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बिलासपुर के विभिन्न थाना परिसरों में धूल खा रहे चोरी के वाहन - थानों में रखी गाड़ियों की नीलामी

बिलासपुर के विभिन्न थानों के परिसर में हजारों वाहन धूल खा रहे हैं. चोरी, एक्सीडेंट और लावारिस गाड़ियां थाना परिसर के अधिकांश खाली जगहों पर पड़ी है. साथ ही ये सब गाड़ियां पुलिस के लिए जी का जंजाल साबित हो रही है. कोर्ट के आदेश के बाद कुछ गाड़ियों की नीलामी होगी, लेकिन इतने में मुसीबत काम नहीं होगी.

थान परिसरों में धूल खा रहे वाहन
थान परिसरों में धूल खा रहे वाहन
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Published : Nov 23, 2021, 8:36 AM IST

Updated : Nov 25, 2021, 1:13 PM IST

बिलासपुर: थाना परिसर में रखी हजारों गाड़िया पुलिस के लिए मुसीबत बनती जा रही है. चोरी, एक्सीडेंट और लावारिस गाड़ियां थाना परिसर के अधिकांश खाली जगहों पर पड़ी है. साथ ही ये सब गाड़ियां पुलिस के लिए जी का जंजाल साबित हो रही है. कोर्ट के आदेश के बाद कुछ गाड़ियों की नीलामी होगी, लेकिन इतने में मुसीबत काम नहीं होगी.

पुलिस की सिरदर्द बने वाहन

बिलासपुर में 18 थाने हैं और इन थानों में हजारों गाड़ियां कबाड़ होती जा रही है. यह वह गाड़ी है, जो चोरी होने के बाद पुलिस चोरों से रिकवर करती है. जिसे इनके मालिक वापस लेने नहीं आते हैं. इसके अलावा लावारिस हालत में मिलने वाली गाड़ियां और एक्सीडेंटल गाड़ियां भी शामिल है. बिलासपुर के 18 थानों में हजारों की संख्या में रखी गाड़ियां अब पुलिस का सिरदर्द बनती जा रही है. क्योंकि थाने परिसर के अधिकांश हिस्सों में इन गाड़ियों का कब्जा है और सालों से यह गाड़ियां इसी तरह थानों में कबाड़ हो रही है.

थाना परिसरों में धूल खा रहे वाहन

जल्द शुरू होगी गाड़ियों की नीलामी

मामले में प्रक्रियाओं के लेटलतीफी और कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें पुलिस नीलाम करती है. अभी लगभग 400 गाड़ियों की नीलामी का आदेश पुलिस को कोर्ट से मिला है. पुलिस अधिकारी संबंधित थाने को इसका आदेश जारी कर दिया गया है. वाहनों की नीलामी एसडीएम की मौजूदगी में की जाती है. एडिशनल एसपी उमेश कश्यप ने बताया विभिन्न थानों की गाड़ियों की नीलामी के आदेश मिले हैं और जल्द ही लगभग 400 गाड़ियों की नीलामी की जाएगी.

घूम-घूमकर एक्टिवा वाहनों की डिक्की से करता था चोरी, 2 आरोपी Arrested

इंश्योरेंस कंपनी का बोझ उठाती है पुलिस

गाड़ी चोरी होने के बाद वाहन मालिक थाने में रिपोर्ट करता है. इस मामले में पुलिस गाड़ियों की तलाशी कर चोरों से गाड़ी रिकवरी करती है. गाड़ी चोरों से रिकवर करने के बाद पुलिस कोर्ट में डायरी पेश करती है और कोर्ट के आदेश के बाद गाड़ी मालिक को सौंप दी जाती है. लेकिन यह प्रक्रिया कुछ समय तक चलती रहती है. जिसकी वजह से भी गाड़िया थानों में ही रखी जाती है. कई बार पुलिस को गाड़िया मिल नहीं पाती और पुलिस 6 माह बाद कोर्ट में खातमा रिपोर्ट पेश कर देती है.

