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higher education in chhattisgarh:छत्तीसगढ़ में कितनी बेहतर है उच्च शिक्षा की स्थिति, जानिए

छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा व्यवस्था की बात की जाए तो यहां कई बड़े उच्च शिक्षण संस्थान है. लेकिन बीते कई सालों से हो रही रेटिंग में यहां के संस्थान का प्रदर्शन गिरता जा रहा है. खास तौर पर प्राइवेट कॉलेजों और यूनिवर्सिटी का. इस बार एनआईआरएफ रैंकिग में छत्तीसगढ़ के शिक्षण संस्थानों की स्थिति कैसी रही. इस पर पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट

higher education in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा व्यवस्था
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Published : Jul 19, 2022, 11:19 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद तत्कालीन अजीत जोगी सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट यूनिवर्सिटी का कॉन्सेप्ट लाया गया था. छत्तीसगढ़ को एजुकेशन हब बनाने की दिशा में यह कवायद शुरू की गई थी. इसके तहत नियमों में थोड़ी ढिलाई दी गई. लेकिन एक समय बाद छत्तीसगढ़ में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की बाढ़ सी आ गई.

छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा व्यवस्था
"उद्देश्य अच्छा लेकिन सही से नहीं हुआ लागू": वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद शशांक शर्मा ने बताया कि "अजीत जोगी दूरदर्शी व्यक्ति थे. उन्हें लगता था कि शिक्षा और स्वास्थ्य ऐसे विषय हैं जो सरकारी तंत्र में बेहतर सर्विस नहीं दे सकते. इसे बेहतर बनाने के लिए उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बढ़ावा दिया. उनका सपना था कि छत्तीसगढ़ देश के केंद्र में है, यहां का वातावरण और पर्यावरण भी बहुत अच्छा है. वे चाहते थे कि दुनिया की अच्छी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ में आए और अपना कैम्पस बनाए. लेकिन बाद में नतीजा यह आया कि लोग 2 -2 कमरे में यूनिवर्सिटी चलाने लगे.एक समय छत्तीसगढ़ में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या 125 पहुंच गई. बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सारे यूनिवर्सिटी को बंद करने का आदेश दिया. प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को लाने का उद्देश्य अच्छा था लेकिन उसका सही से क्रियान्वयन नहीं हो पाया. कुछ प्राइवेट यूनिवर्सिटी जो नियमों को फुलफिल कर रही थी वह बच गई और बांकी सब यूनिवर्सिटी बंद हो गई.."

"छत्तीसगढ़ के कॉलेज और यूनिवर्सिटी पिछड़े": शशांक शर्मा ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में हायर एजुकेशन को बढ़ाने की बहुत कोशिश की गई. लेकिन जब यूनिवर्सिटी की संख्या बढ़ाई जाती है. उससे गुणवत्ता नहीं बढ़ती है. बल्कि गुणवत्ता प्रभावित भी होती है. कोरोना संक्रमण के कारण जो स्थिति रही, सभी कॉलेज बन्द रहे. ऑफलाइन पढाई नहीं हो पाई. इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई हुई. उससे बच्चों के अंदर पढ़ाई की ललक क्वॉलिटी ऑफ एजुकेशन और प्रोफेसरों के द्धारा पढ़ाने में भी उसका परिणाम शून्य रहा .इसलिए हाल ही में एनआईआरएफ की जो रैंकिंग आई है इसमें यहां के कॉलेज यूनिवर्सिटी पिछड़ गए हैं"

"शिक्षा को लेकर सरकार कभी गंभीर नहीं रहती": शशांक शर्मा ने कहा" एजुकेशन को लेकर सरकार कभी गंभीर नहीं रहती. इसके दो कारण हैं. एजुकेशन में बदलाव देखने में 10 साल से 12 साल लग जाते हैं. चुनाव 5 साल में होते हैं. कोई भी सरकार आती है. वैसे काम पर ज्यादा फोकस करती है. जिसमें 5 साल में परिवर्तन नजर आए .जो करना होता है वह सारे काम अच्छे करते हैं. जो 5 साल में आसानी से हो पाए. लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी व्यवस्थाओं पर व्यापक तौर पर ठोस कार्य नजर नहीं आता.

