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विश्व दूरसंचार दिवस: टेलीफोन ने कम किए मीलों के फासले, लेकिन अपनों से बढ़ गई दूरियां

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Published : May 16, 2020, 3:46 PM IST

Updated : May 19, 2020, 1:33 PM IST

टेक्नोलॉजी ने आज भले ही सारी चीजें आसान कर दी हैं. लेकिन इससे लोगों के बीच दूरियां काफी बढ़ गई हैं. मोबाइल फोन ने लोगों को जोड़कर तो रखा है, लेकिन लोग एक साथ होकर भी आज अकेले हैं. विश्व दूरसंचार दिवस (world telecommunication day) के मौके पर हम आपको बताएंगे टेलीफोन के समय में लोगों के बीच कैसे होती थी बातचीत...

world telecommunication day
विश्व दूरसंचार दिवस

रायपुर: टेक्नोलॉजी ने पूरी दुनिया को जोड़ने का काम किया है. चाहे वो मोबाइल फोन हो या फिर टीवी. एक बटन दबाते ही हम घर बैठे पूरी दुनिया की खोज खबर ले सकते हैं. टेक्नोलॉजी ने आज जो कर दिखाया है, कुछ सालों पहले तक इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. विश्व दूरसंचार दिवस (world telecommunication day) मनाने की परंपरा 17 मई, 1865 में शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई.

विश्व दूरसंचार दिवस

पहले लोग रिसीवर फोन का इस्तेमाल किया करते थे. इससे केवल बातचीत ही की जा सकती थी. रिसीवर फोन के शुरुआती दौर में तो एक गांव में एक ही फोन हुआ करता था, जिसका इस्तेमाल पूरा गांव करता था. फोन के बहाने लोग एक दूसरे के साथ बैठा करते थे. वहीं आज का दौर है, जहां बच्चे-बच्चे के पास मोबाइल फोन है और वह उसका इस्तेमाल इंटरनेट के साथ-साथ काफी चीजों के लिए करते हैं. लेकिन मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों और बड़ों की सेहत पर काफी प्रभाव पड़ता है.

world telecommunication day
रिसीवर फोन

पढ़ें: SPECIAL : टूटा 10 साल का रिकॉर्ड, गर्मी से मिली राहत

रिसीवर फोन ने लोगों को जोड़कर रखा

जानकारों की मानें, तो आज से लगभग 25 साल पहले रिसीवर फोन का जमाना था. जब गांव देहात में एक फोन हुआ करता था और पूरा गांव एक ही फोन से बात किया करता था. उस समय पूरे गांव में एक ही फोन का इस्तेमाल करता था. ये समय था जब रिसीवर फोन कम होने के कारण लोग एक दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताते थे. आज के इस दौर में मोबाइल फोन के कारण लोग एक दूसरे से जुड़ तो गए हैं, लेकिन पास होकर भी वह एक दूसरे से बात नहीं करते और फोन पर ही लगे रहते हैं. जिससे लोगों के बीच आपसी दूरियां बढ़ गई हैं.

world telecommunication day
विश्व दूरसंचार दिवस 2020

टैक्नोलॉजी में आया फर्क: मोनाली

साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा का कहना है कि रिसीवर फोन और मोबाइल फोन में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिला है. पहले बेहद कम ऐसे लोग हुआ करते थे जिनके पास टेलीफोन होता था. कई बार तो ऐसा होता था कि लोगों को फोन पर बात करने के लिए कई घंटों तक लाइन में खड़ा होना पड़ता था. वहीं मोबाइल फोन की बात की जाए तो आज मोबाइल फोन के माध्यम से हर व्यक्ति काफी सारे काम एक साथ एक ही समय पर कर सकता है. वो भी बिना घर से बाहर निकले. ये टैक्नोलॉजी इंसानों के लिए एक वरदान तो जरुर साबित हुई है लेकिन, वहीं ये हमारी प्राइवेसी के लिए भी घातक है. सोशल मीडिया में हम अपनी हर चीजें शेयर करते हैं. लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमारा मोबाइल आसानी से कोई भी हैक कर सकता है. इस वजह से हमारी प्राइवेसी पब्लिक हो सकती है.

