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SPECIAL: पहले संक्रमण, अब बुरे बर्ताव का दंश झेल रहे ठीक हुए कोरोना मरीज

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Published : Aug 31, 2020, 8:36 PM IST

Updated : Sep 1, 2020, 5:20 PM IST

कोरोना महामारी से जंग जीत चुके लोग अब समाज के लोगों का दंश झेल रहे हैं. कई जगहों पर कोरोना से ठीक हुए मरीजों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. आम लोगों से लेकर नेता, पत्रकार तक इस बर्ताव का शिकार हो रहे हैं. ETV भारत ने कोरोना से जंग लड़ चुके लोगों से बात की और उनका अनुभव जाना.

discrimination with the recovered patients
कोरोना का समाज पर प्रभाव

रायपुर: कोरोना वायरस विश्व संकट बन चुका है. छत्तीसगढ़ में भी कोविड 19 के मामलों में लगातार वृद्धि जारी है. अच्छी बात ये है कि संक्रमितों के आंकड़ों के साथ-साथ प्रदेश में रिकवरी दर भी अच्छा है. लेकिन कोरोना से जंग जीत कर घर लौट रहे लोगों के साथ भेदभाव की खबरें भी सामने आ रही है. ETV भारत ने कोरोना से जंग जीत कर घर लौट चुके लोगों से बात की और उनके साथ हो रहे भेदभाव के बारे में जाना. सभी ने अपने-अपने अनुभवों को साझा किया.

कोरोना से रिकवर मरीजों के साथ भेदभाव

देश के अलग-अलग राज्यों से ऐसी खबरें लगातार आती है जहां संक्रमित मरीज के स्वस्थ होने के बावजूद समाज के लोग उनके साथ भेदभाव करते हैं. उनके घर में काम करने वाले हो या वे जब रोजाना का सामान लेने किराना स्टोर पर पहुंचते हों, उन्हें समाज की तरफ से भेदभाव का सामना करना पड़ता है. हमने रायपुर में भी लोगों के बीच जाकर ये जानने की कोशिश की क्या वाकई लोग इस तरह के भेदभाव का सामना कर रहे हैं.

इस पर कांग्रेस नेता सुबोध हरितवाल ने बताया कि कोरोना के खिलाफ जंग जीते उन्हें 1 महीने से भी ज्यादा का वक्त हो गया है, बावजूद इसके लोगों का भेदभाव वाला रवैया अभी भी बरकरार है. उन्होंने बताया कि "आसपास के लोगों ने तो काफी साथ दिया लेकिन मैं एक जनप्रतिनिधि के तौर पर जब लोगों के पास जाता हूं या अब लोगों से मिलने जाता हूं तो लोग मुझे देखकर मास्क चढ़ा लेते हैं. मुझे देखकर वे लोग दूरी बनाने लगते हैं. जबकि संक्रमित पाए जाने के बाद दो बार हमारा टेस्ट किया जाता है, नेगेटिव आने पर ही हमें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाता है."

पत्रकार ने साझा किए अनुभव

इसके बाद ETV भारत की टीम ने कोरोना से स्वस्थ हो चुके पत्रकार अनिरुद्ध दुबे से बात की तो उन्होंने बताया कि "इस दौरान हमें दो तरीके के लोगों से मिलने का मौका मिला. एक वो जो मुश्किल समय में हमारे साथ खड़े थे और दूसरे वो जिन्होंने हमारे खिलाफ लोगों को भड़काने का काम किया. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि घर में काम करने आने वाली सर्वेंट अब नहीं आती. क्योंकि दूसरे लोगों ने कहा कि अगर वो मेरे घर में काम करेगी तो उन्हें अपने घर में काम करने नहीं दिया जाएगा.

आगे उन्होंने बताया कि हमारे घर जो दूध देने आता था उससे भी यही कहा जाने लगा. हालांकि वह अभी भी हमें दूध देता है. वह हमसे डिस्टेंस मेंटेन करता है. मैं पास के दुकान में ही सामान लेने जाता हूं तो वह लोग भी मुझे देख कर अपना मास्क चढ़ा लेते हैं. आज मुझे डेढ़ महीने से अधिक हो गया है मैं स्वस्थ होकर घर लौट आया हूं बावजूद इसके लोग मुझे अभी कोरोना संक्रमित ही समझते हैं."