ये भी पढ़ें: राज्य में 70 फीसदी से अधिक प्राचार्य के पद खाली



प्राइवेट यूनिवर्सिटी की रैंकिंग को लेकर भी खड़े हो रहे सवाल: शशांक शर्मा ने कहा कि "जिस उद्देश्य से प्राइवेट यूनिवर्सिटीज मौजूद है. वह पूरा नहीं हो पा रहा. यह उम्मीद की जाती है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले स्टूडेंट का स्तर सरकारी यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले बच्चों से बेहतर होगा. लेकिन प्रदेश में स्थिति इसके उलट है.प्रदेश में जो प्राइवेट यूनिवर्सिटी संचालित हो रही है उनकी रैंकिंग क्यों नहीं आती यह एक बड़ा सवाल है."


प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी ओवरऑल रैंकिंग में पिछड़ी: हाल ही में एनआईआरएफ रैंकिंग की घोषणा की गई है. जिसमें प्रदेश की सबसे बड़ी पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के रैंक में कोई सुधार नहीं हुआ है. ओवर ऑल कैटेगरी में दूसरी बार रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी में सुधार नहीं हो पाया. साल 2016 में रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी टॉप 50 रैंक में थी. लेकिन पिछले 6 सालों से यूनिवर्सिटी कैटेगरी में विश्वविद्यालय टॉप 100 में में भी जगह नहीं बना पाई है. इस साल रविशंकर यूनिवर्सिटी का रैंक बैंड 150-200 के बीच है.


151-200 रैंक बैंड में सिर्फ एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी: इस साल नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के ओवर ऑल कैटेगरी में प्रदेश की सिर्फ एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने जगह बनाई है. इस बार प्रदेश की प्राइवेट कलिंगा यूनिवर्सिटी ने ओवरऑल रैंक बैंड 151 -200 में है. वहीं यूनिवर्सिटी कैटेगरी रैंक बैंड 101-150 में है.



इस हालात पर शिक्षाविद क्या कहते हैं: शिक्षाविद डॉ जवाहर सूरीशेट्टी का कहना है कि "हमारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था अच्छी नहीं है .यह उच्च शिक्षा को भी प्रभावित करती है, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के आने से हो सकता है कि सुधार हुआ हो. लेकिन अभी भी स्थिति बेहतर नहीं है. देश में छत्तीसगढ़ 23वें नंबर पर आता है. स्कूलों से जो आउटपुट निकल रहा है वह बेहतर नहीं है. जो बच्चे अच्छे होते हैं, वे प्रदेश में हायर एजुकेशन क्वॉलिटी नहीं होने की वजह से बाहर चले जाते है. लोग कहते हैं कि प्रदेश में बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट आईआईटी, आईआईएम ,नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी आ गई, लेकिन वह प्रदेश के 1 प्रतिशत बच्चों के लिए ही है. हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को छोड़कर बाकी सभी इंस्टिट्यूशन में दूसरे राज्य से आए स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे है. नेशनल इंस्टिट्यूशन आने के बाद भी इसका ज्यादा फायदा प्रदेश के बच्चों को नहीं हो रहा है."

