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छत्तीसगढ़: दो साल से नहीं मिला अनुदान, ऐसे में कैसे निकलेंगे चैंपियन ?

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Published : Jul 25, 2021, 9:12 AM IST

खेलों का महाकुंभ ओलंपिक शुरू हो चुका है. इधर छत्तीसगढ़ में खेल पर एक नजर डालें तो, आज भी छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए खेल विकास प्राधिकरण और खेल विभाग पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है. कई खेल संघ के पास खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए खेल सामग्री तक नहीं है.

sports federation is not getting grant money from two years In Chhattisgarh
पिछड़ रहा खेल विभाग

रायपुर: खेलों का महाकुंभ ओलंपिक (Olympics) शुरू हो चुका है. हमारे देश से भी कई खिलाड़ी लोहा मनवाने और अपनी प्रतिभा का परिचय देने जापान गए हुए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए खेल विकास प्राधिकरण (Sports Development Authority) और खेल विभाग (sports department) पिछड़ रहा है. यहां खिलाड़ियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर राज्य सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए गए, जबकि प्रदेश के कई खेल संघ ऐसे हैं, जिन्हें पिछले 2 साल से अनुदान नहीं मिला है. हालात यह है कि खेल संघों के पास तैयारी करने के लिए खेल सामग्री तक नहीं है. जिसकी वजह से कई खेल संघ खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

पिछड़ रहा खेल विभाग

संघ या खिलाड़ी लेकर आते हैं सामग्री

छत्तीसगढ़ में प्रतिभावानों की कमी नहीं है. यहां बहुत से ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने संसाधनों के अभाव के बावजूद राज्य को कई मेडल दिलाएं हैं. खेल के लिए सरकार करोड़ों का बजट लेकर आती जरूर है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आता है.

हॉकी के दिग्गज लेस्ली वॉल्टर क्लॉडियस जिसे उनके जन्म स्थान में ही भूला दिया गया

खेल संघ के पदाधिकारी बताते हैं कि जिस जिले में कोई टूर्नामेंट होता है तो उसी जिले के खिलाड़ी या संघ खेल सामान लेकर आते हैं. वेट लिफ्टिंग संघ के पास तो पिछले 5 साल से लिफ्टिंग रॉड, एल्को सेट की मूलभूत सुविधाएं नहीं थी. जिसे संघ के अध्यक्ष ने मुहैया कराया था, ताकि प्रैक्टिस में दिक्कत ना आए. इस तरह अन्य खेलों की भी स्थिति है.

खेलों पर करोड़ों खर्च के बाद भी ओलंपिक से क्यों नदारद है छत्तीसगढ़ ?

एल्को सेटवेट लिफ्टिंग संघ से मिली जानकारी के मुताबिक 2007-2008 में खेल विभाग ने एल्को सेट दिया था. जिसके बाद विभाग की ओर से कोई मदद नहीं की गई है. संघ आज तक उसी एल्को सेट में टूर्नामेंट करा रहा है. इसके अलावा अन्य सामग्री भी खराब हो रहे हैं, जबकि विभाग को हर बार खेल सामग्री से हो रही दिक्कत से अवगत कराया जाता है. जिस पर विभाग के बड़े अधिकारी केवल आश्वासन ही देते हैं.

दो साल से नहीं मिला अनुदान

छत्तीसगढ़ वेट लिफ्टिंग संघ के सचिव राजेश जंघेल ने बताया कि शासन की ओर से जो अनुदान राशि मिलती है. वह पिछले 2 वर्षों से नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से हमारे खिलाड़ियों के आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. हालात यह है कि ऑफिस का किराया भी नहीं दे पा रहे हैं. टूर्नामेंट कराने या अन्य तरह की छोटी-छोटी जरूरत की चीजों को पूरी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने शासन से अनुरोध किया है कि समय रहते अनुदान राशि उपलब्ध कराएं ताकि खिलाड़ियों की जो आवश्यकताएं है उसकी पूर्ति की जा सके.