इंश्योरेंस का पैसा मिलने पर नहीं आते वाहन मालिक

पुलिस के खातमा रिपोर्ट पेश करने के बाद इंश्योरेंस कंपनी वाहन मालिक को इंश्योरेंस के पैसे दे देती है. चोरी के बाद कुछ सालों के अंदर पुलिस चोर पकड़ कर गाड़ी भी रिकवर भी कर लेती है. ऐसे में पुलिस कोर्ट की प्रक्रिया पूरी करती है, लेकिन इन गाड़ियों को गाड़ी मालिक नहीं लेने आते हैं. क्योकि वह इंश्योरेंस के पैसे ले चुके होते हैं. ऐसे में ये गाड़िया इंश्योरेंस कंपनी की हो जाती है. इंश्योरेंस कंपनियां इन गाड़ियों को नहीं ले जाती है. जिससे थाना में ही चोरी के वाहनों को रखा जाता है और ये पुलिस का सिर दर्द बन जाती है.

कैसे हो सकता है समाधान

अकेले बिलासपुर जिले में नहीं बल्कि पूरे छ्त्तीसगढ़ में लावारिस, चोरी और एक्सीडेंटल गाड़ियों का यही हाल है. यह गाड़ियां थानों में रखे रखे कबाड़ हो जाती है और ना इनको इंश्योरेंस कंपनी लेकर जाती और ना ही इनके मालिक. सरकार चाहे तो इस समस्या का निदान कर सकती है. जिस तरह आरटीओ को ऑनलाइन किया गया है, यानी गाड़ी नंबर, चेचिस नंबर के माध्यम से यह पता चल जाता है कि यह गाड़ी कौन से राज्य, कौन से जिले और किसके नाम रजिस्टर्ड है, वैसा ही यदि चोरी गई गाड़ियों का ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए तो पुलिस को तत्काल पता चल जाएगा कि यह गाड़ी किसकी है और कहां से है. क्योंकि अक्सर होता यह है कि चोरों से रिकवर की गई गाड़ियां दूसरे जिले और दूसरे राज्य में पकड़ाती है. लेकिन काम के बोझ की वजह से पुलिस भी ध्यान नहीं देती और यह गाड़ियां थानों में ही कबाड़ हो जाती है और कबाड़ थाने की शोभा बढ़ाते रहते हैं.

बिलासपुर: थाना परिसर में रखी हजारों गाड़िया पुलिस के लिए मुसीबत बनती जा रही है. चोरी, एक्सीडेंट और लावारिस गाड़ियां थाना परिसर के अधिकांश खाली जगहों पर पड़ी है. साथ ही ये सब गाड़ियां पुलिस के लिए जी का जंजाल साबित हो रही है. कोर्ट के आदेश के बाद कुछ गाड़ियों की नीलामी होगी, लेकिन इतने में मुसीबत काम नहीं होगी.

पुलिस की सिरदर्द बने वाहन

बिलासपुर में 18 थाने हैं और इन थानों में हजारों गाड़ियां कबाड़ होती जा रही है. यह वह गाड़ी है, जो चोरी होने के बाद पुलिस चोरों से रिकवर करती है. जिसे इनके मालिक वापस लेने नहीं आते हैं. इसके अलावा लावारिस हालत में मिलने वाली गाड़ियां और एक्सीडेंटल गाड़ियां भी शामिल है. बिलासपुर के 18 थानों में हजारों की संख्या में रखी गाड़ियां अब पुलिस का सिरदर्द बनती जा रही है. क्योंकि थाने परिसर के अधिकांश हिस्सों में इन गाड़ियों का कब्जा है और सालों से यह गाड़ियां इसी तरह थानों में कबाड़ हो रही है.

