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surya grahan 2023 : जानिए कब लगने वाला है सूर्य ग्रहण - amavasya in april 2023

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो चंद्रमा के सूर्य और पृथ्वी के बीच में आने से होती है. भारत में सूर्य ग्रहण को शुभ और अशुभ संकेतों के रूप में देखा जाता है. solar eclipse 2023

solar eclipse 2023 in india
सूर्य ग्रहण और भ्रांतियां
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Published : Apr 19, 2023, 12:54 PM IST

Updated : Apr 19, 2023, 7:03 PM IST

रायपुर: 20 अप्रैल 2023 को पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. यह ग्रहण इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. इस दिन चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देगा. प्रशांत महासागर के दूरस्थ द्वीपों पर भी ग्रहण दिखेगा. लेकिन किसी भी बड़े भू-भाग पर इसका असर नहीं दिखेगा.सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है. सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा की छाया रोकती है. जिससे पृथ्वी की सतह पर चंद्रमा की छाया पड़ती है. 20 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर लगेगा. यह ग्रहण दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा. सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी.

नंगी आंखों से ना देखें ग्रहण: सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही शुरु हो जाता है. इसलिए यदि सुबह 7 बजे से ग्रहण काल है तो पिछली शाम 7 बजे से सूतक काल शुरु होगा. यदि आप सूर्य ग्रहण देखने में रुचि रखते हैं, तो अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए उचित सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है. ग्रहण के समय सूर्य की किरणें तेज होती हैं. लिहाजा नंगी आंखों से ग्रहण देखने पर स्थायी नुकसान हो सकता है. ग्रहण को सुरक्षित रूप से देखने के लिए आपको अपने टेलीस्कोप या कैमरे पर विशेष ग्रहण चश्मा या सौर फिल्टर का उपयोग करना चाहिए.

कितने तरह का होता है ग्रहण: ग्रहण के दौरान बिना उचित सुरक्षा के कभी भी सीधे सूर्य की ओर नहीं देखना चाहिए. क्योंकि इससे आंखों को स्थायी क्षति हो सकती है.ग्रहण को सुरक्षित रूप से देखने के लिए विशेष ग्रहण वाले चश्मे या सौर फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है.आईए आपको बताते हैं कि कितने प्रकार के ग्रहण होते हैं.

ये भी पढ़ें- जानिए ग्रहण के दौरान तुलसी क्यों हो जाती है उपयोगी

पूर्ण सूर्य ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, सूर्य के बाहरी वातावरण का केवल एक धुंधला प्रभामंडल, जिसे कोरोना के रूप में जाना जाता है, चंद्रमा के चारों ओर दिखाई देता है. यह पृथ्वी की सतह पर एक काली छाया का मार्ग बनाता है. इस दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी पर नहीं पड़ती.

आंशिक सूर्य ग्रहण: जैसा नाम से ही जाहिर है कि चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढकता है. इसलिए इसे आंशिक कहा जाता है. ग्रहण के दौरान सूर्य का एक दृश्यमान वर्धमान आकार बन जाता है.

कुंडलाकार सूर्य ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से अपने सबसे दूर बिंदु पर होता है, सूर्य से छोटा दिखाई देता है, जिससे सूर्य चंद्रमा के चारों ओर एक दृश्य वलय बनाता है.

रायपुर: 20 अप्रैल 2023 को पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. यह ग्रहण इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. इस दिन चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देगा. प्रशांत महासागर के दूरस्थ द्वीपों पर भी ग्रहण दिखेगा. लेकिन किसी भी बड़े भू-भाग पर इसका असर नहीं दिखेगा.सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है. सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा की छाया रोकती है. जिससे पृथ्वी की सतह पर चंद्रमा की छाया पड़ती है. 20 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर लगेगा. यह ग्रहण दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा. सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी.

नंगी आंखों से ना देखें ग्रहण: सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही शुरु हो जाता है. इसलिए यदि सुबह 7 बजे से ग्रहण काल है तो पिछली शाम 7 बजे से सूतक काल शुरु होगा. यदि आप सूर्य ग्रहण देखने में रुचि रखते हैं, तो अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए उचित सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है. ग्रहण के समय सूर्य की किरणें तेज होती हैं. लिहाजा नंगी आंखों से ग्रहण देखने पर स्थायी नुकसान हो सकता है. ग्रहण को सुरक्षित रूप से देखने के लिए आपको अपने टेलीस्कोप या कैमरे पर विशेष ग्रहण चश्मा या सौर फिल्टर का उपयोग करना चाहिए.

कितने तरह का होता है ग्रहण: ग्रहण के दौरान बिना उचित सुरक्षा के कभी भी सीधे सूर्य की ओर नहीं देखना चाहिए. क्योंकि इससे आंखों को स्थायी क्षति हो सकती है.ग्रहण को सुरक्षित रूप से देखने के लिए विशेष ग्रहण वाले चश्मे या सौर फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है.आईए आपको बताते हैं कि कितने प्रकार के ग्रहण होते हैं.

ये भी पढ़ें- जानिए ग्रहण के दौरान तुलसी क्यों हो जाती है उपयोगी

पूर्ण सूर्य ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, सूर्य के बाहरी वातावरण का केवल एक धुंधला प्रभामंडल, जिसे कोरोना के रूप में जाना जाता है, चंद्रमा के चारों ओर दिखाई देता है. यह पृथ्वी की सतह पर एक काली छाया का मार्ग बनाता है. इस दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी पर नहीं पड़ती.

आंशिक सूर्य ग्रहण: जैसा नाम से ही जाहिर है कि चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढकता है. इसलिए इसे आंशिक कहा जाता है. ग्रहण के दौरान सूर्य का एक दृश्यमान वर्धमान आकार बन जाता है.

कुंडलाकार सूर्य ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से अपने सबसे दूर बिंदु पर होता है, सूर्य से छोटा दिखाई देता है, जिससे सूर्य चंद्रमा के चारों ओर एक दृश्य वलय बनाता है.

Last Updated : Apr 19, 2023, 7:03 PM IST
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