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छत्तीसगढ़ का वो अफसर, जिसे आप मतदान करते वक्त भूल नहीं सकते

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुशील त्रिवेदी जिन्होंने अपने सेवा काल में सुशासन के लिए कई काम किए.

सुशील त्रिवेदी
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Published : Apr 12, 2019, 11:42 PM IST

रायपुर: अपनी ईमानदार छवि और प्रदेश की रग-रग से वाकिफ अफसर सुशील त्रिवेदी आज भी शासन-प्रशासन में बेहद सम्मानजनक तरीके से जाने जाते है. सुशील त्रिवेदी ने जहां कई जिलों में कलेक्टर के तौर पर यादगार काम किया है, वहीं निर्वाचन आयुक्त के तौर पर उनके चुनाव सुधार कार्य के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता.

पैकेज

बड़ा है सुशील त्रिवेदी का योगदान
जिस वक्त टीएन शेसन देश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के तौर पर देश की निर्वाचन प्रक्रिया में अमूलचूल परिवर्तन कर रहे थे, उस वक्त त्रिवेदी उनकी टीम में शमिल थे और इस प्रक्रिया को पूरा कराने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे थे. फिर वो देशभर में पर्यवेक्षक के तौर पर चुनाव पर नजर रखना हो या फिर फोटो परिचय पत्र को सख्ती से लागू कराना, वे आदर्श आचार सहिंता को प्रभावशाली बनाने में अहम योगदान देते रहे हैं.

निर्वाचन कार्यों की नींव खड़ी करने में अहम योगदान दिया
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सुशील त्रिवेदी उन अफसरों में शमिल थे, जिन्होंने प्रशासन और निर्वाचन के कार्यों की नींव खड़ी करने में अहम योगदान दिया है. 2005 के बाद हुए परिसीमन और सीटों के आरक्षण को सफलतापूर्वक साधना सुशील त्रिवेदी जैसे प्रशासक के बस की बात थी.

निर्वाचन व्यवस्था और सुधार पर कई किताबें लिखीं
सुशील त्रिवेदी ने भारतीय निर्वाचन व्यवस्था और उनके सुधार पर कई किताबें लिखी हैं. इसके अलावा पत्रकारिता और साहित्यिक क्षेत्र में भी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. छग में आज भी किसी तरह की राजनीतिक या सहित्यिक गोष्ठी आज भी उमके बिन अधूरी ही मानी जाएगी. अपने निरंतर अध्ययन और दर्शन के चलते सुशील त्रिवेदी कई किताबों की समीक्षा करते रहे हैं. वे हिंदी की प्रख्यात पत्रिका 'छत्तीसगढ़ मित्र' का संपादन कर रहे हैं.

सुशील त्रिवेदी के मार्गदर्शन हुए थे पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव
पूरे देश में पहली बार पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव 1994 में मध्य प्रदेश में हुए. ये चुनाव सुशील त्रिवेदी के मार्गदर्शन में जिस तरह से शांति पूर्वक संपन्न हुए वे आने वाले समय में देश में चुनाव किस तरह पारदर्शितापूर्वक संपन्न कराए जाएं, इसके लिए नजीर बन गए.

उस समय मप्र के तत्कालीन राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रदेश के नगरीय निकाय के चुनाव डॉ सुशील त्रिवेदी के परामर्श पर ही संपन्न कराए. तमाम प्रशासनिक कुशलता के अलावा भाषा विशेषज्ञ के तौर उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.

रक्षा मुद्दों पर भी लिखीं किताबें
इसके अलावा सुशील त्रिवेदी शास्त्रीय कलाओं के भी मर्मज्ञ हैं. सुशील त्रिवेदी के देश के रक्षा विशेषज्ञ के तौर पर भी पुस्तकें लिखी हैं, जिसे देश के रक्षा विशेषज्ञों ने भी सराहा है. सुशील त्रिवेदी ने पंचायत, नगरीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनावों को संपन्न कराने वाले देश के चंद अधिकारी में से एक हैं.

रायपुर: अपनी ईमानदार छवि और प्रदेश की रग-रग से वाकिफ अफसर सुशील त्रिवेदी आज भी शासन-प्रशासन में बेहद सम्मानजनक तरीके से जाने जाते है. सुशील त्रिवेदी ने जहां कई जिलों में कलेक्टर के तौर पर यादगार काम किया है, वहीं निर्वाचन आयुक्त के तौर पर उनके चुनाव सुधार कार्य के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता.

पैकेज

बड़ा है सुशील त्रिवेदी का योगदान
जिस वक्त टीएन शेसन देश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के तौर पर देश की निर्वाचन प्रक्रिया में अमूलचूल परिवर्तन कर रहे थे, उस वक्त त्रिवेदी उनकी टीम में शमिल थे और इस प्रक्रिया को पूरा कराने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे थे. फिर वो देशभर में पर्यवेक्षक के तौर पर चुनाव पर नजर रखना हो या फिर फोटो परिचय पत्र को सख्ती से लागू कराना, वे आदर्श आचार सहिंता को प्रभावशाली बनाने में अहम योगदान देते रहे हैं.

निर्वाचन कार्यों की नींव खड़ी करने में अहम योगदान दिया
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सुशील त्रिवेदी उन अफसरों में शमिल थे, जिन्होंने प्रशासन और निर्वाचन के कार्यों की नींव खड़ी करने में अहम योगदान दिया है. 2005 के बाद हुए परिसीमन और सीटों के आरक्षण को सफलतापूर्वक साधना सुशील त्रिवेदी जैसे प्रशासक के बस की बात थी.

निर्वाचन व्यवस्था और सुधार पर कई किताबें लिखीं
सुशील त्रिवेदी ने भारतीय निर्वाचन व्यवस्था और उनके सुधार पर कई किताबें लिखी हैं. इसके अलावा पत्रकारिता और साहित्यिक क्षेत्र में भी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. छग में आज भी किसी तरह की राजनीतिक या सहित्यिक गोष्ठी आज भी उमके बिन अधूरी ही मानी जाएगी. अपने निरंतर अध्ययन और दर्शन के चलते सुशील त्रिवेदी कई किताबों की समीक्षा करते रहे हैं. वे हिंदी की प्रख्यात पत्रिका 'छत्तीसगढ़ मित्र' का संपादन कर रहे हैं.

सुशील त्रिवेदी के मार्गदर्शन हुए थे पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव
पूरे देश में पहली बार पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव 1994 में मध्य प्रदेश में हुए. ये चुनाव सुशील त्रिवेदी के मार्गदर्शन में जिस तरह से शांति पूर्वक संपन्न हुए वे आने वाले समय में देश में चुनाव किस तरह पारदर्शितापूर्वक संपन्न कराए जाएं, इसके लिए नजीर बन गए.

उस समय मप्र के तत्कालीन राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रदेश के नगरीय निकाय के चुनाव डॉ सुशील त्रिवेदी के परामर्श पर ही संपन्न कराए. तमाम प्रशासनिक कुशलता के अलावा भाषा विशेषज्ञ के तौर उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.

रक्षा मुद्दों पर भी लिखीं किताबें
इसके अलावा सुशील त्रिवेदी शास्त्रीय कलाओं के भी मर्मज्ञ हैं. सुशील त्रिवेदी के देश के रक्षा विशेषज्ञ के तौर पर भी पुस्तकें लिखी हैं, जिसे देश के रक्षा विशेषज्ञों ने भी सराहा है. सुशील त्रिवेदी ने पंचायत, नगरीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनावों को संपन्न कराने वाले देश के चंद अधिकारी में से एक हैं.

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