रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 18 साल से 45 साल के सभी छत्तीसगढ़वासियों को फ्री वैक्सीन उपलब्ध कराने का फैसला लिया है. इसका स्वागत करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि 'इससे साफ हो गया है कि जिम्मेदार सरकार ऐसी होती है'.
मोहन मरकाम ने केंद्र पर निशाना साधते हुए मोदी सरकार के युवा और गरीब विरोधी रवैये की आलोचना की. उन्होंने कहा कि बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने की बात कही थी. स्वास्थ्य पर कुल 2.4 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया था. मोहन मरकाम ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार के 35 हजार करोड़ के वैक्सीनेशन बजट में 18 से 45 साल के आयु वर्ग के लोगों का निःशुल्क टीकाकरण शामिल क्यों नहीं है ?
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वैक्सीनेशन राशि का खर्च पीएम केयर्स फंड से क्यों नहीं?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने यह भी कहा कि वैक्सीनेशन की राशि पीएम केयर्स फंड से खर्च की जानी चाहिए थी. मरकाम ने मोदी सरकार को पीएम केयर्स फंड को सूचना के अधिकार और सरकारी ऑडिट से बाहर रखने का गुनहगार ठहराया. उन्होंने कहा कि पीएम केयर फंड को भी RTI के दायरे से बाहर रखकर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने गैर जिम्मेदाराना रवैये और अनअकाउंटेबिलिटी का परिचय दिया है.
फ्री टीकाकरण के वादे से मुकर गई केंद्र सरकार
मोहन मरकाम ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने फ्री टीकाकरण का वादा किया था, लेकिन हमेशा की तरह वे अपने वादों से मुकर गए. 18 से 45 साल के लोगों के वैक्सीनेशन के खर्च का बोझ मोदी सरकार ने देश के नौजवानों के ऊपर डाल दिया. जिसे भूपेश सरकार ने अपने जिम्मे लेकर जन-जन तक राहत पहुंचाने का काम किया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे ही कांग्रेस और भूपेश बघेल का छतीसगढ़ मॉडल बताया.
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नोटबंदी, जीएसटी से ज्यादा भयावह फैसला
पीसीसी चीफ ने कहा है कि केंद्र सरकार ने महामारी कानून के तहत सारे प्रदेशों के सारे कोरोना कार्यक्रम की लगाम अपने हाथ में रखी हुई थी, लेकिन एक झटके में केंद्र सरकार ने 50 से 60 करोड़ लोगों का पूरा बोझ प्रदेश सरकारों पर डाल दिया है. मोदी सरकार का यह फैसला नोटबंदी, जीएसटी और पहले लॉकडाउन से भी ज्यादा भयानक स्थिति निर्मित करेगा.
वैक्सीन की उत्पादन क्षमता सीमित
मोहन मरकाम ने कहा कि देश में टीकों की मौजूदा उत्पादन क्षमता हर महीने 6-7 करोड़ तक सीमित है. ऐसे में जाहिर है कि जिस उम्र वर्ग के लिए टीके अब लगने जा रहे हैं, उनके लिए अगले 6 महीने भी देश में पर्याप्त टीके बनने वाले नहीं हैं. जरूरतमंदों के हिसाब से बाजार में उपलब्ध वैक्सीन से 20 से 30 गुणा अधिक टीके की जरूरत है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि उन टीकों को पहले कौन हासिल करेगा, ऐसी हालत में वैक्सीन में होने वाली मुनाफाखोरी और कालाबाजारी को रोकने की कोई कार्ययोजना मोदी सरकार ने सामने नहीं रखी है.
'मोदी सरकार जिम्मेदारी से मुकर रही'
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार फ्रिज, एयरकंडीशनर कार या मोटरसाइकिल के लिए भी देशभर के सरकारी खरीदी के रेट तय करती आई है. यह बात बेहद अजीब और भयावह है कि जीवनरक्षक वैक्सीन के रेट तय करने और इसे मुहैया कराने को लेकर केंद्र सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. केंद्र ने वैक्सीन निर्माताओं के कारोबारी कार्टेल पर छोड़ दिया कि वह खुले बाजार के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ मोलभाव करे. महामारी के वक्त में मोदी सरकार 18 से 45 आयु वर्ग की जिम्मेदारी लेने से मुकर रही है.