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Sunday Vrat: सूर्य को मजबूत करने के लिए रविवार व्रत कैसे करें, जानिए - Sunday Vrat

रविवार का दिन सूर्य की उपासना का दिन है. भगवान सूर्य की कृपा से ही मनुष्य के जीवन में राजयोग जैसा योग आता है. रविवार के दिन भगवान सूर्य का व्रत करने से पहले कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए.

sun god
सूर्य देवता
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Published : May 12, 2023, 5:44 PM IST

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: रविवार को सप्ताह का सबसे प्रभावशाली दिन माना जाता है. ये दिन भगवान सूर्य को समर्पित है. सूर्य देवता प्रत्यक्ष देव हैं. सूर्यदेव का सीधा प्रभाव मनुष्य के जीवन में पड़ता है. मनुष्य की आत्मा, आत्मज्ञान, चेतना, मन की स्थिति, मन की मजबूती और मनोदशा का सूर्य ग्रह प्रत्यक्ष ही प्रभावित करते हैं. इन्हें प्रत्यक्ष देवता माना गया है. सूर्य देव शक्ति, बल, साहस और तेज प्रदान करने वाले देवता हैं.

सूर्य के कारण बनता है राजयोग: सूर्य मजबूत हो तो व्यक्ति के जीवन में राजयोग बनता है. इसी तरह सूर्य जब कमजोर हों तो बहुत सारी तकलीफें होती है. सूर्य कमजोर होने पर कई सारी समस्याएं शुरू हो जाती है.

सुबह अपनी हथेली को देखना चाहिए: जीवन में आ रही समस्याओं से निवारण के लिए रविवार का व्रत करना बेहद लाभकारी होता है. रविवार का व्रत करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने हाथों की हथेलियों को मंत्रों के साथ देखना चाहिए. इसके बाद सूर्य नमस्कार, सूर्य ध्यान और सूर्य साधना करते हुए योगाभ्यास करना चाहिए.

"योग ध्यान से निवृत होने के पश्चात प्रातः काल में माता गायत्री के दर्शन कर गायत्री मंत्र का जाप अनुष्ठान यज्ञ एवं लेखन करना चाहिए. इसके पूर्व सूर्य देवता को तांबे के कलश से अर्घ्य दिया जाना चाहिए. सूर्य को जल अर्पण करते समय लाल पुष्प, लाल चंदन, गंगाजल आदि का मिश्रण शुद्ध भावना से मिलाना चाहिए."- विनीत शर्मा, पंडित

रविवार का व्रत ऐसे करें शुरू: रविवार के व्रत में तांबे के कलश में पानी भरकर भगवान आदित्य को अर्घ्य देना चाहिए. अर्घ्य के जल में लाल पुष्प, लाल चंदन, गंगाजल आदि का मिश्रण शुद्ध भावना से मिलाना चाहिए. इसके साथ ही सूर्य के द्वादश मंत्रों का जाप करना चाहिए. सूर्य दर्शन से शरीर की विकृतियां दूर होती है. शरीर और मन दोनों को बल मिलता है. हड्डी संबंधी अनेक तकलीफ सूर्य देवता के दर्शन से दूर होती चली जाती है.

इस विधि से करें सूर्य की पूजा: भगवान सूर्य की पूजा में लाल रंग का काफी महत्वपूर्ण होता है. लाल फूल, लाल चंदन, लाल सिंदूर, लाल रोली, लाल मिष्ठान आदि का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा गेहूं के आटे से बना हुआ प्रसाद भी भगवान को भोग लगाया जाता है. भगवान को लाल फल जैसे लाल आम, लाल सेब और विभिन्न लाल रंगों के फल अर्पित करना चाहिए. इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत, सूर्य चालीसा, सूर्य सहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम, राम रक्षा स्तोत्र, श्री राम चालीसा का पाठ करना चाहिए. भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी सूर्यवंशी थे. इस दिन राम मंदिर में जाकर दर्शन करने से लाभ मिलता है. सूर्य देव त्वचा संबंधी अनेक बीमारियों को दूर करते हैं.

Also Read: इन खबरों पर भी एक नजर...

तेज प्रदान करने वाला दिन है रविवार: रविवार को तेज प्रदान करने वाला दिन माना गया है. इस दिन एकाशना फलाहारी या फिर निराहार व्रत करना चाहिए. उपवास से शरीर की साधना होती है. मन पर नियंत्रण होता है. सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. ऐसे जातक जिन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल रही हो, उन्हें रविवार के दिन निश्चित तौर पर सूर्य देवता की उपासना, प्रार्थना और अनुष्ठान करना चाहिए. कम से कम 24 बार लाल अक्षर से श्री गायत्री मंत्र लिखना चाहिए. इसके साथ ही रविवार को किए जाने वाले उपवास में सूर्यास्त के पहले फलाहार कर लेना चाहिए.

सूयास्त के बाद भोजन करना निषेध: सूर्यास्त के बाद अन्न फल ग्रहण करना पूरी तरह निषेध होता है. इस दिन सूर्य की उपस्थिति में ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए. पितरों को स्मरण करना चाहिए. पितृदोष संबंधी पूजन करने के लिए रविवार का दिन शुभ माना जाता है.रविवार के शुभ दिन रक्तदान, धन दान, विद्या दान आदि करना चाहिए. इसके साथ ही माता-पिता की भरपूर सेवा करना चाहिए. माता-पिता की सेवा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. समस्त पाप कट जाते हैं. इस दिन गंगा सरोवर या त्रिवेणी में स्नान करने पर भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है. रविवार का शुभ दिन भगवान विष्णु जी को भी समर्पित माना जाता है. इतवार के दिन पीपल बरगद आदि वृक्षों की सेवा करनी चाहिए. इन वृक्षों के नीचे बैठकर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए. साथ ही घी के दीपक जलाना चाहिए.