"प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की स्थिति अच्छी नहीं": शिक्षाविद जवाहर सूरीशेट्टी ने कहा कि " राज्य बनने के बाद जिस उद्देश्य से प्रदेश में प्राइवेट यूनिवर्सिटी लाए गए थे. यह उम्मीद थी कि जब प्राइवेट संस्थाएं आएंगी तो बेहतर होगा. लेकिन उसका ठीक उल्टा हुआ. उस दौरान यूनिवर्सिटी ने यहां आकर उच्च शिक्षा को कचरा कर दिया. इतनी संख्या में विश्वविद्यालय खुल गए थे कि अच्छा कौन और बुरा कौन है, बच्चों को यह बात पहचानने में तकलीफ हो रही थी. आज भी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में एक दो यूनिवर्सिटी को छोड़ दिया जाए तो बांकी प्राइवेट विश्वविद्यालय की स्थिति अच्छी नहीं है

ये भी पढ़ें: उच्च शिक्षा के लिए घमासान! कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्रों की बढ़ी मुश्किलें, मेरिट के आधार पर एडमिशन बना चुनौती

इस दिशा में नहीं सोचा जा रहा: शिक्षाविद जवाहर सूरीशेट्टी ने कहा "मुझे इस बात से तकलीफ है कि प्रदेश में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के आने के बाद राज्य विश्वविद्यालय को सजग हो जाना चाहिए था की प्रदेश में अब प्रतियोगिता बढ़ गई है. स्टूडेंट सरकारी यूनिवर्सिटीज की बजाए प्राइवेट यूनिवर्सिटी की ओर भी जा रहे हैं .लेकिन इस दिशा में भी नहीं सोचा जा रहा है." मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन द्वारा करवाए गए नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क की ओवरऑल रैंकिंग में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने रैंक बैंड 101-150 में जगह बनाई है. वहीं रायपुर की प्राइवेट कलिंगा यूनिवर्सिटी ने ओवरऑल रैंकिंग रैंक बैंड में 151-200 में जगह बनाई है. यूनिवर्सिटी कैटेगरी की बात की जाए तो कलिंगा यूनिवर्सिटी 101-150 रैंक बैंड में है. वहीं प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी कैटेगरी में 151-200 रैंक बैंड में है. मैनेजमेंट संस्थान की केटेगरी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट रायपुर का देश ने जहां 14वां स्थान रहा. वहीं इंजीनियरिंग कैटेगरी में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रायपुर ने 65 वां स्थान हासिल किया. वहीं फार्मेसी कैटेगरी में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के फार्मेसी डिपार्टमेंट को 78वां रैक मिला है. बता दें कि रविशंकर यूनिवर्सिटी का फार्मेसी डिपार्टमेंट 2016 में 22वे रैंक पर था वहीं 2016 से लगातार डिपार्टमेंट की रैंक गिरती जा रही है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद तत्कालीन अजीत जोगी सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट यूनिवर्सिटी का कॉन्सेप्ट लाया गया था. छत्तीसगढ़ को एजुकेशन हब बनाने की दिशा में यह कवायद शुरू की गई थी. इसके तहत नियमों में थोड़ी ढिलाई दी गई. लेकिन एक समय बाद छत्तीसगढ़ में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की बाढ़ सी आ गई.

छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा व्यवस्था
"उद्देश्य अच्छा लेकिन सही से नहीं हुआ लागू": वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद शशांक शर्मा ने बताया कि "अजीत जोगी दूरदर्शी व्यक्ति थे. उन्हें लगता था कि शिक्षा और स्वास्थ्य ऐसे विषय हैं जो सरकारी तंत्र में बेहतर सर्विस नहीं दे सकते. इसे बेहतर बनाने के लिए उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बढ़ावा दिया. उनका सपना था कि छत्तीसगढ़ देश के केंद्र में है, यहां का वातावरण और पर्यावरण भी बहुत अच्छा है. वे चाहते थे कि दुनिया की अच्छी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ में आए और अपना कैम्पस बनाए. लेकिन बाद में नतीजा यह आया कि लोग 2 -2 कमरे में यूनिवर्सिटी चलाने लगे.एक समय छत्तीसगढ़ में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या 125 पहुंच गई. बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सारे यूनिवर्सिटी को बंद करने का आदेश दिया. प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को लाने का उद्देश्य अच्छा था लेकिन उसका सही से क्रियान्वयन नहीं हो पाया. कुछ प्राइवेट यूनिवर्सिटी जो नियमों को फुलफिल कर रही थी वह बच गई और बांकी सब यूनिवर्सिटी बंद हो गई.."

