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Dantewada IED Attack : नक्सलगढ़ के लाल शहीद जोगा सोढ़ी की कहानी - जोगा सोढ़ी

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक बार फिर नक्सलियों ने खूनी खेल खेला है. आईईडी ब्लास्ट में डीआरजी के दस जवान ने प्राणों की आहूति दे दी. इस हमले में एक वाहन चालक भी शहीद हुआ था. नक्सली हमले में डीआरजी के प्रधान आरक्षक जोगा सोढ़ी भी शहीद हुए हैं.आईए जानते हैं कौन हैं जोगा सोढ़ी.

Shaheed Joga Sodhi of Naxalgarh
नक्सलगढ़ का लाल था जोगा सोढ़ी
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Published : Apr 28, 2023, 1:09 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया है. इसमें सर्चिंग से लौट रहे 10 जवान शहीद हो गए.शहीदों में एक नाम जोगा सोढ़ी का भी है, जो डीआरजी में प्रधान आरक्षक के पद पर तैनात थे. जोगा नाम का नक्सलियों में खौफ था. शहीद जोगा सोढ़ी कई मोर्चों में नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है. डीआरजी में उनके पराक्रम की भी चर्चा जोर शोर होती रही है. कई मुठभेड़ में जोगा सोढ़ी ने बेखौफ होकर नक्सलियों की मांद में घुसकर लोहा लिया था. उनकी बहादुरी की वजह से कई बार नक्सली मैदान छोड़कर भागे हैं. उनके शहादत के बाद से न केवल गांव में मातम छाया है बल्कि उनके साथी भी बिलख पड़े हैं.

नक्सलगढ़ का लाल था जोगा : शहीद जोगा सोढ़ी का जन्म अति संवेदनशील माने जाने वाले बस्तर संभाग के सुकमा जिले के अरलमपल्ली गांव में 2 अगस्त 1989 हुआ था. जोगा के पिता का नाम गद्दी सोढ़ी और माता का नाम देवे सोढ़ी है. जोगा सोढ़ी ने नक्सलियों का साथ छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया. इसके बाद सरकार के चलाए जा रहे अभियान से प्रभावित होकर जोगा सोढ़ी ने हथियार डाले. इसके बाद जोगा की सूझबूझ ने उसे पुलिसकर्मियों का करीबी बना दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि जोगा को डीआरजी में 10 फरवरी 2017 को गोपनीय सैनिक के रूप में भर्ती कर लिया गया. इसके बाद धीरे धीरे नक्सल मोर्चों में जोगा के इनपुट्स और उसकी मौजूदगी ने लाल आतंक की कमर तोड़ दी.जिसके बाद जोगा को डीआरजी में प्रमोशन मिला. जोगा अब प्रधान आरक्षक बन चुके थे.

कैसा है जोगा का परिवार : जोगा की शादी कुछ साल पहले कोसी सोढ़ी से हुई थी. उनकी एक बेटी भी है, जिनका नाम लक्ष्मी सोढ़ी है. फिलहाल नक्सलियों की इस कायराना करतूत से लक्ष्मी सोढ़ी के सिर से पिता का साया हट गया है.

ये भी पढ़ें- दंतेवाड़ा नक्सल अटैक का वीडियो,10 जवान हुए हैं शहीद



हाथ में बंदूक लिए सबसे आगे चलते थे जोगा : जोगा सोढ़ी दंतेवाड़ा डीआरजी के ऐसे जवान थे जो नक्सलगढ़ में सबसे आगे रहते थे. कई बार सर्चिंग से लौटते वक्त घात लगाए बैठे नक्सलियों ने फायरिंग भी की. लेकिन जोगा सोढ़ी पीछे नहीं हटे. उन्होंने सीना तानकर दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब दिया. सर्चिंग के दौरान भी हाथ में बंदूक लिए सबसे आगे जोगा सोढ़ी ही चलते थे. फिलहाल उनकी शहादत ने डीआरजी के जवानों के साथ ही पूरे परिवार को भी झकझोर दिया है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया है. इसमें सर्चिंग से लौट रहे 10 जवान शहीद हो गए.शहीदों में एक नाम जोगा सोढ़ी का भी है, जो डीआरजी में प्रधान आरक्षक के पद पर तैनात थे. जोगा नाम का नक्सलियों में खौफ था. शहीद जोगा सोढ़ी कई मोर्चों में नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है. डीआरजी में उनके पराक्रम की भी चर्चा जोर शोर होती रही है. कई मुठभेड़ में जोगा सोढ़ी ने बेखौफ होकर नक्सलियों की मांद में घुसकर लोहा लिया था. उनकी बहादुरी की वजह से कई बार नक्सली मैदान छोड़कर भागे हैं. उनके शहादत के बाद से न केवल गांव में मातम छाया है बल्कि उनके साथी भी बिलख पड़े हैं.

नक्सलगढ़ का लाल था जोगा : शहीद जोगा सोढ़ी का जन्म अति संवेदनशील माने जाने वाले बस्तर संभाग के सुकमा जिले के अरलमपल्ली गांव में 2 अगस्त 1989 हुआ था. जोगा के पिता का नाम गद्दी सोढ़ी और माता का नाम देवे सोढ़ी है. जोगा सोढ़ी ने नक्सलियों का साथ छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया. इसके बाद सरकार के चलाए जा रहे अभियान से प्रभावित होकर जोगा सोढ़ी ने हथियार डाले. इसके बाद जोगा की सूझबूझ ने उसे पुलिसकर्मियों का करीबी बना दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि जोगा को डीआरजी में 10 फरवरी 2017 को गोपनीय सैनिक के रूप में भर्ती कर लिया गया. इसके बाद धीरे धीरे नक्सल मोर्चों में जोगा के इनपुट्स और उसकी मौजूदगी ने लाल आतंक की कमर तोड़ दी.जिसके बाद जोगा को डीआरजी में प्रमोशन मिला. जोगा अब प्रधान आरक्षक बन चुके थे.

कैसा है जोगा का परिवार : जोगा की शादी कुछ साल पहले कोसी सोढ़ी से हुई थी. उनकी एक बेटी भी है, जिनका नाम लक्ष्मी सोढ़ी है. फिलहाल नक्सलियों की इस कायराना करतूत से लक्ष्मी सोढ़ी के सिर से पिता का साया हट गया है.

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हाथ में बंदूक लिए सबसे आगे चलते थे जोगा : जोगा सोढ़ी दंतेवाड़ा डीआरजी के ऐसे जवान थे जो नक्सलगढ़ में सबसे आगे रहते थे. कई बार सर्चिंग से लौटते वक्त घात लगाए बैठे नक्सलियों ने फायरिंग भी की. लेकिन जोगा सोढ़ी पीछे नहीं हटे. उन्होंने सीना तानकर दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब दिया. सर्चिंग के दौरान भी हाथ में बंदूक लिए सबसे आगे जोगा सोढ़ी ही चलते थे. फिलहाल उनकी शहादत ने डीआरजी के जवानों के साथ ही पूरे परिवार को भी झकझोर दिया है.

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