कांग्रेस नेता नितिन भंसाली ने शेयर किए अपने अनुभव

कांग्रेस नेता नितिन भंसाली ने बताया कि "मेरे परिवार से तो कोई भेदभाव नहीं किया गया. लेकिन मेरी पड़ोस की एक महिला है जो लगातार मेरे घर में काम करने वाले कर्मचारियों को कहती है कि वह आखिर मेरे घर काम करने क्यों आते हैं. जब वह कहते हैं कि मैं स्वस्थ होकर घर लौट चुका हूं, अब उनको मुझसे कोई खतरा नहीं है, तो वह पूछते हैं कि आखिर मैं कैसा दिखता हूं. लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोरोना एक बीमारी है, कोई अपंगता नहीं. लोगों में अभी भी इस बीमारी को लेकर जादरूकता की कमी है."

इसके अलावा जब हमने मंगल बाजार में जाकर लोगों से बात की तो उनका कहना था कि लोग हमसे दूरी बनाकर रहते थे. लेकिन धीरे-धीरे लोगों को भी समझ में आने लगा है कि हम पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं. फिर भी पहले की तरह लोग हमें नहीं अपनाते हैं.

पढ़ें- कोरोना से राजनीतिक गलियारे में हड़कंप, बघेल कैबिनेट के कई मंत्री होम आइसोलेट


WHO के मुताबिक इस तरह फैल सकता है कोरोना -

  • किसी संक्रमित आदमी को छूने से
  • बिना मास्क के घूमने के
  • सैनिटाइजर या हैंडवॉश इस्तेमाल न करने से
  • अधिक लोगों के संपर्क में आने से



किनके लिए खतरनाक-

  • 60 से अधिक उम्र वालों के लिए ज्यादा खतरनाक
  • जो पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित हैं उनमें भी संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा
  • गर्भवती महिलाएं जिन की इम्यूनिटी पावर काफि वीक है उन पर भी कोरोनावायरस जल्दी और गहरा असर छोड़ सकता है.
  • छोटे बच्चों में भी संक्रमण फैलने का खतरा

कोरोना संकट के दौर और संक्रमण काल में समाज पर अच्छा और बुरा दोनों असर पड़ा है. ऐसे में जरूरत है कि हम कोरोना को लेकर जागरूक रहे आतंकित न हों.

रायपुर: कोरोना वायरस विश्व संकट बन चुका है. छत्तीसगढ़ में भी कोविड 19 के मामलों में लगातार वृद्धि जारी है. अच्छी बात ये है कि संक्रमितों के आंकड़ों के साथ-साथ प्रदेश में रिकवरी दर भी अच्छा है. लेकिन कोरोना से जंग जीत कर घर लौट रहे लोगों के साथ भेदभाव की खबरें भी सामने आ रही है. ETV भारत ने कोरोना से जंग जीत कर घर लौट चुके लोगों से बात की और उनके साथ हो रहे भेदभाव के बारे में जाना. सभी ने अपने-अपने अनुभवों को साझा किया.

कोरोना से रिकवर मरीजों के साथ भेदभाव

देश के अलग-अलग राज्यों से ऐसी खबरें लगातार आती है जहां संक्रमित मरीज के स्वस्थ होने के बावजूद समाज के लोग उनके साथ भेदभाव करते हैं. उनके घर में काम करने वाले हो या वे जब रोजाना का सामान लेने किराना स्टोर पर पहुंचते हों, उन्हें समाज की तरफ से भेदभाव का सामना करना पड़ता है. हमने रायपुर में भी लोगों के बीच जाकर ये जानने की कोशिश की क्या वाकई लोग इस तरह के भेदभाव का सामना कर रहे हैं.