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: रविवार को सप्ताह का सबसे प्रभावशाली दिन माना जाता है. ये दिन भगवान सूर्य को समर्पित है. सूर्य देवता प्रत्यक्ष देव हैं. सूर्यदेव का सीधा प्रभाव मनुष्य के जीवन में पड़ता है. मनुष्य की आत्मा, आत्मज्ञान, चेतना, मन की स्थिति, मन की मजबूती और मनोदशा का सूर्य ग्रह प्रत्यक्ष ही प्रभावित करते हैं. इन्हें प्रत्यक्ष देवता माना गया है. सूर्य देव शक्ति, बल, साहस और तेज प्रदान करने वाले देवता हैं.

सूर्य के कारण बनता है राजयोग: सूर्य मजबूत हो तो व्यक्ति के जीवन में राजयोग बनता है. इसी तरह सूर्य जब कमजोर हों तो बहुत सारी तकलीफें होती है. सूर्य कमजोर होने पर कई सारी समस्याएं शुरू हो जाती है.

सुबह अपनी हथेली को देखना चाहिए: जीवन में आ रही समस्याओं से निवारण के लिए रविवार का व्रत करना बेहद लाभकारी होता है. रविवार का व्रत करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने हाथों की हथेलियों को मंत्रों के साथ देखना चाहिए. इसके बाद सूर्य नमस्कार, सूर्य ध्यान और सूर्य साधना करते हुए योगाभ्यास करना चाहिए.

"योग ध्यान से निवृत होने के पश्चात प्रातः काल में माता गायत्री के दर्शन कर गायत्री मंत्र का जाप अनुष्ठान यज्ञ एवं लेखन करना चाहिए. इसके पूर्व सूर्य देवता को तांबे के कलश से अर्घ्य दिया जाना चाहिए. सूर्य को जल अर्पण करते समय लाल पुष्प, लाल चंदन, गंगाजल आदि का मिश्रण शुद्ध भावना से मिलाना चाहिए."- विनीत शर्मा, पंडित

रविवार का व्रत ऐसे करें शुरू: रविवार के व्रत में तांबे के कलश में पानी भरकर भगवान आदित्य को अर्घ्य देना चाहिए. अर्घ्य के जल में लाल पुष्प, लाल चंदन, गंगाजल आदि का मिश्रण शुद्ध भावना से मिलाना चाहिए. इसके साथ ही सूर्य के द्वादश मंत्रों का जाप करना चाहिए. सूर्य दर्शन से शरीर की विकृतियां दूर होती है. शरीर और मन दोनों को बल मिलता है. हड्डी संबंधी अनेक तकलीफ सूर्य देवता के दर्शन से दूर होती चली जाती है.

इस विधि से करें सूर्य की पूजा: भगवान सूर्य की पूजा में लाल रंग का काफी महत्वपूर्ण होता है. लाल फूल, लाल चंदन, लाल सिंदूर, लाल रोली, लाल मिष्ठान आदि का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा गेहूं के आटे से बना हुआ प्रसाद भी भगवान को भोग लगाया जाता है. भगवान को लाल फल जैसे लाल आम, लाल सेब और विभिन्न लाल रंगों के फल अर्पित करना चाहिए. इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत, सूर्य चालीसा, सूर्य सहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम, राम रक्षा स्तोत्र, श्री राम चालीसा का पाठ करना चाहिए. भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी सूर्यवंशी थे. इस दिन राम मंदिर में जाकर दर्शन करने से लाभ मिलता है. सूर्य देव त्वचा संबंधी अनेक बीमारियों को दूर करते हैं.

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तेज प्रदान करने वाला दिन है रविवार: रविवार को तेज प्रदान करने वाला दिन माना गया है. इस दिन एकाशना फलाहारी या फिर निराहार व्रत करना चाहिए. उपवास से शरीर की साधना होती है. मन पर नियंत्रण होता है. सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. ऐसे जातक जिन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल रही हो, उन्हें रविवार के दिन निश्चित तौर पर सूर्य देवता की उपासना, प्रार्थना और अनुष्ठान करना चाहिए. कम से कम 24 बार लाल अक्षर से श्री गायत्री मंत्र लिखना चाहिए. इसके साथ ही रविवार को किए जाने वाले उपवास में सूर्यास्त के पहले फलाहार कर लेना चाहिए.

सूयास्त के बाद भोजन करना निषेध: सूर्यास्त के बाद अन्न फल ग्रहण करना पूरी तरह निषेध होता है. इस दिन सूर्य की उपस्थिति में ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए. पितरों को स्मरण करना चाहिए. पितृदोष संबंधी पूजन करने के लिए रविवार का दिन शुभ माना जाता है.रविवार के शुभ दिन रक्तदान, धन दान, विद्या दान आदि करना चाहिए. इसके साथ ही माता-पिता की भरपूर सेवा करना चाहिए. माता-पिता की सेवा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. समस्त पाप कट जाते हैं. इस दिन गंगा सरोवर या त्रिवेणी में स्नान करने पर भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है. रविवार का शुभ दिन भगवान विष्णु जी को भी समर्पित माना जाता है. इतवार के दिन पीपल बरगद आदि वृक्षों की सेवा करनी चाहिए. इन वृक्षों के नीचे बैठकर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए. साथ ही घी के दीपक जलाना चाहिए.

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