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Delisting issue : छत्तीसगढ़ में फिर डिलिस्टिंग की आंच, जानिए राजनीतिक दलों का नजरिया - छत्तीसगढ़ में डीलिस्टिंग

छत्तीसगढ़ में डीलिस्टिंग का मुद्दा अब गरमाने लगा है.जनजाति सुरक्षा मंच धर्म बदलने वालों के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने वाली है.जिसे लेकर एक बार फिर प्रदेश में रणनीति बनाई जा रही है. लेकिन राजनीति करने वाले दलों की इसमें अलग-अलग राय है.

statement of political parties in Delisting
छत्तीसगढ़ में डिलिस्टिंग को लेकर राजनीतिक दलों की राय
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Published : Apr 11, 2023, 6:46 PM IST

Updated : Apr 11, 2023, 8:37 PM IST

डिलिस्टिंग को लेकर राजनीतिक दलों का नजरिया

रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक बार फिर डीलिस्टिंग को लेकर माहौल गर्म है. जनजाति सुरक्षा मंच धर्म परिवर्त करने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर करने की मांग कर रहा है. जनजाति सुरक्षा मंच की दलील है कि, बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन हो रहा है. ऐसे में दूसरे धर्म अपनाने वाले लोग आरक्षण का दोहरा लाभ लेते हैं. जिसकी वजह से मूल जनजाति समुदाय के लोगों को लाभ नहीं मिल पाता.

वहीं दूसरी तरफ धर्मान्तरित आदिवासियों की डिलिस्टिंग की मांग को लेकर राजनीतिक दलों की अलग राय है. कोई डिलिस्टिंग को सही बता रहा है,तो कोई इसे गलत.वहीं अन्य दल आदिवासी जनजातियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं.



क्या है बीजेपी की राय :डिलिस्टिंग को लेकर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि " डिलिस्टिंग पर भाजपा का दृष्टिकोण विशुद्ध रूप से क्रिएटिव दृष्टिकोण है. आदिवासी भाई बहनों के बीच में ऐसे कई ग्रुप हैं. जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला. वहीं जो लोग धर्मान्तरित हो गए हैं वे आरक्षण का लाभ ले चुके हैं. बार-बार आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. डिलिस्टिंग होगी तो जो लोग धर्मान्तरित हो गए हैं. वो लोगआरक्षण का लाभ नहीं लेंगे.जिससे आदिवासियों का हक नहीं मारा जाएगा.''



कांग्रेस ने केंद्र के पाले में डाली गेंद : डिलिस्टिंग को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "डिलिस्टिंग के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार को है. भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस डिलिस्टिंग के नाम से राजनीति कर रहे हैं. उन्हें अपनी केंद्र सरकार के पास जाकर नीति और कानून बनवानी चाहिए. डीलिस्टिंग का लाभ तभी मिलेगा. जब केंद्र सरकार आरक्षण का लाभ देगी. केंद्र सरकारी नौकरियों में भर्ती नहीं कर रही है. तो आदिवासियों को डिलिस्टिंग का लाभ कैसे मिलेगा.''

ये भी पढ़ें- डिलिस्टिंग के मुद्दे पर आदिवासियों के बीच क्यों है रार


आम आदमी पार्टी डीलिस्टिंग को मानती है गलत : आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सूरज उपाध्याय का कहना है कि "प्रदेश आदिवासियों की डीलिस्टिंग का मामला सामने आ रहा है. भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. लेकिन आदिवासियों की डिलिस्टिंग का मामला क्यों आ रहा है. जब राज्य सरकार है. जनता को उनकी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचाती है. तब एक गरीब आदमी दूसरी ओर देखने पर मजबूर होता है. यदि सरकारें आदिवासियों पर ध्यान दें तो वह अपना धर्म ही परिवर्तन नहीं करेंगे."

डिलिस्टिंग को लेकर राजनीतिक दलों का नजरिया

रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक बार फिर डीलिस्टिंग को लेकर माहौल गर्म है. जनजाति सुरक्षा मंच धर्म परिवर्त करने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर करने की मांग कर रहा है. जनजाति सुरक्षा मंच की दलील है कि, बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन हो रहा है. ऐसे में दूसरे धर्म अपनाने वाले लोग आरक्षण का दोहरा लाभ लेते हैं. जिसकी वजह से मूल जनजाति समुदाय के लोगों को लाभ नहीं मिल पाता.

वहीं दूसरी तरफ धर्मान्तरित आदिवासियों की डिलिस्टिंग की मांग को लेकर राजनीतिक दलों की अलग राय है. कोई डिलिस्टिंग को सही बता रहा है,तो कोई इसे गलत.वहीं अन्य दल आदिवासी जनजातियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं.



क्या है बीजेपी की राय :डिलिस्टिंग को लेकर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि " डिलिस्टिंग पर भाजपा का दृष्टिकोण विशुद्ध रूप से क्रिएटिव दृष्टिकोण है. आदिवासी भाई बहनों के बीच में ऐसे कई ग्रुप हैं. जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला. वहीं जो लोग धर्मान्तरित हो गए हैं वे आरक्षण का लाभ ले चुके हैं. बार-बार आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. डिलिस्टिंग होगी तो जो लोग धर्मान्तरित हो गए हैं. वो लोगआरक्षण का लाभ नहीं लेंगे.जिससे आदिवासियों का हक नहीं मारा जाएगा.''



कांग्रेस ने केंद्र के पाले में डाली गेंद : डिलिस्टिंग को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "डिलिस्टिंग के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार को है. भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस डिलिस्टिंग के नाम से राजनीति कर रहे हैं. उन्हें अपनी केंद्र सरकार के पास जाकर नीति और कानून बनवानी चाहिए. डीलिस्टिंग का लाभ तभी मिलेगा. जब केंद्र सरकार आरक्षण का लाभ देगी. केंद्र सरकारी नौकरियों में भर्ती नहीं कर रही है. तो आदिवासियों को डिलिस्टिंग का लाभ कैसे मिलेगा.''

ये भी पढ़ें- डिलिस्टिंग के मुद्दे पर आदिवासियों के बीच क्यों है रार


आम आदमी पार्टी डीलिस्टिंग को मानती है गलत : आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सूरज उपाध्याय का कहना है कि "प्रदेश आदिवासियों की डीलिस्टिंग का मामला सामने आ रहा है. भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. लेकिन आदिवासियों की डिलिस्टिंग का मामला क्यों आ रहा है. जब राज्य सरकार है. जनता को उनकी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचाती है. तब एक गरीब आदमी दूसरी ओर देखने पर मजबूर होता है. यदि सरकारें आदिवासियों पर ध्यान दें तो वह अपना धर्म ही परिवर्तन नहीं करेंगे."

Last Updated : Apr 11, 2023, 8:37 PM IST
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