रायपुर: दीपावली हिंदूओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. दीपावली में पटाखों की अपनी अलग ही कहानी है. इसके लिए बच्चों में सबसे ज्यादा क्रेज होता है.
मान्यता है कि जब श्री राम रावण का वध कर लंका पर विजय पाकर वापस अयोध्या लौटे थे. तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे और पटाखे फोड़कर खुशियां मनाई थी और अब तक ये परंपरा पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है.
'हरे पटाखे' के नाम से मिल रहे Ecofriendly पटाखे
इस साल सरकार की तरफ से पाल्युशन फ्री और ईको फ्रेंडली पटाखों पर जोर दिया जा रहा है, जिससे हवा में प्रदूषण कम फैले और दिवाली भी अच्छी तरह से मनाई जा सके. इसे देखते हुए बाजारों में प्रदूषण फ्री पटाखे लाए गए हैं. जिसे 'हरे पटाखे' के नाम से बेचा जा रहा है. इन पटाखों को बच्चे और बड़े दोनों ही काफी पसंद कर रहें हैं.
कारोबारियों को देर से मिली जगह
इस साल राजधानी मैं नगर निगम ने पटाखा कारोबारियों को पटाखा दुकान के लिए देरी से जगह उपलब्ध कराई. जिसके कारण पटाखा कारोबारी काफी परेशान थे. जो जगह उन्हें दुकान लगाने के लिए दी गई वहां सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी. वहां के गड्ढों में बारिश का पानी भी जमा हुआ था. जिससे दुकान लगाने में काफी परेशानी हो रही थी.
पटाखा कारोबारियों का कहना था कि, 'इस कारण से ग्राहकों की भी आवक कम होगी और हमें नुकसान सहना पड़ सकता है, लेकिन हम कोशिश करेंगे की ज्यादा से ज्यादा दुकान सज पाए और किसी को भी पटाखे खरीदने में परेशानी ना हो.
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10 रूपये से लेकर 10 हजार तक के पटाखे
इसके साथ ही बाजारों में रॉकेट, फुलझड़ी, अनार और चकरी की भी बड़ी डिमांड है. जिससे पटाखा कारोबारी भी काफी खुश हैं. वहीं पटाखा कारोबारियों ने बताया कि, उनकी दुकानों में 10 रूपये से लेकर 5 हजार रुपये और 10 हजार रूपये तक के पटाखे उपलब्ध हैं.
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प्रदूषण के प्रति जागरुकता
पिछले कुछ सालों से हवा में नाइट्रोजन और सल्फर की मात्रा बढ़ जाने से सरकार और कई संस्थाओं ने प्रदूषण कम फैलाने की बात कही थी. वहीं दिवाली में पटाखों को कम जलाने और दूसरी सावधानियां बरतने के लिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जा रही थी. क्योंकि दिवाली के मौके पर हवा में घुलने वाला प्रदूषण 10 गुना ज्यादा घातक होता है.