इस पर कांग्रेस नेता सुबोध हरितवाल ने बताया कि कोरोना के खिलाफ जंग जीते उन्हें 1 महीने से भी ज्यादा का वक्त हो गया है, बावजूद इसके लोगों का भेदभाव वाला रवैया अभी भी बरकरार है. उन्होंने बताया कि "आसपास के लोगों ने तो काफी साथ दिया लेकिन मैं एक जनप्रतिनिधि के तौर पर जब लोगों के पास जाता हूं या अब लोगों से मिलने जाता हूं तो लोग मुझे देखकर मास्क चढ़ा लेते हैं. मुझे देखकर वे लोग दूरी बनाने लगते हैं. जबकि संक्रमित पाए जाने के बाद दो बार हमारा टेस्ट किया जाता है, नेगेटिव आने पर ही हमें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाता है."

पत्रकार ने साझा किए अनुभव

इसके बाद ETV भारत की टीम ने कोरोना से स्वस्थ हो चुके पत्रकार अनिरुद्ध दुबे से बात की तो उन्होंने बताया कि "इस दौरान हमें दो तरीके के लोगों से मिलने का मौका मिला. एक वो जो मुश्किल समय में हमारे साथ खड़े थे और दूसरे वो जिन्होंने हमारे खिलाफ लोगों को भड़काने का काम किया. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि घर में काम करने आने वाली सर्वेंट अब नहीं आती. क्योंकि दूसरे लोगों ने कहा कि अगर वो मेरे घर में काम करेगी तो उन्हें अपने घर में काम करने नहीं दिया जाएगा.

आगे उन्होंने बताया कि हमारे घर जो दूध देने आता था उससे भी यही कहा जाने लगा. हालांकि वह अभी भी हमें दूध देता है. वह हमसे डिस्टेंस मेंटेन करता है. मैं पास के दुकान में ही सामान लेने जाता हूं तो वह लोग भी मुझे देख कर अपना मास्क चढ़ा लेते हैं. आज मुझे डेढ़ महीने से अधिक हो गया है मैं स्वस्थ होकर घर लौट आया हूं बावजूद इसके लोग मुझे अभी कोरोना संक्रमित ही समझते हैं."

कांग्रेस नेता नितिन भंसाली ने शेयर किए अपने अनुभव

कांग्रेस नेता नितिन भंसाली ने बताया कि "मेरे परिवार से तो कोई भेदभाव नहीं किया गया. लेकिन मेरी पड़ोस की एक महिला है जो लगातार मेरे घर में काम करने वाले कर्मचारियों को कहती है कि वह आखिर मेरे घर काम करने क्यों आते हैं. जब वह कहते हैं कि मैं स्वस्थ होकर घर लौट चुका हूं, अब उनको मुझसे कोई खतरा नहीं है, तो वह पूछते हैं कि आखिर मैं कैसा दिखता हूं. लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोरोना एक बीमारी है, कोई अपंगता नहीं. लोगों में अभी भी इस बीमारी को लेकर जादरूकता की कमी है."

इसके अलावा जब हमने मंगल बाजार में जाकर लोगों से बात की तो उनका कहना था कि लोग हमसे दूरी बनाकर रहते थे. लेकिन धीरे-धीरे लोगों को भी समझ में आने लगा है कि हम पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं. फिर भी पहले की तरह लोग हमें नहीं अपनाते हैं.

पढ़ें- कोरोना से राजनीतिक गलियारे में हड़कंप, बघेल कैबिनेट के कई मंत्री होम आइसोलेट


WHO के मुताबिक इस तरह फैल सकता है कोरोना -

  • किसी संक्रमित आदमी को छूने से
  • बिना मास्क के घूमने के
  • सैनिटाइजर या हैंडवॉश इस्तेमाल न करने से
  • अधिक लोगों के संपर्क में आने से



किनके लिए खतरनाक-

  • 60 से अधिक उम्र वालों के लिए ज्यादा खतरनाक
  • जो पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित हैं उनमें भी संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा
  • गर्भवती महिलाएं जिन की इम्यूनिटी पावर काफि वीक है उन पर भी कोरोनावायरस जल्दी और गहरा असर छोड़ सकता है.
  • छोटे बच्चों में भी संक्रमण फैलने का खतरा

कोरोना संकट के दौर और संक्रमण काल में समाज पर अच्छा और बुरा दोनों असर पड़ा है. ऐसे में जरूरत है कि हम कोरोना को लेकर जागरूक रहे आतंकित न हों.

Last Updated : Sep 1, 2020, 5:20 PM IST
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