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एक ही छत के नीचे दिखेगी पूरे छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति जानिए कैसे ?

छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति देखने के लिए अब पर्यटकों को पूरा राज्य नहीं घूमना पड़ेगा. बल्कि नवा रायपुर में बनकर तैयार हो रहे ट्राइबल म्यूजियम में पूरे राज्य की आदिवासी संस्कृति की झलकियां देखने को (Tribal culture of entire Chhattisgarh will be seen under one roof) मिलेगी.

Construction of tribal museum in Nava Raipur
एक ही छत के नीचे दिखेगी पूरे छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति
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Published : May 19, 2022, 6:24 PM IST

Updated : May 20, 2022, 1:09 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ की संस्कृति सभ्यता सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी ज्यादा मशहूर है. हर साल हजारों लाखों पर्यटक आदिवासी वनवासियों की संस्कृति सभ्यता के बारे में जानने के लिए छत्तीसगढ़ आते हैं. छत्तीसगढ़ के आदिवासी वनवासियों की संस्कृति और खान पान के बारे में सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेश में भी रिसर्च चल रहा है. इसी कड़ी में नवा रायपुर स्थित ट्राईबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में राज्य का पहला आदिवासी संग्रहालय बनाया जा रहा है.


कितनी लागत से बन रहा म्यूजियम : नवा रायपुर में आदिवासी संग्रहालय का निर्माण (Construction of tribal museum in Nava Raipur) 5 हजार 365 स्क्वायर फीट में किया गया है. ट्राइबल म्यूजियम को बनाने के लिए 5 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है. आदिवासी संग्रहालय में कुल 15 गैलरी होगी. जिसमें राज्य में रहने वाले आदिवासी जनजातियों का रहन-सहन , पकवान , आभूषण , वाद्य यंत्र, बर्तन , शिकार में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार सहित कई चीजें प्रदर्शित की जाएगी. म्यूजियम की बिल्डिंग पूरी तरह बनकर तैयार है. वहीं म्यूजियम को इस साल के अंत तक शुरू करने की योजना है.

एक ही छत के नीचे दिखेगी पूरे छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति



म्यूजियम का आकर्षण क्या :
आदिम जाति अनुसंधान के उपसंचालक विजय सिंह कवर ने बताया " छत्तीसगढ़ में पहली बार आदिवासी संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। पूरे प्रदेश से आदिवासी वनवासियों की संस्कृति , सभ्यता , पकवान , आभूषण , वाद्य यंत्र सबको म्यूजियम में संग्रह कर रखा जाएगा। म्यूजियम में ग्राउंड फ्लोर में 6 गैलरी और 2 कॉरिडोर,फर्स्ट फ्लोर पर 6 गैलरी और 2 कॉरिडोर , सेकंड फ्लोर पर 3 गैलरी रहेंगे।"



किन समुदायों को किया गया शामिल : आदिम जाति अनुसंधान के उपसंचालक विजय सिंह कवर ने बताया "छत्तीसगढ़ राज्य की 42 अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों में से भारत सरकार द्वारा विशेष नियमों के आधार पर 5 समुदायों को विशेष पिछड़ा वर्ग जनजाति घोषित किया गया है." जिसमे ये प्रमुख हैं.

• बैगा

• कमार

• पहाड़ी कोरवा

• बिरहोर

• अबुझमाड़िया



म्यूजियम में कितनी गैलरी : म्यूजियम के 15 गैलरी में वेषभूषा , आभूषण , उपकरण ,कृषि उपकरण , कृषि पद्धति , शिकार उपकरण , धार्मिक आस्था , घोटुल , वाद्य यंत्र , जीवन संस्कार , पारंपरिक तकनीक , छायाचित्र प्रदर्शनी , जनजाति नायक एवं जनजाति साहित्य , आदिवासी कार्यशाला , ऑडियो वीडियो थिएटर रहेंगे. म्यूजियम के ऑडियो वीडियो थिएटर में आदिवासी वनवासियों से जुड़े रहन सहन और अन्य चीजों को वीडियो और ऑडियो के माध्यम से फिल्म में प्रदर्शित किया जाएगा.



किस आधार पर किया गया है वर्गीकरण : छत्तीसगढ़ की आदिवासी जनजातियों को भौगोलिक आधार पर वर्गीकृत किया गया है.

उत्तरी आदिवासी क्षेत्र : इस क्षेत्र में मुख्यता उरांव , कंवर , नगेसिया , कोरवा , भुईहर , भूमिया , धनवार , सोंता , बियार , मझवार , मांझी , खड़िया , बिरहोर , कोंध , बैगा आदि जनजाति निवास करते हैं.

मध्य आदिवासी क्षेत्र : इस क्षेत्र में गोंड , हलवा , कमार , भुजिया , कोंध , बैगा , सवरा , कंवर , पारधी , बिंझवार , धनवार , सोंता , भैना , कोल आदि जातियां निवासरत है.

