रायपुर : पूरे प्रदेश में 20 जून से मानसूनी बारिश सक्रिय हो गया है.मानसूनी बारिश के बाद ही किसान अपने खेतों में धान बीज और दलहन तिलहन की बीज लगाते हैं. प्रदेश के किसान कैसे और किस विधि से धान बीज सोयाबीन अरहर मूंग और मूंगफली की बुवाई और रोपाई करें. जिससे उन्हें उसकी फसल का अच्छा उत्पादन मिल सके. कृषि वैज्ञानिक धान बीज को लगाने के लिए तीन पद्धति बताए (Sowing of pulses oilseeds and paddy in monsoon season) हैं.
फसल लगने की क्या हैं पद्धतियां : छत्तीसगढ़ के किसान रोपा पद्धति से धान लगा सकते हैं. इस पद्धति से धान लगाने पर खरपतवार वहीं खत्म हो जाता (Sowing of paddy by planting method in Chhattisgarh) है. दूसरी पद्धति लेही पद्धति कहलाती है. इस पद्धति में धान को अंकुरित करके सीधे खेत में छिड़काव किए जाता है. यह पद्धति किसानों के लिए कारगर (Sowing of paddy in Chhattisgarh by Lehi method) है. धान लगाने की तीसरी पद्धति SRI मेथड या कास्टर मेथड कहलाती है. इस पद्धति में प्लान करने के बाद भी फसल नहीं लगा पाए हैं तो कहीं ना कहीं रोपा या थरहा काफी कम हो जाता है. इस पद्धति में 20 -20 सेंटीमीटर की दूरी में धान को लगाया जाता है. जो 12 से 15 दिन का थरहा को रोपा जाता है.
बारिश में करें धान की बुवाई : कृषि वैज्ञानिक डॉ घनश्याम दास साहू (Agricultural Scientist Dr Ghanshyam Das Sa) ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में दलहन और तिलहन की फसलों को कैसे और किस विधि से लगाया जाए जिससे किसानों को इसका उत्पादन अधिक मिल सके. उन्होंने बताया कि दलहन में मुख्य रूप से सोयाबीन, मूंग, उड़द, अरहर और तिलहन की फसलों में तिल और रामतिल की फसल लगाने के लिए अच्छा समय है. बारिश होने के कारण खेत में नमी है. ऐसे में किसान इन फसलों को लगा सकते हैं. क्योंकि अगर इसके बाद बारिश बंद होती है तो जमीन में नमी नहीं रहेगी और जमीन फिर से सूख जाएगी"
कैसे पाएं अच्छी फसल : कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि "प्रदेश के किसान अरहर की कतार बद्ध बोनी का काम शुरू कर सकते हैं. 80-80 सेंटीमीटर या फिर एक 1-1 मीटर की दूरी पर अरहर की कतार बद्ध बोनी की जा सकती है. इसके साथ ही प्रदेश के किसान इन दिनों में तिल और रामतिल की बोनी खेत के मेड और भर्री जमीन पर भी कर सकते हैं. इसके साथ ही सोयाबीन मूंग और उड़द उस जमीन पर करना चाहिए जहां पर पानी का जमाव न हो. लगभग 15 किलो मूंग का बीज और 20 किलो उड़द का बीज ढाई एकड़ यानी एक हेक्टेयर में लगाई जा सकती है. बीजों को कतारबद्ध बुवाई करने से खरपतवार को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है कतार बद्ध बोनी करने से किसानों को इसका उत्पादन भी अच्छा मिलेगा.''