रायपुर: बाल यौन शोषण समाज की गंभीर समस्याओं में से एक है, बावजूद इसके लोग इस समस्या के बारे में खुलकर बात करने से कतराते हैं. आज भी कई लोगों की मानसिकता यहीं है कि बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और शोषण की बातें घर की चारदीवारी के अंदर रहे तो ही बेहतर है. हालांकि अब लोग इस मुद्दे को लेकर जागरूक भी हो रहे हैं, जिसका परिणाम पिछले 3 सालों में देखने को मिला है. राजधानी रायपुर में पहले के मुकाबले बाल यौन शोषण के मामलों में कमी आई है.
भारत में हर साल बाल यौण शोषण के मामले बढ़ रहे हैं. चिंता का विषय ये है कि आधे से ज्यादा मामले यहीं सोच कर दर्ज नहीं कराए जाते कि इस घटना के चलते परिवार की बदनामी होगी. समाज में कई लोग बच्चों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और शोषण को जानते हुए भी नजरअंदाज कर देते हैं. हमारे कानून में बाल यौन शोषण के खिलाफ सख्त कानून है, जिसका नाम है पॉक्सो एक्ट. इस एक्ट के तहत सजा के कड़े प्रावधान हैं.
ईटीवी भारत ने बाल यौन शौषण के मामले में राजधानी के अधिवक्ता मनोज सिंह ठाकुर से बात की. अधिवक्ता ने बताया कि बाल यौन शोषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट बहुत ही अच्छा कानून है. इसके तहत सबसे पहले FIR दर्ज की जाती है. जिसके बाद जांच प्रक्रिया और एमएलसी कराई जाती है. ऐसे मामलों में अगर जांच अधिकारी तुरंत FIR दर्ज नहीं करता तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है.
पॉक्सो एक्ट के तहत होती है कार्रवाई
अधिवक्ता ने आगे ये भी बताया कि नाबालिग लड़की होने पर फीमेल के द्वारा मेडिकल चेकअप किया जाता है. साथ ही कानूनी और न्यायालयीन प्रक्रिया के दौरान पीड़ित बच्चे को परिजनों के साथ ही रखा जाता है. परिजनों की उपस्थिति में ही न्यायालयीन प्रक्रिया पूरी की जाती है. लड़की होने पर इस पूरे मामले की सुनवाई महिला जज पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ करती हैं. ऐसे मामलों में न्यायालय और कानूनी प्रक्रिया पूरी तरह से कैमरे के माध्यम से होती है. नाबालिक के साथ यौन शोषण के मामले में 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
सखी वन सेंटर भी लेता है मामले में संज्ञान
बाल यौन शोषण के मामले में महिला बाल विकास विभाग भी संज्ञान लेता है. सखी वन स्टॉप सेंटर में शोषण के शिकार हुए बच्चों को रखा जाता है. सखी सेंटर ऐसे मामलों में पीड़ित बच्चों और परिजनों की काउंसलिंग भी करते हैं. साथ ही समय-समय में उन्हें कानूनी जानकारियां भी दी जाती है. रायपुर जिले के सखी वन स्टॉप सेंटर में पिछले 6 सालों में बाल यौन शोषण के-
- 21 मामले किए गए दर्ज
- 18 मामलों का हुआ निराकरण, 3 पेंडिग
- 2015-16 में 3 मामले आए सामने
- 2016-17 में 4 मामले आए सामने
- 2017-18 में 6 मामले आए सामने
- 2018-19 में 4 मामले आए सामने
- 2019-20 में 3 मामले आए सामने
- 2020-21 में 1 मामला आया सामने
महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित सखी वन स्टॉप सेंटर में 2017-18 में जिले में सर्वाधिक 6 मामले यौन शोषण के थे. नाबालिक यौन शोषण के मामलों में एडिशनल एसपी वर्षा मिश्रा का कहना है कि रायपुर जिले में पिछले 3 सालों में बाल यौन शोषण के मामलों में कमी आई है. उन्होंने आगे बताया कि बाल यौन शोषण के मामलों में महिला पुलिस अधिकारी के द्वारा बयान लिया जाता है. ऐसे मामलों में पीड़ित या फिर पीड़िता का नाम गोपनीय रखा जाता है. एडिशन एसपी ने बताया कि बाल यौन शोषण के-
- 2018 में 440 मामले आए सामने
- 2019 में 380 मामले आए सामने
- 2020 में 309 मामले दर्ज किए गए
ये अफसोस की बात है कि बच्चों के यौन शोषण के मामले में अधिकतर परिवार या पहचान के लोग ही शामिल होते हैं, यहीं वजह है कि आजकल इसे लेकर अवेयरनेस बढ़ी है और बच्चों को इसे लेकर जागरूक भी किया जा रहा है.