आवेदन आने पर दिया जा रहा अनुदान

खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उप संचालक बदन कुमार ठाकुर ने बताया कि पिछले दो साल से कोरोना काल चल रहा था, जिसकी वजह से किसी भी तरह की खेल गतिविधियां नहीं हुई है. संघ के माध्यम से जो नियमानुसार आवेदन मिले हैं. उन्हें अनुदान राशि उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि खेल विभाग की जिम्मेदारी संभालते एक महीना हुआ है.

रायपुर: खेलों का महाकुंभ ओलंपिक (Olympics) शुरू हो चुका है. हमारे देश से भी कई खिलाड़ी लोहा मनवाने और अपनी प्रतिभा का परिचय देने जापान गए हुए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए खेल विकास प्राधिकरण (Sports Development Authority) और खेल विभाग (sports department) पिछड़ रहा है. यहां खिलाड़ियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर राज्य सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए गए, जबकि प्रदेश के कई खेल संघ ऐसे हैं, जिन्हें पिछले 2 साल से अनुदान नहीं मिला है. हालात यह है कि खेल संघों के पास तैयारी करने के लिए खेल सामग्री तक नहीं है. जिसकी वजह से कई खेल संघ खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

पिछड़ रहा खेल विभाग

संघ या खिलाड़ी लेकर आते हैं सामग्री

छत्तीसगढ़ में प्रतिभावानों की कमी नहीं है. यहां बहुत से ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने संसाधनों के अभाव के बावजूद राज्य को कई मेडल दिलाएं हैं. खेल के लिए सरकार करोड़ों का बजट लेकर आती जरूर है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आता है.

हॉकी के दिग्गज लेस्ली वॉल्टर क्लॉडियस जिसे उनके जन्म स्थान में ही भूला दिया गया

खेल संघ के पदाधिकारी बताते हैं कि जिस जिले में कोई टूर्नामेंट होता है तो उसी जिले के खिलाड़ी या संघ खेल सामान लेकर आते हैं. वेट लिफ्टिंग संघ के पास तो पिछले 5 साल से लिफ्टिंग रॉड, एल्को सेट की मूलभूत सुविधाएं नहीं थी. जिसे संघ के अध्यक्ष ने मुहैया कराया था, ताकि प्रैक्टिस में दिक्कत ना आए. इस तरह अन्य खेलों की भी स्थिति है.

खेलों पर करोड़ों खर्च के बाद भी ओलंपिक से क्यों नदारद है छत्तीसगढ़ ?

एल्को सेटवेट लिफ्टिंग संघ से मिली जानकारी के मुताबिक 2007-2008 में खेल विभाग ने एल्को सेट दिया था. जिसके बाद विभाग की ओर से कोई मदद नहीं की गई है. संघ आज तक उसी एल्को सेट में टूर्नामेंट करा रहा है. इसके अलावा अन्य सामग्री भी खराब हो रहे हैं, जबकि विभाग को हर बार खेल सामग्री से हो रही दिक्कत से अवगत कराया जाता है. जिस पर विभाग के बड़े अधिकारी केवल आश्वासन ही देते हैं.

दो साल से नहीं मिला अनुदान

छत्तीसगढ़ वेट लिफ्टिंग संघ के सचिव राजेश जंघेल ने बताया कि शासन की ओर से जो अनुदान राशि मिलती है. वह पिछले 2 वर्षों से नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से हमारे खिलाड़ियों के आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. हालात यह है कि ऑफिस का किराया भी नहीं दे पा रहे हैं. टूर्नामेंट कराने या अन्य तरह की छोटी-छोटी जरूरत की चीजों को पूरी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने शासन से अनुरोध किया है कि समय रहते अनुदान राशि उपलब्ध कराएं ताकि खिलाड़ियों की जो आवश्यकताएं है उसकी पूर्ति की जा सके.

आवेदन आने पर दिया जा रहा अनुदान

खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उप संचालक बदन कुमार ठाकुर ने बताया कि पिछले दो साल से कोरोना काल चल रहा था, जिसकी वजह से किसी भी तरह की खेल गतिविधियां नहीं हुई है. संघ के माध्यम से जो नियमानुसार आवेदन मिले हैं. उन्हें अनुदान राशि उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि खेल विभाग की जिम्मेदारी संभालते एक महीना हुआ है.

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