"छत्तीसगढ़ के कॉलेज और यूनिवर्सिटी पिछड़े": शशांक शर्मा ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में हायर एजुकेशन को बढ़ाने की बहुत कोशिश की गई. लेकिन जब यूनिवर्सिटी की संख्या बढ़ाई जाती है. उससे गुणवत्ता नहीं बढ़ती है. बल्कि गुणवत्ता प्रभावित भी होती है. कोरोना संक्रमण के कारण जो स्थिति रही, सभी कॉलेज बन्द रहे. ऑफलाइन पढाई नहीं हो पाई. इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई हुई. उससे बच्चों के अंदर पढ़ाई की ललक क्वॉलिटी ऑफ एजुकेशन और प्रोफेसरों के द्धारा पढ़ाने में भी उसका परिणाम शून्य रहा .इसलिए हाल ही में एनआईआरएफ की जो रैंकिंग आई है इसमें यहां के कॉलेज यूनिवर्सिटी पिछड़ गए हैं"

"शिक्षा को लेकर सरकार कभी गंभीर नहीं रहती": शशांक शर्मा ने कहा" एजुकेशन को लेकर सरकार कभी गंभीर नहीं रहती. इसके दो कारण हैं. एजुकेशन में बदलाव देखने में 10 साल से 12 साल लग जाते हैं. चुनाव 5 साल में होते हैं. कोई भी सरकार आती है. वैसे काम पर ज्यादा फोकस करती है. जिसमें 5 साल में परिवर्तन नजर आए .जो करना होता है वह सारे काम अच्छे करते हैं. जो 5 साल में आसानी से हो पाए. लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी व्यवस्थाओं पर व्यापक तौर पर ठोस कार्य नजर नहीं आता.

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प्राइवेट यूनिवर्सिटी की रैंकिंग को लेकर भी खड़े हो रहे सवाल: शशांक शर्मा ने कहा कि "जिस उद्देश्य से प्राइवेट यूनिवर्सिटीज मौजूद है. वह पूरा नहीं हो पा रहा. यह उम्मीद की जाती है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले स्टूडेंट का स्तर सरकारी यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले बच्चों से बेहतर होगा. लेकिन प्रदेश में स्थिति इसके उलट है.प्रदेश में जो प्राइवेट यूनिवर्सिटी संचालित हो रही है उनकी रैंकिंग क्यों नहीं आती यह एक बड़ा सवाल है."


प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी ओवरऑल रैंकिंग में पिछड़ी: हाल ही में एनआईआरएफ रैंकिंग की घोषणा की गई है. जिसमें प्रदेश की सबसे बड़ी पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के रैंक में कोई सुधार नहीं हुआ है. ओवर ऑल कैटेगरी में दूसरी बार रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी में सुधार नहीं हो पाया. साल 2016 में रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी टॉप 50 रैंक में थी. लेकिन पिछले 6 सालों से यूनिवर्सिटी कैटेगरी में विश्वविद्यालय टॉप 100 में में भी जगह नहीं बना पाई है. इस साल रविशंकर यूनिवर्सिटी का रैंक बैंड 150-200 के बीच है.


151-200 रैंक बैंड में सिर्फ एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी: इस साल नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के ओवर ऑल कैटेगरी में प्रदेश की सिर्फ एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने जगह बनाई है. इस बार प्रदेश की प्राइवेट कलिंगा यूनिवर्सिटी ने ओवरऑल रैंक बैंड 151 -200 में है. वहीं यूनिवर्सिटी कैटेगरी रैंक बैंड 101-150 में है.



