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देवउठनी एकादशी पर रायपुर के बाजार से रौनक गायब, दुकानदार मायूस - रायपुर बाजार में सुस्ती

देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) पूरे प्रदेश में मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता तुलसी का विवाह कराया जाता है. पूजन सामग्री का बाजार सज गया है लेकिन बाजार से रौनक गायब दिख रही है. इसके पीछे कोरोना महामारी को वजह बताया जा रहा है.

raipur market
रायपुर बाजार से रौनक गायब
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Published : Nov 15, 2021, 4:26 PM IST

रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर समेत तमाम जगहों पर सोमवार को देवउठनी एकादशी का पर्व (Devuthani Ekadashi 2021) मनाया जा रहा है. आज शाम को भगवान विष्णु के साथ माता तुलसी का विवाह (Mata Tulsi Marriage with Lord Vishnu) कराया जाता है. देवउठनी एकादशी को लेकर पूजन सामग्री का बाजार भी सज गया है. लेकिन बाजार से रौनक गायब दिख रही है. जिसके पीछे कारण कोरोना संक्रमण को बताया जा रहा है. भगवान विष्णु और माता तुलसी की कृपा प्राप्त करने के लिए तुलसी विवाह (Mata Tulsi Marriage) का विशेष महत्व माना जाता है. आज के दिन पूजन सामग्री में गन्ना सिंघाड़ा चने की भाजी आंवला और शकरकंद का महत्व होता है. इसी से भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा की जाती है.

रायपुर बाजार से रौनक गायब

यह भी पढ़ें: रायगढ़ पहुंचा शहीद विप्लव त्रिपाठी का पार्थिव शरीर

पूजन सामग्री का बाजार सजा लेकिन रौनक गायब

रायपुर के चौक चौराहों पर देवउठनी एकादशी के लिए पूजन सामग्री का बाजार पूरी तरह से सज गया है लेकिन इस बाजार से ग्राहक गायब हैं. वहीं दुकानदारों का मानना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से बाजार में लोग नहीं के बराबर हैं. तुलसी विवाह में आंवला, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूली, सीताफल, अमरूद और दूसरी तरह के ऋतु फल से पूजन किया जाता है. भगवान विष्णु की प्रतिमा, तुलसी का पौधा, धूप, दीप, वस्त्र, फूल और सुहाग का सामान, लाल चुनरी साड़ी और हल्दी जैसी सामग्री भी उपयोग में लाई जाती है.


पूजा में प्रकृति से जुड़े सामग्री का करते हैं इस्तेमाल

देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के भी नाम से जाना जाता है. आज के दिन चौमासा समाप्त हो जाता है और देव जागरण के बाद शादियों का मुहूर्त भी शुरू होता है. देवउठनी एकादशी में पूजन सामग्री में छत्तीसगढ़ के प्रकृति से जुड़े सामग्री का ही इस्तेमाल करते हैं.

तुलसी विवाह की विधि

तुलसी विवाह शाम के समय करवाया जाता है. तुलसी के गमले पर गन्ने का मंडप बनाया जाता है. तुलसी पर लाल चुनरी और सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है. इसके बाद गमले में शालिग्राम अर्थात भगवान विष्णु को रखकर विवाह की रस्में शुरू की जाती है. विवाह के सारे नियमों का इस दौरान पालन किया जाना चाहिए. शालिग्राम और माता तुलसी पर हल्दी लगाने के बाद मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाकर पूजन किया जाात है.

रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर समेत तमाम जगहों पर सोमवार को देवउठनी एकादशी का पर्व (Devuthani Ekadashi 2021) मनाया जा रहा है. आज शाम को भगवान विष्णु के साथ माता तुलसी का विवाह (Mata Tulsi Marriage with Lord Vishnu) कराया जाता है. देवउठनी एकादशी को लेकर पूजन सामग्री का बाजार भी सज गया है. लेकिन बाजार से रौनक गायब दिख रही है. जिसके पीछे कारण कोरोना संक्रमण को बताया जा रहा है. भगवान विष्णु और माता तुलसी की कृपा प्राप्त करने के लिए तुलसी विवाह (Mata Tulsi Marriage) का विशेष महत्व माना जाता है. आज के दिन पूजन सामग्री में गन्ना सिंघाड़ा चने की भाजी आंवला और शकरकंद का महत्व होता है. इसी से भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा की जाती है.

रायपुर बाजार से रौनक गायब

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पूजन सामग्री का बाजार सजा लेकिन रौनक गायब

रायपुर के चौक चौराहों पर देवउठनी एकादशी के लिए पूजन सामग्री का बाजार पूरी तरह से सज गया है लेकिन इस बाजार से ग्राहक गायब हैं. वहीं दुकानदारों का मानना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से बाजार में लोग नहीं के बराबर हैं. तुलसी विवाह में आंवला, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूली, सीताफल, अमरूद और दूसरी तरह के ऋतु फल से पूजन किया जाता है. भगवान विष्णु की प्रतिमा, तुलसी का पौधा, धूप, दीप, वस्त्र, फूल और सुहाग का सामान, लाल चुनरी साड़ी और हल्दी जैसी सामग्री भी उपयोग में लाई जाती है.


पूजा में प्रकृति से जुड़े सामग्री का करते हैं इस्तेमाल

देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के भी नाम से जाना जाता है. आज के दिन चौमासा समाप्त हो जाता है और देव जागरण के बाद शादियों का मुहूर्त भी शुरू होता है. देवउठनी एकादशी में पूजन सामग्री में छत्तीसगढ़ के प्रकृति से जुड़े सामग्री का ही इस्तेमाल करते हैं.

तुलसी विवाह की विधि

तुलसी विवाह शाम के समय करवाया जाता है. तुलसी के गमले पर गन्ने का मंडप बनाया जाता है. तुलसी पर लाल चुनरी और सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है. इसके बाद गमले में शालिग्राम अर्थात भगवान विष्णु को रखकर विवाह की रस्में शुरू की जाती है. विवाह के सारे नियमों का इस दौरान पालन किया जाना चाहिए. शालिग्राम और माता तुलसी पर हल्दी लगाने के बाद मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाकर पूजन किया जाात है.

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