रायपुर: जापानी बुखार यानि इन्सेफलाइटिस मच्छर के कारण फैलता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस बीमारी का पहला मामला साल 1871 में सामने आया था. मच्छरों से फैलने वाला ये वायरस डेंगू, पीला बुखार और पश्चिमी नील वायरस की एक प्रजाति (Symptoms of Japanese fever) है.
बच्चे और बूढ़ों को अपनी गिरफ्त में लेता है जापानी बुखार: इन्सेफ्लाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, जिसमें आपके दिमाग में सूजन आने लगती है. इसके लिए आपातकालीन इलाज की जरूरत होती है. इस बीमारी का शिकार कोई भी हो सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा इस बीमारी से खतरा बच्चों और बूढ़ों को होता है.
क्या है जापानी बुखार: जापानी इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है. ये मच्छर फ्लेविवायरस संक्रमित होते हैं. यह संक्रामक बुखार नहीं है.यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. विशेषज्ञों की मानें तो जापान इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल भारत में अधिक होता है. इस बुखार का पता मच्छर के काटने के 5 से 15 दिनों में दिखाई देता है.
जापानी बुखार के लक्षण: जापानी इन्सेफ्लाइटिस में बुखार होने पर बच्चे की सोचने, समझने और सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. तेज बुखार के साथ बार-बार उल्टी होती है. यह बिमारी अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में ज्यादा फैलता है और 1 से 14 साल की उम्र के बच्चों को ये जल्दी अपनी चपेट में लेता है.
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जापानी बुखार का उपचार: जापानी बुखार से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है, जबकि मरीज को ऑक्सीजन मास्क भी दिया जाता है. क्योंकि कई बार मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ होती है. जापानी बुखार का वैक्सीन उपलब्ध है. मरीज की हालत गंभीर होने पर टीका दिया जाता है. इस बुखार से बचने के लिए बरसात के दिनों में पूरे शरीर को ढककर रखें. जबकि रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
जापानी बुखार से बचाव के उपाय:
- नवजात बच्चे का समय से टीकाकरण कराएं.
- साफ सफाई का खास ख्याल रखें.
- गंदे पानी को जमा ना होने दें, साथ ही साफ और उबाल कर पानी पियें.
- बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खाना दें.
- हल्का बुखार होने पर डॉक्टर को दिखाएं.