इस हालात पर शिक्षाविद क्या कहते हैं: शिक्षाविद डॉ जवाहर सूरीशेट्टी का कहना है कि "हमारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था अच्छी नहीं है .यह उच्च शिक्षा को भी प्रभावित करती है, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के आने से हो सकता है कि सुधार हुआ हो. लेकिन अभी भी स्थिति बेहतर नहीं है. देश में छत्तीसगढ़ 23वें नंबर पर आता है. स्कूलों से जो आउटपुट निकल रहा है वह बेहतर नहीं है. जो बच्चे अच्छे होते हैं, वे प्रदेश में हायर एजुकेशन क्वॉलिटी नहीं होने की वजह से बाहर चले जाते है. लोग कहते हैं कि प्रदेश में बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट आईआईटी, आईआईएम ,नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी आ गई, लेकिन वह प्रदेश के 1 प्रतिशत बच्चों के लिए ही है. हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को छोड़कर बाकी सभी इंस्टिट्यूशन में दूसरे राज्य से आए स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे है. नेशनल इंस्टिट्यूशन आने के बाद भी इसका ज्यादा फायदा प्रदेश के बच्चों को नहीं हो रहा है."

"प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की स्थिति अच्छी नहीं": शिक्षाविद जवाहर सूरीशेट्टी ने कहा कि " राज्य बनने के बाद जिस उद्देश्य से प्रदेश में प्राइवेट यूनिवर्सिटी लाए गए थे. यह उम्मीद थी कि जब प्राइवेट संस्थाएं आएंगी तो बेहतर होगा. लेकिन उसका ठीक उल्टा हुआ. उस दौरान यूनिवर्सिटी ने यहां आकर उच्च शिक्षा को कचरा कर दिया. इतनी संख्या में विश्वविद्यालय खुल गए थे कि अच्छा कौन और बुरा कौन है, बच्चों को यह बात पहचानने में तकलीफ हो रही थी. आज भी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में एक दो यूनिवर्सिटी को छोड़ दिया जाए तो बांकी प्राइवेट विश्वविद्यालय की स्थिति अच्छी नहीं है

ये भी पढ़ें: उच्च शिक्षा के लिए घमासान! कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्रों की बढ़ी मुश्किलें, मेरिट के आधार पर एडमिशन बना चुनौती

इस दिशा में नहीं सोचा जा रहा: शिक्षाविद जवाहर सूरीशेट्टी ने कहा "मुझे इस बात से तकलीफ है कि प्रदेश में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के आने के बाद राज्य विश्वविद्यालय को सजग हो जाना चाहिए था की प्रदेश में अब प्रतियोगिता बढ़ गई है. स्टूडेंट सरकारी यूनिवर्सिटीज की बजाए प्राइवेट यूनिवर्सिटी की ओर भी जा रहे हैं .लेकिन इस दिशा में भी नहीं सोचा जा रहा है." मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन द्वारा करवाए गए नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क की ओवरऑल रैंकिंग में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने रैंक बैंड 101-150 में जगह बनाई है. वहीं रायपुर की प्राइवेट कलिंगा यूनिवर्सिटी ने ओवरऑल रैंकिंग रैंक बैंड में 151-200 में जगह बनाई है. यूनिवर्सिटी कैटेगरी की बात की जाए तो कलिंगा यूनिवर्सिटी 101-150 रैंक बैंड में है. वहीं प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी कैटेगरी में 151-200 रैंक बैंड में है. मैनेजमेंट संस्थान की केटेगरी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट रायपुर का देश ने जहां 14वां स्थान रहा. वहीं इंजीनियरिंग कैटेगरी में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रायपुर ने 65 वां स्थान हासिल किया. वहीं फार्मेसी कैटेगरी में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के फार्मेसी डिपार्टमेंट को 78वां रैक मिला है. बता दें कि रविशंकर यूनिवर्सिटी का फार्मेसी डिपार्टमेंट 2016 में 22वे रैंक पर था वहीं 2016 से लगातार डिपार्टमेंट की रैंक गिरती जा रही है.

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