रायपुर: भगवान गणेश का एकदंत नाम अत्यंत लोकप्रिय है. साथ ही ये नाम कई रहस्यों से भरा हुआ है. भगवान गणपति का ये नाम विद्या और विवेक दाता है साथ ही एकदंत कठोर परिश्रम से लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है. आईए सबसे पहले जानते हैं कि भगवान गणेश का नाम एकदंत कैसे पड़ा.
दरअसल एक बार भगवान शिव अपने शयन कक्ष में आराम कर रहे होते हैं. तभी उनसे मिलने उनके भक्त परशुराम पहुंच जाते हैं. लेकिन बाल गणेश उन्हें रास्ते में ही रोक देते हैं और भगवान शिव के द्वारा विश्राम करने की बात कहते हैं. इससे अपने स्वभाव के मुताबिक परशुराम नाराज हो जाते हैं और गणपति से युद्द शुरू कर देते हैं. बाल गणेश हंसते हंसते ही परशुराम के हर वार को निष्क्रिय कर देते हैं. इससे परशुराम और कुपित हो जाते हैं और अपने फरसे से गणेश पर हमला कर देते हैं. पिता शिव से मिले फरसे का मान रखने के लिए गणपति उस प्रहार
को अपने दांत में झेल जाते हैं, इससे उनका एक दांत टूट जाता है.
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गणपति पर हमले से माता पार्वती बहुत क्रोधित हो जाती हैं. उनका ये रूप देखकर परशुराम को अपनी गलती का एहसास हो जाता है. इसके बाद वे गणेश की तारीफ और बुद्धिमत्ता की तारीफ करने लगते हैं और अपनी गलती को स्वीकार करते हुए अपने तेज,बल, बुद्दि आदि को गणेश को समर्पित करते हैं.
कैसे करें पूजा
- गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
- नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
भगवान के इन नामों का जिनमें एकदंत भी शामिल है, का जाप करने से मनुष्य के जीवन में सुख शांति, समृद्धि मिलती है. शांत चित्त होकर भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान अगर भक्त कोई विशेष मंत्र आदि का जाप नहीं कर सकता तो गणेश के कुछ नामों का ही जाप करना ही संपूर्ण लाभ प्रदान करता है. ध्यान रहे गणेश के नामों के जाप के दौरान एकदंत को अवश्य शामिल करें.
छात्रों और लेखन कार्य वालों को खास लाभ
भगवान गणपति ने अपने टूटे हुए दांत से ही लेखन कार्य किया है. अत: उनका ये नाम छात्रों के लिए खासतौर पर जो पढ़ने लिखने से जुड़े कार्य करते हैं. उनके लिए अत्यंत फलदायक है. साथ ही हमें सीखाता है कि कैसे हम किसी भी वस्तु का उपयोग अपने कार्य के लिए कर सकते हैं.