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Vaman Dwadashi 2023: वामन द्वादशी का क्या है महत्व, इस दिन ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा - जगत जननी भगवती महालक्ष्मी

Vaman Dwadashi 2023: सर्वार्थ सिद्धि योग में 30 जून को वामन द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा. इस पर्व में पेड़ पैधे लगाना बेहद ही शुभ माना गया है. आखिर इस दिन कैसे भगवान विष्णु को पूजा पाठ से आप खुश कर सकते हैं. इसे जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट

Vaman Dwadashi 2023
वामन द्वादशी 2023
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Published : Jun 26, 2023, 3:56 PM IST

वामन द्वादशी 2023 पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

रायपुर: आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वादशी के शुभ दिन यानी कि 30 जून को श्री वामन द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व विशाखा और अनुराधा नक्षत्र साध्य और मातंग योग और बालव करण के प्रभाव में शुक्रवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा. इस दिन लता पादपारोपण का भी शुभ मुहूर्त है. इसका मतलब है कि इस दिन पेड़ पौधे लगाना शुभ माना जाता है. वामन द्वादशी श्री हरि विष्णु के पंचम अवतार श्री वामन देवता की कहानी है. श्री वामन अवतार विष्णु जी के पंचम अवतार के रूप में माता अदिति के गर्भ से अवतरित हुए थे. राजा बलि के साथ भगवान श्री वामन देवता की कथा बड़ी प्रचलित है.


"प्रजा वत्सल, प्रजा पालक न्याय प्रिय राजा राजा बलि जब वामन देवता को 3 पग धरती को नापने का निवेदन करते हैं. तो वामन अवतार 2 पग में तीनों लोक को ही नाप लेते हैं. उसके बाद तीसरा चरण राजा बलि अपने सिर में रखने के लिए आग्रह करते हैं. इससे प्रसन्न होकर विष्णु अवतार वामन भगवान प्रसन्न होकर अपने मूल स्वरूप में आते हैं. राजा बलि को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. ईश्वर के द्वारा राजा बलि श्री हरि विष्णु से आग्रह और निवेदन करते हैं, कि वे हर समय राजा बलि के साथ रहे और पाताल लोक में सम्मान और यश के साथ निवास करें. श्री हरि विष्णु एक महान राजपाल होकर विनम्रता के साथ राजपाल के रूप में कार्य करते हैं. जगत जननी भगवती महालक्ष्मी के आग्रह पर राजा बलि श्री हरि विष्णु को माता को सुपुर्द कर देते हैं. तब से ही वामन द्वादशी का पर्व मनाया जाता है." - पंडित विनीत शर्मा


वामन द्वादशी के दिन इस मंत्र के करें भगवान विष्णु की पूजा : पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "वामन द्वादशी के पावन पर्व पर श्री हरि विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. आज के दिन वामन भगवान को विधि-विधान और श्रद्धा से यज्ञोपवीत अर्पित किया जाता है. यह यज्ञोपवीत सुनहरे पीत रंग अथवा स्वर्ण के रंग के होते हैं. श्री हरि विष्णु को गंगाजल से स्नान कराया जाता है. शुद्ध सुनहरे स्वर्णमई कपड़े में वामन अवतार को सम्मानपूर्वक प्रतिष्ठित किया जाता है. आज के शुभ दिन एकाशना फलाहारी निराहार और विभिन्न तरीके से व्रत उपवास करने का विधान है. आज के शुभ दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: और शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्ल,क्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्. इस महामंत्र का पाठ किया जाता है. श्री वामन भगवान को स्तुति स्मरण कर उपवास करना चाहिए. सारे दिन सात्विकता के साथ बिताना चाहिए."

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ऐसे करें पूजा: श्री वामन अवतार को पीले पुष्प, पीले पुष्पों की माला, हल्दी, पीला चंदन, गोपी चंदन आदि श्रद्धापूर्वक अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही विभिन्न तरह के मिष्ठान एवं ऋतु फल भगवान को अर्पित किए जाते हैं. यह पर्व दान का महापर्व है. उदारता पूर्वक यथाशक्ति तथा सामर्थ के अनुसार इस पर्व में गरीबों असहाय निराश्रित और दिव्यांगों को दान करना चाहिए. आज के शुभ दिन पुण्य कार्य करने से विशेष लाभ मिलते हैं. अनेक रूपों में श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है. वामन द्वादशी के शुभ दिन राम रक्षा स्त्रोत, आदित्य ह्रदय स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा, विष्णु जी की आरती पूरी श्रद्धा से गाई जाती है.