पढ़ें: अपने दो 'फूलों' को कंधे पर उठाकर आंध्र प्रदेश से छत्तीसगढ़ लौटा मजदूर

एक दूसरे को देते थे समय: डॉ. अजवानी

मनोरोग चिकित्सक जे सी अजवानी ने बताया कि रिसीवर फोन के समय लोग ज्यादा फोन पर व्यस्त नहीं रहते थे. लोग घर में एक दूसरे को ज्यादा समय दिया करते थे. लेकिन जब से मोबाइल फोन आया है तब से लोगों के लिए सुविधा तो बहुत हो गई है, लेकिन इसके साथ लोग डिप्रेशन का भी काफी शिकार हो रहे हैं. साथ ही इससे स्टूडेंट्स की एकेडमिक परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है.

रायपुर: टेक्नोलॉजी ने पूरी दुनिया को जोड़ने का काम किया है. चाहे वो मोबाइल फोन हो या फिर टीवी. एक बटन दबाते ही हम घर बैठे पूरी दुनिया की खोज खबर ले सकते हैं. टेक्नोलॉजी ने आज जो कर दिखाया है, कुछ सालों पहले तक इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. विश्व दूरसंचार दिवस (world telecommunication day) मनाने की परंपरा 17 मई, 1865 में शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई.

विश्व दूरसंचार दिवस

पहले लोग रिसीवर फोन का इस्तेमाल किया करते थे. इससे केवल बातचीत ही की जा सकती थी. रिसीवर फोन के शुरुआती दौर में तो एक गांव में एक ही फोन हुआ करता था, जिसका इस्तेमाल पूरा गांव करता था. फोन के बहाने लोग एक दूसरे के साथ बैठा करते थे. वहीं आज का दौर है, जहां बच्चे-बच्चे के पास मोबाइल फोन है और वह उसका इस्तेमाल इंटरनेट के साथ-साथ काफी चीजों के लिए करते हैं. लेकिन मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों और बड़ों की सेहत पर काफी प्रभाव पड़ता है.

world telecommunication day
रिसीवर फोन

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रिसीवर फोन ने लोगों को जोड़कर रखा

जानकारों की मानें, तो आज से लगभग 25 साल पहले रिसीवर फोन का जमाना था. जब गांव देहात में एक फोन हुआ करता था और पूरा गांव एक ही फोन से बात किया करता था. उस समय पूरे गांव में एक ही फोन का इस्तेमाल करता था. ये समय था जब रिसीवर फोन कम होने के कारण लोग एक दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताते थे. आज के इस दौर में मोबाइल फोन के कारण लोग एक दूसरे से जुड़ तो गए हैं, लेकिन पास होकर भी वह एक दूसरे से बात नहीं करते और फोन पर ही लगे रहते हैं. जिससे लोगों के बीच आपसी दूरियां बढ़ गई हैं.

world telecommunication day
विश्व दूरसंचार दिवस 2020

टैक्नोलॉजी में आया फर्क: मोनाली

साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा का कहना है कि रिसीवर फोन और मोबाइल फोन में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिला है. पहले बेहद कम ऐसे लोग हुआ करते थे जिनके पास टेलीफोन होता था. कई बार तो ऐसा होता था कि लोगों को फोन पर बात करने के लिए कई घंटों तक लाइन में खड़ा होना पड़ता था. वहीं मोबाइल फोन की बात की जाए तो आज मोबाइल फोन के माध्यम से हर व्यक्ति काफी सारे काम एक साथ एक ही समय पर कर सकता है. वो भी बिना घर से बाहर निकले. ये टैक्नोलॉजी इंसानों के लिए एक वरदान तो जरुर साबित हुई है लेकिन, वहीं ये हमारी प्राइवेसी के लिए भी घातक है. सोशल मीडिया में हम अपनी हर चीजें शेयर करते हैं. लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमारा मोबाइल आसानी से कोई भी हैक कर सकता है. इस वजह से हमारी प्राइवेसी पब्लिक हो सकती है.

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एक दूसरे को देते थे समय: डॉ. अजवानी

मनोरोग चिकित्सक जे सी अजवानी ने बताया कि रिसीवर फोन के समय लोग ज्यादा फोन पर व्यस्त नहीं रहते थे. लोग घर में एक दूसरे को ज्यादा समय दिया करते थे. लेकिन जब से मोबाइल फोन आया है तब से लोगों के लिए सुविधा तो बहुत हो गई है, लेकिन इसके साथ लोग डिप्रेशन का भी काफी शिकार हो रहे हैं. साथ ही इससे स्टूडेंट्स की एकेडमिक परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है.

Last Updated : May 19, 2020, 1:33 PM IST
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