रायपुर : पहले पंजाब, फिर राजस्थान और अब छत्तीसगढ़ पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं. छत्तीसगढ़ से लगातार कांग्रेस विधायकों (Congress MLA) की दिल्ली दरबार में हाजिरी बढ़ती जा रही है. इससे छत्तीसगढ़ का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. दिल्ली में लगातार बढ़ रही छत्तीसगढ़ी कांग्रेस विधायकों की आमद ने रायपुर से लेकर दिल्ली तक में अस्थिरता का माहौल पैदा कर दिया है. इससे मीडिया में लगातार आ रही सत्ता परिवर्तन की खबरों को और बल मिल रहा है. 24 घंटे पहले तक ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि तीन दिन पहले दिल्ली पहुंचे विधायक शुक्रवार देर शाम तक छत्तीसगढ़ लौट आएंगे, लेकिन लौटने के बजाये और भी विधायक दिल्ली पहुंचने लगे. अब तक 35 विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं. ऐसे में रायपुर के राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री के बदलाव (Chief Minister Changes) की खबरें चर्चा में हैं.
बृहस्पति का दावा-छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन का सवाल ही नहीं उठता
हालांकि दिल्ली में चार दिनों से विधायकों के साथ डेरा जमाये विधायक बृहस्पति सिंह (MLA Brihaspati Singh) ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन (Power Change in Chhattisgarh) का सवाल ही नहीं उठता है. पीएल पुनिया अभी उत्तर प्रदेश में हैं, वह आ जाते हैं तो उनसे मुलाकात करेंगे. विधायक लोगों को किसी की तरफ से दिशा-निर्देश नहीं मिला है. वह अपने हिसाब से आ रहे हैं. कुल 35 विधायक छत्तीसगढ़ से दिल्ली पहुंच चुके हैं. वे सभी प्रभारी पीएल पुनिया से मुलाकात करेंगे. फिर हम आलाकमान से मिलेंगे. विधायकों के आने के बाद उनसे बात कर फिर हम प्रभारी से मिलेंगे. बीजेपी के लोगों ने तीन "महाराज" को टारगेट कर कांग्रेस का खेला बिगाड़ा है. एक जगह सरकार बना लिया, दूसरी जगह सरकार को अस्थिर कर दिया है. और तीसरी जगह हमारे "महाराज" पर डोरे डाल रहे हैं, लेकिन सरगुजा महाराज ऐसे नहीं हैं.
दोनों राज्यों में सिर्फ नाम के अंक समान, और कुछ नहीं-सीएम बघेल
इधर, छत्तीसगढ़ की तुलना पंजाब से करने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ ही रहेगा. यह पंजाब नहीं बन सकता. इन दोनों राज्यों में सिर्फ एक ही समानता (Equality) है कि पंजाब पांच नदियों से बना हुआ है और छत्तीसगढ़ में छत्तीस गढ़ हैं. इनमें अंकों के नाम पर समानता है. इसके अलावा और कोई समानता नहीं. सीएम भूपेश बघेल ने ये भी कहा कि मीडिया को विधायकों के दौरे को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए.
कका और बाबा के बीच कुर्सी दौड़ अब समाप्त किया जाना चाहिए-रमन सिंह
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के मौजूदा हालात पर कहा है कि कांग्रेस अब विभाजित हो चुकी है. कांग्रेस अपने अंतिम दौर में जा रही है. पार्टी अस्तित्वहीन हो रही है. पार्टी के अंदर कोई नेतृत्व बचा ही नहीं है. केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ कांग्रेस के अंदर ही बगावत के स्वर फूट रहे हैं. कांग्रेस के सीनियर 29 नेताओं ने प्रश्न किया है कि कांग्रेस के अंदर निर्णय लेने वाला कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष है या नहीं. इस पूरे अनिर्णय को लेकर कांग्रेस समाप्त हो जाएगी. मीडिया ने जब रमन से पूछा कि कका और बाबा में से किसे कुर्सी पर बिठाया जाए. इस पर उन्होंने कहा कि किसके साथ छत्तीसगढ़ खड़ा है. कहां छत्तीसगढ़ डोल रहा है, यह राहुल गांधी को तय करना है. कका और बाबा के बीच चल रही इस कुर्सी दौड़ को समाप्त किया जाना चाहिए. हर बार विधायक रायपुर छोड़ दिल्ली में बैठे रहे और बोलते हैं कि हम पर्यटन के लिए गए हैं. पर्यटन के लिए जाना है तो सबको भेजा जाए.
डूबता जहाज है कांग्रेस, हर कोई भागने की कर रहा कोशिश : बृजमोहन
वहीं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी कांग्रेस पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कांग्रेस विधायकों के दिल्ली दौरे पर कहा है कि कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है. और डूबते हुए जहाज से हर कोई भागने की कोशिश कर रहा है. पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की स्थिति देख लीजिये. छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की गुटबाजी चरम सीमा पर है. कांग्रेस की जो वर्तमान पीढ़ी है, वह खुद कांग्रेस को खत्म करने के रास्ते पर चल रही है. 70 विधायक होने के बावजूद इतनी अस्थिरता है. यह तो छत्तीसगढ़ की जनता के बहुमत का अपमान है. सोनिया गांधी, प्रियंका और राहुल गांधी को बताना चाहिए कि ढाई-ढाई साल वाला मामला था कि नहीं. मुख्यमंत्री बदले जाएंगे कि नहीं. यहां जो आज अस्थिरता पैदा हुई है, उसके कारण छत्तीसगढ़ का विकास रुक गया है.
छत्तीसगढ़ में ऐसा है सीटों का समीकरण
छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधायकों की मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो वर्तमान में यहां कांग्रेस की स्थिति सबसे ज्यादा मजबूत है. कांग्रेस के पास कुल 70 सीटें हैं, यानि कि कुल 70 विधायक कांग्रेस के हैं. जबकि बीजेपी यहां विपक्ष की भूमिका में है. उसके पास सदन में कुल 14 सीटें हैं, यानि कि कुल 14 विधायक बीजेपी के हैं. जबकि जेसीसीजे के पास कुल 4 सीटें हैं. वहीं बहुजन समाज पार्टी से कुल 2 विधायक हैं.
वक्त बताएगा कि बचेगी भूपेश की साख या फिर सिंहदेव की जड़ें होंगी मजबूत...
बहरहाल, दिल्ली में बीते चार दिनों से लगातार जुट रहे छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायकों के कारण प्रदेश में राजनीतिक माहौल अस्थिर हो गया है. बीजेपी इस मुद्दे पर चुटकी लेती नजर आ रही है तो वहीं कांग्रेस के हर विधायक अपने दिल्ली दौरे पर जाने को लेकर अलग-अलग निजी काम का होना बता रहे हैं. ऐसे में यह देखना होगा कि कांग्रेसी विधायकों का यह जुटान दिल्ली में क्या रंग लाता है? क्या विधायकों का दिल्ली में यह जमावड़ा छत्तीसगढ़ में भूपेश की साख बचा पाएगा या फिर अंदरखाने सिंहदेव की जड़ों को ही मजबूत कर देगा?