रायपुर : साल 2021 के खत्म होने में चंद दिन ही शेष रह गए हैं. वहीं वर्ष 2021 की बात की जाए तो यह साल काफी यादगार रहा. इस साल की कई ऐसी छोटी-बड़ी घटनाएं हैं, जो लोगों को हमेशा याद रहेंगी. राजनीतिक दृष्टिकोण से इस साल को देखा जाए तो साल 2021 में काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले हैं. कई ऐसी घटनाएं रहीं, जो लगातार चर्चा और सुर्खियों में बनी रहीं. आइए जानते हैं कि साल 2021 में छत्तीसगढ़ की ऐसी कौन-कौन सी राजनीतिक घटनाएं ((These Political Events of Chhattisgarh Remained Headlines in Year 2021) ) हुईं, जिन्होंने खूब सुर्खियां बटोरीं.
ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री : साल 2021 में राजनीतिक गलियारों में जो मामला लगातार सुर्खियों में बना रहा था, वह था ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Two And a Half Years) का. कयास लगाए जा रहे थे कि ढाई साल बाद प्रदेश का मुख्यमंत्री बदल जाएगा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) की जगह स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. यह सारा दारोमदार हाईकमान के निर्णय पर टिका हुआ था. इस ढाई-ढाई साल के फार्मूले को अमल में लाने के लिए जहां एक ओर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव लंबे समय तक दिल्ली में डटे रहे, वहीं मुख्यमंत्री भूपेश भी अपनी कुर्सी बचाने रायपुर से दिल्ली और दिल्ली से रायपुर का दौरा करते रहे. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के समर्थन में करीब 50 से 60 विधायकों ने भी दिल्ली में डेरा डाल रखा था. उसके बाद हाईकमान पर मुख्यमंत्री बदलने के निर्णय को छोड़ भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव वापस रायपुर लौट गए थे. हालांकि इसके बाद भी आयेदिन बघेल और सिंहदेव का दिल्ली दौरा होता रहा और उस दौरान भी यह सुगबुगाहट देखने को मिलती रही कि क्या अब हाईकमान मुख्यमंत्री बदल देगा, लेकिन ऐसा होता नहीं था.
बृहस्पति सिंह ने सिंहदेव से बताया था अपनी जान को खतरा
इस बीच एक बार तो भूपेश बघेल समर्थक विधायक बृहस्पति सिंह (MLA Brihaspati Singh) ने तो टीएस सिंहदेव से खुद की जान को खतरा तक बता दिया था. उन्होंने यह बयान बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिया था. इसके बाद जब विधानसभा में यह मामला उठा तो सिंहदेव विधानसभा की कार्रवाई छोड़ सदन से बाहर आ गए थे. हालांकि बाद में विधानसभा में बृहस्पति सिंह ने इस पूरे मामले पर खेद व्यक्त किया था, जिसके बाद यह मामला ठंडा पड़ गया था. इसके बाद भी गाहे-बगाहे मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा सुर्खियों में बनी हुई रहीं और अभ भी बनी हैं. हालांकि इस बीच जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के सभी कलेक्टर-एसपी सहित बड़े अधिकारियों को बुलाकर बैठक ली तो साफ हो गया कि अभी भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे और फिलहाल मुख्यमंत्री के बदलाव की गुंजाइश नहीं है.
लखीमपुर खीरी मामला : साल 2021 में लखीमपुर खीरी मामला (Lakhimpur Kheri Case) भी सुर्खियों में बना रहा. इस घटना के बाद जहां देश में राजनीति गरमाई रही, वहीं इसका असर छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिला. इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ में भी काफी बयानबाजी भी हुई. इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक के बाद एक कर अपनी गतिविधियों को लेकर चर्चा में बने रहे. पहले तो वे पीड़ित परिवार से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी रवाना हुए, लेकिन उन्हें लखनऊ एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया. इसके बाद बघेल ने एयरपोर्ट पर ही जमीन पर बैठकर धरना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं जमीन पर बैठे-बैठे ही उन्होंने ऑनलाइन अपना संबोधन भी दिया. इस बीच काफी देर तक शासन-प्रशासन के लोग बघेल को मनाने में जुटे रहे और बाद में अनुमति न मिलने के कारण बघेल लखनऊ से वापस रवाना हो गए. लेकिन इस बीच उनका यह पूरा घटनाक्रम पूरे देश में चर्चा में बना रहा.
छत्तीसगढ़ में भी उठी थी 50 लाख के मुआवजे की मांग
इसके बाद बघेल ने लखीमपुर घटना के मृतकों के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की. इस मामले को छत्तीसगढ़ भाजपा ने कैच कर लिया और इससे मिलती-जुलती छत्तीसगढ़ की घटनाओं पर भी 50 लाख मुआवजे की मांग कर दी. इस बीच कांग्रेस और बीजेपी में एक के बाद एक बयानबाजी का दौर चलता रहा. यह घटना भी सुर्खियों में बनी रही.
गांजा तस्कर द्वारा भीड़ पर गाड़ी चढ़ाना : जशपुर जिले के पत्थलगांव (Pathalgaon Immersion Procession Accident 2021) में करीब डेढ़ सौ लोग जुलूस की शक्ल में दुर्गा विसर्जन के लिए जा रहे थे. उसी दौरान एक तेज रफ्तार कार की टक्कर से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि 26 लोग घायल हो गए थे. कार में गाजा भरा हुआ था और तस्कर गांजा की तस्करी कर ओड़िशा से मध्य प्रदेश के सिंगरौली ले जा रहे थे. इस घटना को लखीमपुर की घटना से जोड़ते हुए भाजपा ने घटना में मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने सहित एसपी को निलंबित करने की मांग की थी. भाजपा का कहना था कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लखीमपुर मृतक को 50 लाख दे सकते हैं तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं. वहीं कांग्रेस का कहना था कि लखीमपुर की घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया, जबकि पत्थलगांव की घटना एक हादसा थी. इस मामले पर भी लगातार सियासत गरमाई रही.
