रायपुर: छत्तीसगढ़ बनने से महज 5 दिन पहले रिलीज हुई छत्तीसगढ़ी फिल्म 'मोर छंइया भुंइया' को आज 20 साल पूरे हो गए. सुपर हिट छत्तीसगढ़ी फिल्म मोर छंइया भुंइया ने न केवल छत्तीसगढ़ को फिल्मी जगत को लाया, बल्कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी भाषा के बारे में बताया. मंगलवार को इस फिल्म को 20 साल पूरे हो गए. इस मौके पर फिल्म में विलन का किरदार करने वाले मनमोहन सिंह ठाकुर से ETV BHARAT ने खास बातचीत की.
वैसे तो मनमोहन सिंह ठाकुर हीरो बनना चाहते थे, लेकिन उन्हें खलनायक के लिए चुना गया. मनमोहन सिंह ने बताया कि मैं हीरो बनने गया था. हीरो बनना चाहता था, लेकिन सतीश जी को मेरे आंखों के अंदर एक निगेटिव लुक नजर आया. तो शायद उनकी जो मोर छंइया भुंइया फिल्म थी, उसके कैरेक्टर गिरधारी पांडेय के कैरेक्टर में फिट बैठता था. मैंने बोला कि मैं हीरो बनना चाहता हूं, उन्होंने कहा कि नहीं तुम्हारा लुक निगेटिव है. निगेटिव लीड करेगा, तो इस तरह से मेरा सलेक्शन हुआ. उसके बाद उन्होंने लगातार 36 फिल्मों में विलेन और हीरो का किरदार निभाया.
27 दिनों तक सभी एक साथ रुके
शूटिंग को लेकर मनमोहन सिंह ठाकुर बताते हैं कि जिन लोगों को फिल्मों में साइन किया जा रहा था, उसमें एक शर्त यही थी कि सभी को 27 दिनों तक एक ही जगह पर रहना है. इसके लिए वहां पर पहले से ही रेंट पर जगह ली गई थी, जहां पर हम सब ही रहते थे. वह बताते हैं कि हम सब एक-दूसरे के साथ रहते थे और एक-दूसरे के साथ रहते-रहते परिवार के दूसरे सदस्य की तरह लगने लगे थे.
'जब चोपड़ा साहब ने हटवा दी थी मोहब्बतें'
खलनायक की भूमिका अदा करने वाले मनमोहन सिंह ठाकुर ने फिल्म से जुड़ी एक रोचक किस्सा साझा करते हुए बताया कि चंद्रा टॉकीज भिलाई में मोर छंइया भुंइया फिल्म लगी थी. तो ऊपर में मौर्या में मोहब्बते लगी थी और नीचे में मोर छंइया भुंइया लगी हुई थी, तो चंद्रा टॉकीज हाऊसफुल हो जाती थी, ये बात जब यश चोपड़ा साहब को पता चली तो उन्होंने अपनी फिल्म उतरवा दी थी.
छोटे कलाकारों को मौका मिलने से होती है खुशी
मनमोहन बताते हैं कि कव्वाली वाले सीन के समय उनकी ओर से बोला गया एक डायलॉग बेहद फेमस है. उस डायलॉग के वक्त और उस दिन उन्होंने जो कपड़ा पहना था, उसे उन्होंने आज भी संभाल कर रखा है. वह बताते हैं कि हम जैसे छोटे कलाकारों को जब ऐसा मौका मिलता है तो वाकई हम लोगों को बेहद खुशी होती है.
'जब फिल्म आई, फिल्म हिट हुई'
मनमोहन सिंह कहते हैं कि फिल्म से पहले हम छोटे कलाकार हुआ करते थे, तो लोग हमें थोड़े बहुत जानते थे, लेकिन जब फिल्म आई तो फिल्म हिट हुई, तो अब हर बच्चा, हर गली, हर मोहल्ले के लोग हमें जानने लगे हैं. कहीं ना कहीं यह एक अच्छा अनुभव रहा. उस फिल्म में काम करने के बाद मैंने छत्तीसगढ़ी और कई फिल्मों में काम किया और मुझे महसूस हुआ की कला से मुझे कितना लगाव है.