थाना परिसरों में धूल खा रहे वाहन

जल्द शुरू होगी गाड़ियों की नीलामी

मामले में प्रक्रियाओं के लेटलतीफी और कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें पुलिस नीलाम करती है. अभी लगभग 400 गाड़ियों की नीलामी का आदेश पुलिस को कोर्ट से मिला है. पुलिस अधिकारी संबंधित थाने को इसका आदेश जारी कर दिया गया है. वाहनों की नीलामी एसडीएम की मौजूदगी में की जाती है. एडिशनल एसपी उमेश कश्यप ने बताया विभिन्न थानों की गाड़ियों की नीलामी के आदेश मिले हैं और जल्द ही लगभग 400 गाड़ियों की नीलामी की जाएगी.

घूम-घूमकर एक्टिवा वाहनों की डिक्की से करता था चोरी, 2 आरोपी Arrested

इंश्योरेंस कंपनी का बोझ उठाती है पुलिस

गाड़ी चोरी होने के बाद वाहन मालिक थाने में रिपोर्ट करता है. इस मामले में पुलिस गाड़ियों की तलाशी कर चोरों से गाड़ी रिकवरी करती है. गाड़ी चोरों से रिकवर करने के बाद पुलिस कोर्ट में डायरी पेश करती है और कोर्ट के आदेश के बाद गाड़ी मालिक को सौंप दी जाती है. लेकिन यह प्रक्रिया कुछ समय तक चलती रहती है. जिसकी वजह से भी गाड़िया थानों में ही रखी जाती है. कई बार पुलिस को गाड़िया मिल नहीं पाती और पुलिस 6 माह बाद कोर्ट में खातमा रिपोर्ट पेश कर देती है.

इंश्योरेंस का पैसा मिलने पर नहीं आते वाहन मालिक

पुलिस के खातमा रिपोर्ट पेश करने के बाद इंश्योरेंस कंपनी वाहन मालिक को इंश्योरेंस के पैसे दे देती है. चोरी के बाद कुछ सालों के अंदर पुलिस चोर पकड़ कर गाड़ी भी रिकवर भी कर लेती है. ऐसे में पुलिस कोर्ट की प्रक्रिया पूरी करती है, लेकिन इन गाड़ियों को गाड़ी मालिक नहीं लेने आते हैं. क्योकि वह इंश्योरेंस के पैसे ले चुके होते हैं. ऐसे में ये गाड़िया इंश्योरेंस कंपनी की हो जाती है. इंश्योरेंस कंपनियां इन गाड़ियों को नहीं ले जाती है. जिससे थाना में ही चोरी के वाहनों को रखा जाता है और ये पुलिस का सिर दर्द बन जाती है.

कैसे हो सकता है समाधान

अकेले बिलासपुर जिले में नहीं बल्कि पूरे छ्त्तीसगढ़ में लावारिस, चोरी और एक्सीडेंटल गाड़ियों का यही हाल है. यह गाड़ियां थानों में रखे रखे कबाड़ हो जाती है और ना इनको इंश्योरेंस कंपनी लेकर जाती और ना ही इनके मालिक. सरकार चाहे तो इस समस्या का निदान कर सकती है. जिस तरह आरटीओ को ऑनलाइन किया गया है, यानी गाड़ी नंबर, चेचिस नंबर के माध्यम से यह पता चल जाता है कि यह गाड़ी कौन से राज्य, कौन से जिले और किसके नाम रजिस्टर्ड है, वैसा ही यदि चोरी गई गाड़ियों का ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए तो पुलिस को तत्काल पता चल जाएगा कि यह गाड़ी किसकी है और कहां से है. क्योंकि अक्सर होता यह है कि चोरों से रिकवर की गई गाड़ियां दूसरे जिले और दूसरे राज्य में पकड़ाती है. लेकिन काम के बोझ की वजह से पुलिस भी ध्यान नहीं देती और यह गाड़ियां थानों में ही कबाड़ हो जाती है और कबाड़ थाने की शोभा बढ़ाते रहते हैं.

Last Updated : Nov 25, 2021, 1:13 PM IST
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