रायपुर: आज 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' है. हर 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे मनाया जाता है. भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लोकतंत्र का मतलब जनता ही अपना प्रतिनिधि चुनती है. लेकिन भारत में चुनाव के वक्त मतदाताओं का रुझान कम देखने को मिला. इस महापर्व में हिस्सा लेने घरों से कम ही लोग निकलते, ऐसे में भारत सरकार ने वर्ष 2011 से हर चुनाव में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस 25 जनवरी’ को ही 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के रूप में मनाने की शुरुआत की थी.
राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2020 है 'Electoral Literacy for a Stronger Democracy' यानी 'निर्वाचन जागरूकता, सशक्त लोकतंत्र'. सीधे तौर पर कहें तो लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन को मनाया जाने लगा.
क्यों मनाया जाने लगा 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस'
- मतदाता दिवस का आयोजन 25 जनवरी 2011 से शुरू हुआ.
- इस दिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ का शुभारंभ किया था.
- विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में मतदान को लेकर कम होते रुझान को देखते हुए चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया था.
- इसके मनाए जाने के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य था कि देश भर के सभी मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष उन सभी पात्र मतदाताओं की पहचान की जाएगी, जिनकी उम्र एक जनवरी को 18 वर्ष हो चुकी होगी.
- इस सिलसिले में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज किए जाएंगे और उन्हें निर्वाचन फोटो पहचान पत्र सौंपे जाएंगे.
- पहचान पत्र बांटने का काम सामाजिक, शैक्षणिक व गैर-राजनीतिक व्यक्ति करेंगे.
- भारत में वोटिंग के लिए 18 साल की आयु सीमा निर्धारित है. 18 का होने पर व्यक्ति को मताधिकार प्राप्त हो जाता है.
छत्तीसगढ़ में जागरूक हुए लोग
बात अगर छत्तीसगढ़ के संदर्भ में करें तो यहां भी स्थानीय प्रशासन द्वारा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं. पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने बढ़-चढ़ लोकतंत्र के पर्व में हिस्सा लिया है. दोनों चुनावों में 70 फीसदी से ज्यादा मतदान दर्ज किया गया था. दूर-दराज से, नाव से, पैदल चलकर लोग वोट डालने पहुंचे थे. बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में भी लोगों ने बढ़-चढ़कर वोटिंग की थी.
मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने में समय-समय पर चलाए जाने वाले अभियानों, जागरूकता कार्यक्रमों और दिग्गजों की अपील ने भी काफी असर डाला है. पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले लोगों में वोट डालने के लिए, अपना नाम वोटिंग लिस्ट में जुड़वाने के लिए उत्सुकता देखी जा सकती है.