रायपुर: रायपुर विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी योजना कमल विहार को लेकर सालों से चल रही है अटकलों के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संबंधित अनुमति नहीं ले जाने को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. इस फैसले के बाद अब कमल विहार में डेवलपमेंट के काम में तेजी आ सकती है.
बता दें कि राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से राउंड एलॉटमेंट स्कीम कमल विहार को बड़े जोर शोर से लॉन्च किया था, लेकिन यहां की जमीनों के अधिग्रहण को लेकर विवाद के चलते यहां डेवलपमेंट सालों से नहीं हो पाया था. उम्मीद लगाई जा रही है कि अब इस फैसले के बाद कहीं न कहीं गवर्नमेंट को लेकर आरडीए को राहत मिली है और यहां पर काम में तेजी आने का अंदेशा भी लगाया जा रहा है.
कमल विहार में पूरी तरह बसाहट नहीं हो पाई है
करीब 10 सालों बाद भी कमल विहार में पूरी तरह बसाहट नहीं हो पाई है, इसके पीछे इस योजना को लेकर जुड़े विवाद ही बड़ा कारण रहे हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पर्यावरण संबंधित अनुमति नहीं ले जाने के विरुद्ध लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है, इसे लेकर अब कमल विहार में लंबे समय से रुके डेवलपमेंट के पूरा होने को लेकर उम्मीद जागी है. आरडीए के अधिकारियों की मानें तो कमल विहार एक विश्व स्तरीय नगर विकास योजना है, जो ‘‘लैंड पूलिंग‘‘ का एक बेहतरीन उदाहरण है.
तरह नगर विकास योजना बनाने के निर्देश
केन्द्र शासन ने भी कमल विहार की लैंड पूलिंग की तरह नगर विकास योजना बनाने के निर्देश सभी राज्यों को दिए थे. अब सुप्रीम कोर्ट से पर्यावरण से संबंधित अनुमति को लेकर तमाम याचिका खारिज होने के बाद कमल विहार के रुके हुए विकास कार्यों में काफी तेजी आएगी. लंबे समय से जो काम यहां पर नहीं हो पाए थे, उन तमाम कामों पर अब आरडीए को काम करने में आसानी होगी. आरडीए के अधिकारियों का दावा है कि कमल विहार देश की सबसे बड़ी नगर विकास योजनाओं में से एक है, जो जनभागीदारी के साथ लगभग 1570 एकड़ में विकसित की गई है. इसके विकसित होने से रायपुर शहर में अवैध रुप से हो रही प्लॉटिंग से प्रभावित लोगों को काफी राहत मिली है.
मालिकाना हक ना मिल पाने को लेकर लड़ाई
वहीं दूसरी ओर इस योजना में अपनी जमीन को जबरिया शामिल करने और जमीन का सालों बाद भी मालिकाना हक ना मिल पाने को लेकर लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं. रोहित शंकर शुक्ला के परिवार का कहना है कि हमें इस योजना से आपत्ति नहीं है, लेकिन इस कमल विहार योजना के चलते हमारी जो पुरखों की जमीन इस योजना में शामिल कर ली गई और बाद में इस जमीन को लेकर तमाम तरह की न्यायालयीन लड़ाई लड़ने के बाद भी अब तक हमारी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पा रहा है. इसे लेकर ही हमारी लड़ाई जारी है, इतने सालों से हमारी जमीन इस योजना में फंसी हुई है. इस जमीन का आज ना तो खेती किसानी में उपयोग कर पा रहे हैं और ना ही और अन्य कामों में. इन तमाम मसलों को लेकर आगे भी न्यायालयीन लड़ाई जारी रहेगी. हमें माननीय न्यायालय पर पूरा भरोसा है.
जताई थी आपत्ति
बता दें कि कमल विहार के योजना क्षेत्र में आने वाले आधिकांश भूमिस्वामियों ने अपने निजी जीवन को इस योजना में देने को लेकर शुरू से ही कई तरह की आपत्ति जताई थी. इसे लेकर कुछ लोगों ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है. न्यायमूर्ति रोहिन्टन फलीनरीमन और न्यायमूर्ति विनीत सरन की न्यायालय ने याचिकाकर्ता राजेन्द्र शंकर शुक्ला, रविशंकर शुक्ला और डॉ. रंजना पांडेय व्दारा प्रस्तुत याचिका को खारिज कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कमल विहार में विकास और निर्माण के कार्य में तेजी आएगी. साथ ही प्लॉट्स व फ्लैट्स की बुकिंग व आवंटन के संबंध में सभी कार्य पहले की तरह शुरू हो जाएंगे.