दक्षिण आदिवासी क्षेत्र : इस क्षेत्र में हल्बा , गदबा , परजा , दोरला , भतरा , मुरिया , माड़िया , गोंड , धुरवा , अबुझमाड़िया आदि प्रमुखता से निवासरत है।

रायपुर : छत्तीसगढ़ की संस्कृति सभ्यता सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी ज्यादा मशहूर है. हर साल हजारों लाखों पर्यटक आदिवासी वनवासियों की संस्कृति सभ्यता के बारे में जानने के लिए छत्तीसगढ़ आते हैं. छत्तीसगढ़ के आदिवासी वनवासियों की संस्कृति और खान पान के बारे में सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेश में भी रिसर्च चल रहा है. इसी कड़ी में नवा रायपुर स्थित ट्राईबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में राज्य का पहला आदिवासी संग्रहालय बनाया जा रहा है.


कितनी लागत से बन रहा म्यूजियम : नवा रायपुर में आदिवासी संग्रहालय का निर्माण (Construction of tribal museum in Nava Raipur) 5 हजार 365 स्क्वायर फीट में किया गया है. ट्राइबल म्यूजियम को बनाने के लिए 5 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है. आदिवासी संग्रहालय में कुल 15 गैलरी होगी. जिसमें राज्य में रहने वाले आदिवासी जनजातियों का रहन-सहन , पकवान , आभूषण , वाद्य यंत्र, बर्तन , शिकार में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार सहित कई चीजें प्रदर्शित की जाएगी. म्यूजियम की बिल्डिंग पूरी तरह बनकर तैयार है. वहीं म्यूजियम को इस साल के अंत तक शुरू करने की योजना है.

एक ही छत के नीचे दिखेगी पूरे छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति



म्यूजियम का आकर्षण क्या :
आदिम जाति अनुसंधान के उपसंचालक विजय सिंह कवर ने बताया " छत्तीसगढ़ में पहली बार आदिवासी संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। पूरे प्रदेश से आदिवासी वनवासियों की संस्कृति , सभ्यता , पकवान , आभूषण , वाद्य यंत्र सबको म्यूजियम में संग्रह कर रखा जाएगा। म्यूजियम में ग्राउंड फ्लोर में 6 गैलरी और 2 कॉरिडोर,फर्स्ट फ्लोर पर 6 गैलरी और 2 कॉरिडोर , सेकंड फ्लोर पर 3 गैलरी रहेंगे।"



किन समुदायों को किया गया शामिल : आदिम जाति अनुसंधान के उपसंचालक विजय सिंह कवर ने बताया "छत्तीसगढ़ राज्य की 42 अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों में से भारत सरकार द्वारा विशेष नियमों के आधार पर 5 समुदायों को विशेष पिछड़ा वर्ग जनजाति घोषित किया गया है." जिसमे ये प्रमुख हैं.

• बैगा

• कमार

• पहाड़ी कोरवा

• बिरहोर

• अबुझमाड़िया



म्यूजियम में कितनी गैलरी : म्यूजियम के 15 गैलरी में वेषभूषा , आभूषण , उपकरण ,कृषि उपकरण , कृषि पद्धति , शिकार उपकरण , धार्मिक आस्था , घोटुल , वाद्य यंत्र , जीवन संस्कार , पारंपरिक तकनीक , छायाचित्र प्रदर्शनी , जनजाति नायक एवं जनजाति साहित्य , आदिवासी कार्यशाला , ऑडियो वीडियो थिएटर रहेंगे. म्यूजियम के ऑडियो वीडियो थिएटर में आदिवासी वनवासियों से जुड़े रहन सहन और अन्य चीजों को वीडियो और ऑडियो के माध्यम से फिल्म में प्रदर्शित किया जाएगा.



किस आधार पर किया गया है वर्गीकरण : छत्तीसगढ़ की आदिवासी जनजातियों को भौगोलिक आधार पर वर्गीकृत किया गया है.

उत्तरी आदिवासी क्षेत्र : इस क्षेत्र में मुख्यता उरांव , कंवर , नगेसिया , कोरवा , भुईहर , भूमिया , धनवार , सोंता , बियार , मझवार , मांझी , खड़िया , बिरहोर , कोंध , बैगा आदि जनजाति निवास करते हैं.

मध्य आदिवासी क्षेत्र : इस क्षेत्र में गोंड , हलवा , कमार , भुजिया , कोंध , बैगा , सवरा , कंवर , पारधी , बिंझवार , धनवार , सोंता , भैना , कोल आदि जातियां निवासरत है.

दक्षिण आदिवासी क्षेत्र : इस क्षेत्र में हल्बा , गदबा , परजा , दोरला , भतरा , मुरिया , माड़िया , गोंड , धुरवा , अबुझमाड़िया आदि प्रमुखता से निवासरत है।

Last Updated : May 20, 2022, 1:09 AM IST

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