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बुद्धि के देव गणेश के इस रूप की पूजा से मिलेगा ज्ञान

गणेश चतुर्थी के दौरान आज हम जानेंगे कि भगवान गणेश एकदंत क्यों कहलाए. साथ ही उन्हें बुद्धि का देवता क्यों कहा जाता है.

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Published : Sep 5, 2019, 7:34 AM IST

Updated : Sep 5, 2019, 1:01 PM IST

पं. अरुणेश शर्मा

रायपुर: भाद्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. भगवान गणेश का यह स्वरूप समस्त शिक्षा प्रदान करने वाला, ज्ञान देने वाला है. जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति चाहिए, उन्हें भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की साधना और आराधना करनी चाहिए.

बुद्धि के देव गणेश को ऐसे मिला ज्ञान का भंडार, ऐसे कहलाये, 'एकदंत'

भगवान गणेश के एकदंत बनने की कहानी भगवान परशुराम से जुड़ी हुई है. भगवान गणेश अपने पिता भगवान शंकर की सुरक्षा में तैनात थे. उसी समय भगवान परशुराम वहां भगवान शंकर से मिलने पहुंचे. जब भगवान गणेश ने भगवान परशुराम को रोकने की कोशिश को तो वे क्रोधित हो गए. उसी वक्त भगवान परशुराम ने भगवान गणेश के दांत पर वार किया. जिससे भगवान गणेश का एक दांत टूट गया, और तब से ही भगवान गणेश एकदंत के नाम से भी पूजा जाने लगा.

भगवान परशुराम से मिली बुद्धि
भगवान परशुराम इस युद्ध में भगवान गणेश से बहुत खुश हुए. तब भगवान परशुराम ने भगवान गणेश को अपना सारा ज्ञान दे दिया. बाद में भगवान गणेश ने इसी एकदंत से महर्षि वेदव्यास के सहयोग से महाभारत का लेखन किया.

रायपुर: भाद्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. भगवान गणेश का यह स्वरूप समस्त शिक्षा प्रदान करने वाला, ज्ञान देने वाला है. जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति चाहिए, उन्हें भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की साधना और आराधना करनी चाहिए.

बुद्धि के देव गणेश को ऐसे मिला ज्ञान का भंडार, ऐसे कहलाये, 'एकदंत'

भगवान गणेश के एकदंत बनने की कहानी भगवान परशुराम से जुड़ी हुई है. भगवान गणेश अपने पिता भगवान शंकर की सुरक्षा में तैनात थे. उसी समय भगवान परशुराम वहां भगवान शंकर से मिलने पहुंचे. जब भगवान गणेश ने भगवान परशुराम को रोकने की कोशिश को तो वे क्रोधित हो गए. उसी वक्त भगवान परशुराम ने भगवान गणेश के दांत पर वार किया. जिससे भगवान गणेश का एक दांत टूट गया, और तब से ही भगवान गणेश एकदंत के नाम से भी पूजा जाने लगा.

भगवान परशुराम से मिली बुद्धि
भगवान परशुराम इस युद्ध में भगवान गणेश से बहुत खुश हुए. तब भगवान परशुराम ने भगवान गणेश को अपना सारा ज्ञान दे दिया. बाद में भगवान गणेश ने इसी एकदंत से महर्षि वेदव्यास के सहयोग से महाभारत का लेखन किया.

Intro:भाद्र पक्ष शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप पूजन किया जाना चाहिए। भगवान गणेश का यह स्वरूप वैद्यज्ञ स्वरूप है ,समस्त शिक्षा को देने वाला है।। ज्ञान को देने वाला है। जो लोग ज्ञान की प्राप्ति चाहते हैं और प्रयत्नशील है उन्हें भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप का साधना ,आराधना पूजा करनी चाहिए।


Body:भगवान गणेश का एकदंत स्वरूप भगवान परशुराम के परशु से हुआ। परशुराम जी के परशु से एक दांत अलग हुआ उसके बाद भगवान गणेश का एक दन्त स्वरूप बना।





Conclusion:एकदंत स्वरूप की कथा इस प्रकार है

भगवान शिव के सुरक्षा चक्र में गणेश जी लगे हुए थे, उसी समय भगवान परशुराम शिव जी से मिलने पहुंचे, उसी दौरान गणेश जी ने परशुराम को मिलने से रोका और उनके बीच युद्ध होने लगा।
युद्ध के दौरान भगवान परशुराम के परसू से गणेश जी एक दांत अलग हुआ, उसके बाद से भगवान गणेश एक दन्त स्वरूप में।
इस बात से परशुराम को क्षोभ हुआ और वे गणेश जी की शक्ति देखकर उनसे खुश हुए।
खुश होकर भगवान परशुराम ने अपना सारा ज्ञान गणेश जी को प्रदान किया और भगवान गणेश जी जो युद्ध स्वरूप में थे वह वैद्यज्ञ स्वरूप में आए।

बाद में भगवान गणेश ने इसी एकदंत से वेदव्यास जी के सहयोग से महाभारत का लेखन किया और वह लेखन एक बार में पूरा ही किया गया।



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पं. अरुणेश शर्मा
ज्योतिषाचार्य
Last Updated : Sep 5, 2019, 1:01 PM IST
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