चिल्ला-चिल्ला कर ये बोलते नहीं थकते थे कि उनके जैसे चौकीदार के रहते भारत की रखवाली करने में कोई चूक नहीं होगी. लेकिन उसी चौकीदार की चौकीदारी में रोज निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं और देश का चौकीदार कुछ नहीं कर पा रहा है. इसमें हर क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति चाहे पत्रकार हो समाजसेवी, डॉक्टर, आम नागरिक हर किसी की रोज मौत हो रही है. उन्होंने कहा ऐसी निकम्मी केंद्र सरकार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए.
भारत तब आत्मनिर्भर था कि अब है?
विकास उपाध्याय ने कहा, एक समय वो था जब यूपीए के शासनकाल में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुनामी संकट के वक्त कहा था. हमें लगता है कि हम खुद से ही हालात को संभाल लेंगे और विदेशी मदद लेने से इनकार कर दिया था. विदेशी मदद पर विकास उपाध्याय ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, भारत तब आत्मनिर्भर था कि अब है यह एक सोचने वाला विषय है.
विदेशों से मदद पहुंच रही है भारत
विकास उपाध्याय ने बताया पिछले पांच दिनों में विदेशों से 25 फ्लाइट में 300 टन कोविड आपातकालीन राहत सामग्री भारत पहुंची है. इन आपूर्ति में 5,500 ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स, 3,200 ऑक्सीजन सिलिंडर, 1,36,000 रेमेडिसिवर इंजेक्शन शामिल है.
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मोदी सरकार की लचर व्यवस्था की वजह से नहीं मिल पा रही मदद
विकास उपाध्याय ने कहा कि इन आपातकालीन मदद से लोगों की जान बचाई जा सकती है, लेकिन मोदी सरकार की लचर व्यवस्था की वजह से ये मदद कुछ किलोमीटर की दूरी तक भी नहीं पहुंच पा रही है. यहां तक कि मदद करने वाले अमेरिका को पूछना पड़ रहा है कि इन मदद का भारत ने क्या किया ?
मोदी सरकार विदेशों के सामने गिड़गिड़ाने को मजबूर
विकास उपाध्याय का देश में बदहाल परिस्थितियों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ तल्ख बयान आया है. उन्होंने कहा, भाजपा के 7 साल के शासनकाल ने देश को कई साल पीछे कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी देश के लोगों को पिछले 7 साल से भाषण सुनाने के अलावा और कुछ नहीं किया. प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लोगों को अपने बड़बोलेपन से मनोरंजन कराने, झूठ बोलने और कांग्रेस को 70 साल में कुछ नहीं किया पर केंद्रित कर टाइम पास करने में निकाल दिया और आत्मनिर्भर भारत की झूठी बुनियाद पर देश के लोगों को धोखे में रखा और इस बात का तो तब पता चला जब मोदी सरकार बदहाल हालात के लिए विदेशों के सामने गिड़गिड़ाने मजबूर हुई.
16 साल से नहीं ली जा रही थी विदेशी मदद
विकास उपाध्याय ने कहा, विदेशी मदद स्वीकार किए जाने पर 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का वह बयान याद किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने दिसंबर, 2004 में आई सुनामी के दौरान कहा था, "हमें लगता है कि हम खुद से ही हालात को संभाल लेंगे और लगेगा कि हमें मदद की जरूरत है तब मदद लेंगे. उन्होंने आगे कहा, भारत ने 1991 में उत्तरकाशी भूकंप, 1993 में लातूर भूकंप, 2001 में गुजरात भूकंप, 2000 में बंगाल चक्रवात और 2004 में बिहार बाढ़ के बाद किसी भी तरह की विदेशी मदद नहीं ली और यहीं नीति पिछले 16 सालों से चल रही थी और भारत ने उत्तराखंड में 2013 में आई बाढ़, 2005 में कश्मीर के भूकंप और 2014 में कश्मीर की बाढ़ के दौरान विदेशी मदद लेने से इनकार कर दिया था.