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Teachers union opposing teacher training: स्कूलों में खराब रिजल्ट पर टीचर्स की ट्रेनिंग स्कीम का शिक्षकों ने किया विरोध - स्कूलों में खराब रिजल्ट पर टीचर्स की ट्रेनिंग

स्कूलों में जल्द परीक्षाएं शुरू होने वाली है. ऐसे में सभी शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार जिन स्कूलों का परफॉर्मेंस खराब होगा, उन स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. तो आइये जानने की कोशिश करते हैं कि यह योजना क्या है, किस तरह यह काम करेगी, इसके प्रशिक्षण को लेकर शिक्षक संगठन क्या कहते है.new education policy

Teachers union opposing teacher training
स्कूलों में प्रशिक्षण पर शिक्षकों ने जताई आपत्ति
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Published : Feb 13, 2023, 4:07 PM IST

स्कूलों में प्रशिक्षण पर शिक्षकों ने जताई आपत्ति

रायपुर: खराब परफॉरमेंस वाले स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने और परफॉरमेंस में सुधार के उद्देश्य से केंद्र सरकार पूरे देश में एक नई योजना लेकर आई है. जिसके तहत खराब परफारमेंस वाले स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. यह योजना पूरे देश में चलाई जाएगी. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में भी इस योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा. लेकिन योजना शुरू होने के पहले ही शिक्षकों ने इस पर सवाल उठाया है. शिक्षक संघ की मानें तो स्कूलों के खराब परफारमेंस के लिए सिर्फ शिक्षक की जिम्मेदार नहीं हैं.

क्या कहना है शिक्षक: छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय महासचिव शेषनाथ पांडे का कहना है कि "शासकीय शिक्षकों को स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के अलावा भी कई तरह के काम दिए जाते हैं. लगभग 60 ऐसे काम हैं, जो उन्हें स्कूल में पढ़ाने के अलावा करने होते हैं. इतना ही नहीं प्रदेश के कई स्कूल में शिक्षक ही नही हैं. कई स्कूलों में महज 1 से 2 टीचर हैं, इस वजह से भी स्कूली शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में महज शिक्षकों को प्रशिक्षित करने से स्कूल शिक्षा बेहतर होगी और बच्चों की पढ़ाई सुधर जाएगी, यह कहना गलत होगा."



नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दिया जाएगा प्रशिक्षण: केंद्र सरकार के द्वारा शिक्षा पर फोकस किया जा रहा है. यही वजह है कि खराब परफॉर्मेंस वाले स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई गई है. यानी कि जिन स्कूलों में पढ़ाई अच्छे से नहीं हो रही है, बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है या फिर ध्यान दिए जाने के बावजूद उन स्कूलों का रिजल्ट अच्छा नहीं आ रहा है. स्कूलों का परफॉर्मेंस खराब है. ऐसे स्कूलों को चिन्हाकिंत कर उनके शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. जिससे उन स्कूलों का परफॉर्मेंस सुधारा जा सके.

यह भी पढ़ें: CBSE Exam Preparation Tips: इंग्लिश मीडियम के बच्चे ऐसे करें एग्जाम की तैयारी, आएंगे मनचाहे मार्क्स


बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री ने किया ऐलान: बजट भाषण के दौरान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत ऐसे सभी शिक्षकों को फिर से प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिनके स्कूलों का प्रदर्शन लर्निंग आउटकम में कमजोर रहेगा. शिक्षकों को यह प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के जरिये दिया जाएगा. जिन्हें सरकार ने वाइब्रेंट एक्सीलेंस संस्थान के रूप तैयार करने का ऐलान किया है. यह ऐलान हाल ही में बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया है.

हर जिले में खुलेगा विद्या समीक्षा केंद्र: निर्मला सीतारमण ने कहा था कि "शिक्षकों को यह प्रशिक्षण नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अपनाए जाने वाले सभी नवाचारों और मानकों के आधार पर दिया जाएगा." इतना ही नहीं, प्रत्येक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में विद्या समीक्षा केंद्र के नाम से एक मॉनिटरिंग सेंटर भी स्थापित होगा. ट्रायल के तौर पर एनसीईआरटी ने इसका मॉडल भी विकसित कर लिया है.

स्कूलों में प्रशिक्षण पर शिक्षकों ने जताई आपत्ति

रायपुर: खराब परफॉरमेंस वाले स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने और परफॉरमेंस में सुधार के उद्देश्य से केंद्र सरकार पूरे देश में एक नई योजना लेकर आई है. जिसके तहत खराब परफारमेंस वाले स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. यह योजना पूरे देश में चलाई जाएगी. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में भी इस योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा. लेकिन योजना शुरू होने के पहले ही शिक्षकों ने इस पर सवाल उठाया है. शिक्षक संघ की मानें तो स्कूलों के खराब परफारमेंस के लिए सिर्फ शिक्षक की जिम्मेदार नहीं हैं.

क्या कहना है शिक्षक: छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय महासचिव शेषनाथ पांडे का कहना है कि "शासकीय शिक्षकों को स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के अलावा भी कई तरह के काम दिए जाते हैं. लगभग 60 ऐसे काम हैं, जो उन्हें स्कूल में पढ़ाने के अलावा करने होते हैं. इतना ही नहीं प्रदेश के कई स्कूल में शिक्षक ही नही हैं. कई स्कूलों में महज 1 से 2 टीचर हैं, इस वजह से भी स्कूली शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में महज शिक्षकों को प्रशिक्षित करने से स्कूल शिक्षा बेहतर होगी और बच्चों की पढ़ाई सुधर जाएगी, यह कहना गलत होगा."



नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दिया जाएगा प्रशिक्षण: केंद्र सरकार के द्वारा शिक्षा पर फोकस किया जा रहा है. यही वजह है कि खराब परफॉर्मेंस वाले स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई गई है. यानी कि जिन स्कूलों में पढ़ाई अच्छे से नहीं हो रही है, बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है या फिर ध्यान दिए जाने के बावजूद उन स्कूलों का रिजल्ट अच्छा नहीं आ रहा है. स्कूलों का परफॉर्मेंस खराब है. ऐसे स्कूलों को चिन्हाकिंत कर उनके शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. जिससे उन स्कूलों का परफॉर्मेंस सुधारा जा सके.

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बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री ने किया ऐलान: बजट भाषण के दौरान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत ऐसे सभी शिक्षकों को फिर से प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिनके स्कूलों का प्रदर्शन लर्निंग आउटकम में कमजोर रहेगा. शिक्षकों को यह प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के जरिये दिया जाएगा. जिन्हें सरकार ने वाइब्रेंट एक्सीलेंस संस्थान के रूप तैयार करने का ऐलान किया है. यह ऐलान हाल ही में बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया है.

हर जिले में खुलेगा विद्या समीक्षा केंद्र: निर्मला सीतारमण ने कहा था कि "शिक्षकों को यह प्रशिक्षण नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अपनाए जाने वाले सभी नवाचारों और मानकों के आधार पर दिया जाएगा." इतना ही नहीं, प्रत्येक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में विद्या समीक्षा केंद्र के नाम से एक मॉनिटरिंग सेंटर भी स्थापित होगा. ट्रायल के तौर पर एनसीईआरटी ने इसका मॉडल भी विकसित कर लिया है.

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