रायपुर : राजधानी के एम्स में लगातार कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है. वे जल्द ही स्वस्थ होकर वापस घर लौट रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच हम सबके मन में भी एक सवाल उठता है कि ऐसी परिस्थिति में किसी अन्य बीमारी के लिए किस हद तक अभी एम्स जाना सुरक्षित है. इन सवालों के जवाब के लिए ETV भारत की टीम एम्स अस्पताल पहुंची और एम्स के सुप्रिटेंडेंट डॉ. करण पिपरे से खास बातचीत की.
ETV भारत ने यह जानने की कोशिश की कि आखिरी डॉक्टर किस तरह कोरोना के मरीज के इलाज में इस्तेमाल साम्रगी को नस्ट कर रहे हैं. साथ ही अन्य मरीज की सुरक्षा के लिए कैसे इंतजाम किए गए हैं, ताकि कोरोना को फैलने से रोका जा सके.
एम्स सुप्रिटेंडेंट डॉ करण पिपरे से खास बातचीत
- एम्स सुप्रिटेंडेंट डॉ करण पिपरे ने बताया कि कोरोना वार्ड में इस्तेमाल होने वाले बैड सीट, मास्क मरीजों द्वारा पहने गए कपड़े मेडिकल से संबंधित दूसरे सामान, जिनमें दवाइयां इंजेक्शन शामिल हैं उन्हें बेहद ही सावधानीपूर्वक नष्ट किया जा रहा है. कोरोना एक संक्रामक बीमारी है इसलिए भी एम्स प्रबंधन इसको लेकर खास एहतियात बरत रहा है.
- डॉ. करण पिपरे ने यह भी जानकारी दी कि इन वेस्ट मटेरियल को नष्ट करने यानि खास मशीन में डालने से पहले एक कैमिकल्स में डुबोया जाता है, फिर इन्हें जला दिया जाता है’. उन्होंने यह भी बताया कि बायोमेडिकल वेस्टेज को संग्रहित करने के लिए एक अलग तरह के बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है.
- पिपरे ने बताया कि कई देशों में कोरोना के मेडिकल वेस्ट को लेकर बरती गई असावधानी जानलेवा साबित हुई है. इस नजरिए से देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में एम्स प्रबंधन ने शुरुआत से ही सतर्कता बरतते हुए काम किया है.
एम्स डॉक्टर्स की ओर से लगातार किए जा रहे प्रयास से लगातार कोरोना के मरीज रिकवर होकर घर लौट रहे हैं. अबतक कुल 33 मरीज में से 23 मरीज स्वस्थ होकर आम इंसान की तरह अपनी जिंदगी जी रहे हैं. वहीं 12 कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज जारी है.