रायपुर: छत्तीसगढ़ सिर्फ भगवान राम का ननिहाल ही नहीं, बल्कि उनकी बहन शांता का भी घर है. धमतरी जिले के सिहावा में महेंद्रगिरि पर्वत पर स्थित ये महर्षि श्रृंगी का आश्रम है. इस स्थान पर श्रृंगी ऋषि ने कई वर्ष तक तप किया था. उनके आश्रम के पास ही शांता गुफा है, जहां माता की एक प्रतिमा विराजमान है. आसपास के लोग बड़ी आस्था के साथ इस जगह पर आते हैं. जानकार बताते हैं कि शांता मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की बहन हैं.
एक लोक कथा के मुताबिक एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और रानी वर्षिणी एक बार अयोध्या आते हैं. इस निसंतान दंपती के दुख को महसूस करते हुए महाराज दशरथ अपनी पुत्री शांता को उन्हें गोद दे देते हैं. कालांतर में शांता का विवाह महर्षि श्रृंगी के साथ होता है. श्रृंगी ऋषि के इसी आश्रम से ही महानदी का भी उद्गम हुआ है. महानदी को चित्रोत्पला, महानंदा और निलोत्पला भी कहा जाता है.
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यज्ञ के बदले श्रृंगी ऋषि को दान स्वरूप मिली थी पुत्री
श्रृंगी ऋषि आश्रम के पुजारी बताते हैं कि जब राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी, तब वे श्रृंगी ऋषि को लेकर अयोध्या गए थे. गुरु वशिष्ट ने राजा दशरथ से महेंद्रगिरि पर्वत जाकर श्रृंगी ऋषि को लाने और अयोध्या में यज्ञ कराने कहा था. अयोध्या पहुंचने के बाद श्रृंगी ऋषि ने राजा दशरथ की संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ किया, जिसमें अग्निकुंड से खीर लेकर अग्निदेव आए. इस खीर को श्रृंगी ऋषि ने राजा दशरथ को दिया था. जिसे राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों को दे दिया.
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यज्ञ के बाद राजा दशरथ श्रृंगी ऋषि को दान देने के लिए सोचने लगे कि कौन सा दान सबसे बड़ा दान है. गुरु वशिष्ट ने राजा दशरथ से कन्यादान करने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं है. जिसके बाद राजा दशरथ ने पुत्री शांता को श्रृंगी ऋषि को दान दे दिया.
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यहां 7 अलग-अलग पहाड़ियों में है सप्तऋषियों का वास
इस इलाके में स्थित सात अलग-अलग पहाड़ियों में सप्तऋषियों का भी वास है. भगवान राम की बहन से जुड़े इस स्थान के लोगों में अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण की शुरुआत होने से बेहद खुशी है. इस इलाके के लोग खुद को राम से उनकी बहन और बहनोई के माध्यम से कनेक्ट करते हैं.
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महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण में मिलते हैं माता शांता के साक्ष्य
अयोध्या में 5 अगस्त को भव्य राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई. इस दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने भी भगवान राम के ननिहाल और राम वन गमन पथ को विकसित करने की योजना का ऐलान किया. छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर भगवान राम से जुड़े स्थान हैं. इनमें ज्यादातर उनके वन गमन से जुड़ी जगह हैं. वहीं उनकी माता कौशल्या का मायका यानि भगवान राम का ननिहाल भी यहीं है. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि भगवान राम की एक बहन भी थी और उनका निवास भी छत्तीसगढ़ में था, हालांकि दशरथ पुत्री के बारे में ग्रंथों में उल्लेख कम ही मिलता.
महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण में बालकांड में ही दशरथ पुत्री के बारे में जिक्र आता है. इसे इन श्लोक के माध्यम से बेहतर समझा जा सकता है-
इक्ष्वाकूणाम् कुले जातो भविष्यति सुधार्मिकः ।
नाम्ना दशरथो राजा श्रीमान् सत्य प्रतिश्रवः ॥१-११-२॥
अङ्ग राजेन सख्यम् च तस्य राज्ञो भविष्यति ।
कन्या च अस्य महाभागा शांता नाम भविष्यति ॥१-११-३॥
पुत्रस्तुः अङ्गस्य राज्ञः तु रोमपाद इति श्रुतः ।
तम् स राजा दशरथो गमिष्यति महायशाः ॥१-११-४॥
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मान्यता है कि भगवान राम वनवास काल में सिहावा के पास श्रीराम कंकर ऋषि के आश्रम कांकेर पहुंचे थे. छत्तीसगढ़ सरकार ने सिहावा को भी राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट में शामिल किया है. इसे लेकर भी लोग खुश हैं. दूर-दूर से श्रद्धालु सिहावा में स्थित श्रृंगी ऋषि के इस आश्रम में आते हैं और माता शांता के दर्शन कर पुण्यलाभ लेते हैं.