थाने के भीतर पादरी की पिटाई : धर्मांतरण (Conversion in Chhattisgarh) के मुद्दे को लेकर पक्ष-विपक्ष हमेशा से आमने-सामने रहा, लेकिन यह मामला तब और गरमा गया जब रायपुर के पुरानी बस्ती थाने के भीतर पादरी की पिटाई कर दी गई. इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था. बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के बयान के बाद सीएम ने भी तर्क दिया था कि बीजेपी शासनकाल में प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्च बनाए गए हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि रमन सिंह के शासनकाल में धर्मांतरण सबसे ज्यादा हुआ है.
लोकसभा में उठा था छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा
इतना ही नहीं प्रदेश के बस्तर और सुकमा में आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण का मामला लोकसभा में भी उठ चुका है. बीजेपी के मोहन मंडावी ने यह मामला उठाते हुए केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध भी किया था. अभी भी यह मामला शांत नहीं हुआ है. आयेदिन धर्मांतरण को लेकर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने बना रहता है.
कवर्धा में झंडा उतारने का मामला : कवर्धा में 3 अक्टूबर 2021 को सांप्रदायिक हिंसा (Kawardha Violence Case) हुई थी. हिंसा के मामले में सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया था. कवर्धा में धार्मिक झंडा लगाने से शुरू हुए विवाद के बाद बड़ी संख्या में दो समुदाय के लोग सड़क पर लाठी-डंडे लेकर निकल आए और घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की थी. वहीं बस्तियों में बढ़ते हंगामे और हिंसा के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इसके बाद हिंदू संगठनों ने कवर्धा-जबलपुर नेशनल हाईवे पर चक्का जाम भी किया. फिर कवर्धा में कर्फ्यू लगा दिया गया. कर्फ्यू के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ. इस मामले को लेकर एक के बाद एक आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे. हालांकि अब यह मामला शांत हो गया है. बावजूद इसके रह-रहकर इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी अब भी जारी है.
कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलन : कृषि बिल के विरोध में पूरे देश के किसान आंदोलनरत रहे. इस बीच छत्तीसगढ़ में भी इस आंदोलन का असर देखने को मिला. प्रदेश में भी कृषि बिल के विरोध में किसानों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया. इसे कांग्रेस का समर्थन भी प्राप्त था. इस बीच किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत भी छत्तीसगढ़ पहुंचे. जहां राजिम में आयोजित किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने किसानों को 'तीन-टी' ट्रैक्टर, टैंक और ट्विटर का फॉर्मूला दिया. पहला- खेत में किसान का ट्रैक्टर, दूसरा-सेना में किसान के बेटे टैंक और तीसरा-ट्विटर पर किसान के हित की बात.
टिकैत ने कहा था-अब युवाओं को संभालना होगा मोर्चा
उन्होंने कहा था कि किसानों ने आंदोलन कर जमीन पर अपनी पकड़ और ताकत दिखा दी है. ऐसे में अब युवाओं को यह मोर्चा संभालना होगा. हालांकि लंबे समय तक चले इस आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने इस बिल को वापस लेने की घोषणा कर दी. इसके बाद टिकैत दोबारा 19 दिसंबर 2021 को रायपुर पहुंचे और आंदोलन की सफलता पर सभी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आंदोलन स्थगित होता है, खत्म नहीं होता. इस मामले में भी अभी आंदोलन स्थगित किया गया है, खत्म नहीं किया गया है. आगे की रूपरेखा सरकार के निर्णय के बाद तय की जाएगी.
सीएम बघेल के पिता पर एफआईआर : इस साल की सबसे चौंकाने वाली घटना रही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल के खिलाफ राजधानी रायपुर के डीडी नगर थाने में एफआईआर (FIR on Nandkumar Baghel) दर्ज होना. मुख्यमंत्री बघेल के पिता नंद कुमार ने लखनऊ में दिये अपने एक बयान में ब्राह्मणों को बाहरी (विदेशी) बताया था. इसके बाद ब्राह्मण समाज की शिकायत पर यह एफआईआर दर्ज की गई थी. नंद कुमार बघेल ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा था कि अब वोट हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगा. हम आंदोलन करेंगे, ब्राह्मणों को गंगा से वोल्गा (रूस की एक नदी) भेजेंगे. क्योंकि वह विदेशी हैं, जिस तरह से अंग्रेज आए और चले गए उसी तरह से यह ब्राह्मण या तो सुधर जाएं या फिर गंगा से वोल्गा जाने के लिए तैयार रहें.
सीएम बघेल के पिता पर एफआईआर को यूपी चुनाव से जोड़कर देखा गया
वहीं अपने पिता पर एफआईआर दर्ज होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान सामने आया था. उन्होंने कहा था कि एक पुत्र के रूप में मैं अपने पिताजी का सम्मान करता हूं, लेकिन एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी किसी भी ऐसी गलती को अनदेखा नहीं किया जा सकता, जो सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाली हो. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, फिर चाहे वह मुख्यमंत्री के पिता ही क्यों न हों. वहीं मुख्यमंत्री द्वारा की गई इस कार्रवाई को यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) से जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि उन्होंने यह बयान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिया था. इसलिए इस पर तत्काल कार्रवाई की गई. जबकि नंद कुमार बघेल इसके पूर्व भी धार्मिक मामलों को लेकर कुछ समुदाय और देवी-देवताओं पर टिप्पणी करते रहे हैं, लेकिन उस दौरान उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.