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Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत में इस खास विधि से करें पूजा

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Published : May 13, 2023, 7:11 PM IST

वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस बार 19 मई को वट सावित्री व्रत है. इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने के साथ-साथ सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का भी विधान है.

Vat Savitri Vrat
वट सावित्री व्रत
वट सावित्री व्रत में कैसे करें पूजा ?

रायपुर: वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए करती है. कहा जाता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा यमराज से लड़कर की थी. सावित्री के दृढ़ संकल्प और जिद्द के कारण यमराज को सत्यवान के प्राण वापस करने पड़े थे.

पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं करती हैं ये व्रत: वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं सावित्री और सत्यवान की कथा भी सुनती हैं. हजारों वर्षों से वट सावित्री का व्रत सुहागन महिलाएं करती आ रही है.

वट वृक्ष के नीचे होती है पूजा: वट सावित्री का व्रत शुक्रवार के दिन शनि अमावस्या और शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में मनाया जाएगा. इस दिन भरणी कृतिका नक्षत्र शोभन और मुद्गर योग का प्रभाव रहेगा. इस दौरान चंद्रमा मेष और वृषभ राशि में विद्यमान रहेंगे. वट सावित्री का व्रत सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है. इस वट वृक्ष के नीचे बैठकर सुंदर परिधानों में महिलाएं एकत्र होती हैं. इसके बाद वट सावित्री की कथा सुनती है.ये पूजा वट वृक्ष के नीचे होती है.

"वट सावित्री का व्रत शनि अमावस्या और शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में मनाया जाएगा. इस दिन भरणी कृतिका नक्षत्र शोभन और मुद्गर योग का प्रभाव रहेगा. चंद्रमा मेष और वृषभ राशि में विद्यमान रहेंगे." -विनीत शर्मा, पंडित

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इस विधि से होती है पूजा: इस दिन वट वृक्ष के आसपास के जगह को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है. वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट देवता को रोली, कुमकुम, सिंदूर, चंदन और सुहाग की पेटारी अर्पित की जाती है. वट वृक्ष के चारों ओर मौली या फिर सफेद धागे से परिक्रमा की जाती है. यह परिक्रमा 11, 21, 51, 108 होनी चाहिए. इस दिन वटवृक्ष बहुत ही सुंदर सजाया जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. पूरे श्रृंगार के बाद ही महिलाएं पूजा पर बैठती हैं.

Vat Savitri fast worship method
वट सावित्री व्रत की पूजन विधि

वटवृक्ष में बसते हैं देवता: वटवृक्ष में देवताओं का वास होता है. कहते हैं कि वट वृक्ष की जड़ों में सत्यवान का वास है. वटवृक्ष भरपूर ऑक्सीजन प्रदान करता है. गर्मी के दिनों में वृक्ष के नीचे शीतल छाया का वास रहता है. वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और संतान की सलामती के लिए वट देवता से प्रार्थना करती है.इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

वट सावित्री व्रत में कैसे करें पूजा ?

रायपुर: वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए करती है. कहा जाता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा यमराज से लड़कर की थी. सावित्री के दृढ़ संकल्प और जिद्द के कारण यमराज को सत्यवान के प्राण वापस करने पड़े थे.

पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं करती हैं ये व्रत: वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं सावित्री और सत्यवान की कथा भी सुनती हैं. हजारों वर्षों से वट सावित्री का व्रत सुहागन महिलाएं करती आ रही है.

वट वृक्ष के नीचे होती है पूजा: वट सावित्री का व्रत शुक्रवार के दिन शनि अमावस्या और शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में मनाया जाएगा. इस दिन भरणी कृतिका नक्षत्र शोभन और मुद्गर योग का प्रभाव रहेगा. इस दौरान चंद्रमा मेष और वृषभ राशि में विद्यमान रहेंगे. वट सावित्री का व्रत सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है. इस वट वृक्ष के नीचे बैठकर सुंदर परिधानों में महिलाएं एकत्र होती हैं. इसके बाद वट सावित्री की कथा सुनती है.ये पूजा वट वृक्ष के नीचे होती है.

"वट सावित्री का व्रत शनि अमावस्या और शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में मनाया जाएगा. इस दिन भरणी कृतिका नक्षत्र शोभन और मुद्गर योग का प्रभाव रहेगा. चंद्रमा मेष और वृषभ राशि में विद्यमान रहेंगे." -विनीत शर्मा, पंडित

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इस विधि से होती है पूजा: इस दिन वट वृक्ष के आसपास के जगह को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है. वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट देवता को रोली, कुमकुम, सिंदूर, चंदन और सुहाग की पेटारी अर्पित की जाती है. वट वृक्ष के चारों ओर मौली या फिर सफेद धागे से परिक्रमा की जाती है. यह परिक्रमा 11, 21, 51, 108 होनी चाहिए. इस दिन वटवृक्ष बहुत ही सुंदर सजाया जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. पूरे श्रृंगार के बाद ही महिलाएं पूजा पर बैठती हैं.

Vat Savitri fast worship method
वट सावित्री व्रत की पूजन विधि

वटवृक्ष में बसते हैं देवता: वटवृक्ष में देवताओं का वास होता है. कहते हैं कि वट वृक्ष की जड़ों में सत्यवान का वास है. वटवृक्ष भरपूर ऑक्सीजन प्रदान करता है. गर्मी के दिनों में वृक्ष के नीचे शीतल छाया का वास रहता है. वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और संतान की सलामती के लिए वट देवता से प्रार्थना करती है.इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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