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छत्तीसगढ़ में तुलसी की खेती बन सकती है धान का विकल्प, किसानों को होगा अच्छा मुनाफा

tulsi farming in chhattisgarh छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए खुशखबरी है. अब किसान तुलसी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. तुलसी की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ की जलवायु और मिट्टी को उपयोगी बताया है. आइए जानते हैं तुलसी की खेती कैसे की जा सकती है.

Basil cultivation can become an alternative to paddy
तुलसी की खेती बन सकती है धान का विकल्प
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Published : Nov 25, 2022, 5:41 PM IST

Updated : Nov 25, 2023, 6:19 PM IST

रायपुर: tulsi farming in chhattisgarh छत्तीसगढ़ के किसान धान के विकल्प के रूप में तुलसी की खेती भी आसानी से कर सकते हैं. तुलसी की खेती करने के लिए प्रदेश के किसानों को बीज की आवश्यकता होगी. जिसके लिए किसानों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से बीज भी प्रदान किया जा रहा है. तुलसी बहुवर्षीय फसलों की श्रेणी में आता है. प्रदेश के किसान तुलसी की खेती करते हैं. इसकी साल में 3 से 4 बार कटाई की जा सकती है. किसानों को ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके लिए नर्सरी तैयार करने के बाद इसकी रोपाई की जा सकती है.

तुलसी की खेती बन सकती है धान का विकल्प
औषधि पौधों के रुप में प्रसिद्ध है तुलसी: "तुलसी बीज प्रवर्धित पौधा है. किसानों को सर्वप्रथम नर्सरी तैयार करनी होती है. किसानों को अगर एक हेक्टेयर क्षेत्र में तुलसी की खेती करनी है, तो किसानों को लगभग 500 ग्राम तुलसी के बीज की आवश्यकता होती है. धान की नर्सरी की तरह ही तुलसी की नर्सरी तैयार की जा सकती है. प्रदेश के किसान नर्सरी तैयार करने के बाद तुलसी पौधा जब 25 से 30 दिन का हो जाता है. तो धान की तरह तुलसी की रोपाई कर दी जाती है. रोपाई करते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना होता है, कि कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए."औषधि पौधों के वैज्ञानिक यमन देवांगन ने बताया: "तुलसी की खेती कम पानी वाली जगह पर करनी चाहिए. जिस जगह पर प्रदेश की किसान धान की खेती करते हैं. अगर उसी जगह पर तुलसी की खेती करते हैंं. तो यह पौधे के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में किसान उपयुक्त जगह का चयन करके ही तुलसी की खेती प्रारंभ करें. तुलसी की खेती करते समय किसानों को यह भी ध्यान रखना होगा कि, पोषक तत्व किस मात्रा में मिलाया जाए. 70 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन 40 से 50 किलोग्राम फास्फोरस और 30 से 40 किलोग्राम पॉटेशियम की मात्रा 1 हेक्टेयर में होनी चाहिए."

किसान अचछा मुनाफा कर सकते हैं अर्जित: तुलसी एक प्रकार से औषधीय पौधा है. तुलसी के पत्ते से तेल निकाला जाता है. यही इसका महत्व होता है. तुलसी का अर्क और विभिन्न प्रकार के सुगंधित चीजों के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है. तुलसी बहुवर्षीय फसल है. जिसकी साल में 3 से 4 बार कटाई की जा सकती है. इसके कुछ उपयोगी किस्मे हैं, जिससे किसान अचछा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं. तुलसी पौधे के पत्तियों से तेल निकालने के लिए किसानों को आसवन यंत्र की भी जरूरत पड़ती है.

रायपुर: tulsi farming in chhattisgarh छत्तीसगढ़ के किसान धान के विकल्प के रूप में तुलसी की खेती भी आसानी से कर सकते हैं. तुलसी की खेती करने के लिए प्रदेश के किसानों को बीज की आवश्यकता होगी. जिसके लिए किसानों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से बीज भी प्रदान किया जा रहा है. तुलसी बहुवर्षीय फसलों की श्रेणी में आता है. प्रदेश के किसान तुलसी की खेती करते हैं. इसकी साल में 3 से 4 बार कटाई की जा सकती है. किसानों को ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके लिए नर्सरी तैयार करने के बाद इसकी रोपाई की जा सकती है.

तुलसी की खेती बन सकती है धान का विकल्प
औषधि पौधों के रुप में प्रसिद्ध है तुलसी: "तुलसी बीज प्रवर्धित पौधा है. किसानों को सर्वप्रथम नर्सरी तैयार करनी होती है. किसानों को अगर एक हेक्टेयर क्षेत्र में तुलसी की खेती करनी है, तो किसानों को लगभग 500 ग्राम तुलसी के बीज की आवश्यकता होती है. धान की नर्सरी की तरह ही तुलसी की नर्सरी तैयार की जा सकती है. प्रदेश के किसान नर्सरी तैयार करने के बाद तुलसी पौधा जब 25 से 30 दिन का हो जाता है. तो धान की तरह तुलसी की रोपाई कर दी जाती है. रोपाई करते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना होता है, कि कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए."औषधि पौधों के वैज्ञानिक यमन देवांगन ने बताया: "तुलसी की खेती कम पानी वाली जगह पर करनी चाहिए. जिस जगह पर प्रदेश की किसान धान की खेती करते हैं. अगर उसी जगह पर तुलसी की खेती करते हैंं. तो यह पौधे के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में किसान उपयुक्त जगह का चयन करके ही तुलसी की खेती प्रारंभ करें. तुलसी की खेती करते समय किसानों को यह भी ध्यान रखना होगा कि, पोषक तत्व किस मात्रा में मिलाया जाए. 70 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन 40 से 50 किलोग्राम फास्फोरस और 30 से 40 किलोग्राम पॉटेशियम की मात्रा 1 हेक्टेयर में होनी चाहिए."

किसान अचछा मुनाफा कर सकते हैं अर्जित: तुलसी एक प्रकार से औषधीय पौधा है. तुलसी के पत्ते से तेल निकाला जाता है. यही इसका महत्व होता है. तुलसी का अर्क और विभिन्न प्रकार के सुगंधित चीजों के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है. तुलसी बहुवर्षीय फसल है. जिसकी साल में 3 से 4 बार कटाई की जा सकती है. इसके कुछ उपयोगी किस्मे हैं, जिससे किसान अचछा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं. तुलसी पौधे के पत्तियों से तेल निकालने के लिए किसानों को आसवन यंत्र की भी जरूरत पड़ती है.

Last Updated : Nov 25, 2023, 6:19 PM IST
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