वामन द्वादशी 2023 पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

रायपुर: आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वादशी के शुभ दिन यानी कि 30 जून को श्री वामन द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व विशाखा और अनुराधा नक्षत्र साध्य और मातंग योग और बालव करण के प्रभाव में शुक्रवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा. इस दिन लता पादपारोपण का भी शुभ मुहूर्त है. इसका मतलब है कि इस दिन पेड़ पौधे लगाना शुभ माना जाता है. वामन द्वादशी श्री हरि विष्णु के पंचम अवतार श्री वामन देवता की कहानी है. श्री वामन अवतार विष्णु जी के पंचम अवतार के रूप में माता अदिति के गर्भ से अवतरित हुए थे. राजा बलि के साथ भगवान श्री वामन देवता की कथा बड़ी प्रचलित है.


"प्रजा वत्सल, प्रजा पालक न्याय प्रिय राजा राजा बलि जब वामन देवता को 3 पग धरती को नापने का निवेदन करते हैं. तो वामन अवतार 2 पग में तीनों लोक को ही नाप लेते हैं. उसके बाद तीसरा चरण राजा बलि अपने सिर में रखने के लिए आग्रह करते हैं. इससे प्रसन्न होकर विष्णु अवतार वामन भगवान प्रसन्न होकर अपने मूल स्वरूप में आते हैं. राजा बलि को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. ईश्वर के द्वारा राजा बलि श्री हरि विष्णु से आग्रह और निवेदन करते हैं, कि वे हर समय राजा बलि के साथ रहे और पाताल लोक में सम्मान और यश के साथ निवास करें. श्री हरि विष्णु एक महान राजपाल होकर विनम्रता के साथ राजपाल के रूप में कार्य करते हैं. जगत जननी भगवती महालक्ष्मी के आग्रह पर राजा बलि श्री हरि विष्णु को माता को सुपुर्द कर देते हैं. तब से ही वामन द्वादशी का पर्व मनाया जाता है." - पंडित विनीत शर्मा


वामन द्वादशी के दिन इस मंत्र के करें भगवान विष्णु की पूजा : पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "वामन द्वादशी के पावन पर्व पर श्री हरि विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. आज के दिन वामन भगवान को विधि-विधान और श्रद्धा से यज्ञोपवीत अर्पित किया जाता है. यह यज्ञोपवीत सुनहरे पीत रंग अथवा स्वर्ण के रंग के होते हैं. श्री हरि विष्णु को गंगाजल से स्नान कराया जाता है. शुद्ध सुनहरे स्वर्णमई कपड़े में वामन अवतार को सम्मानपूर्वक प्रतिष्ठित किया जाता है. आज के शुभ दिन एकाशना फलाहारी निराहार और विभिन्न तरीके से व्रत उपवास करने का विधान है. आज के शुभ दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: और शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्ल,क्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्. इस महामंत्र का पाठ किया जाता है. श्री वामन भगवान को स्तुति स्मरण कर उपवास करना चाहिए. सारे दिन सात्विकता के साथ बिताना चाहिए."

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ऐसे करें पूजा: श्री वामन अवतार को पीले पुष्प, पीले पुष्पों की माला, हल्दी, पीला चंदन, गोपी चंदन आदि श्रद्धापूर्वक अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही विभिन्न तरह के मिष्ठान एवं ऋतु फल भगवान को अर्पित किए जाते हैं. यह पर्व दान का महापर्व है. उदारता पूर्वक यथाशक्ति तथा सामर्थ के अनुसार इस पर्व में गरीबों असहाय निराश्रित और दिव्यांगों को दान करना चाहिए. आज के शुभ दिन पुण्य कार्य करने से विशेष लाभ मिलते हैं. अनेक रूपों में श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है. वामन द्वादशी के शुभ दिन राम रक्षा स्त्रोत, आदित्य ह्रदय स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा, विष्णु जी की आरती पूरी श्रद्धा से गाई जाती है.

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