रायपुर: राजधानी रायपुर में रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट से जोड़ने के लिए शहर के बीचों-बीच व्यस्ततम इलाकों से गुजरने वाला एक्सप्रेस-वे अब तक अटका-लटका नजर आ रहा है. इससे पहले प्रदेश की सत्ता पर काबिज रमन सरकार ने अपनी तीसरी पारी के अंतिम पड़ाव में बेहद तेजी से इस एक्सप्रेस-वे का 70 फीसदी निर्माण करा दिया था और एक तरह से तेलीबांधा इलाके से लेकर रायपुर रेलवे स्टेशन तक इस मार्ग को यातायात के लिए भी शुरू कर दिया गया था.
2018 के आखिरी में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाबी कांग्रेस के हाथ में आ गई. कांग्रेस ने आते ही बीजेपी सरकार की ओर से शुरू किए गए प्रदेश के कई प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान लगाकर जांच दल गठित कर दी. इसी जांच दल ने एक्सप्रेस-वे में भारी गड़बड़ी की बात कहते हुए इसे तत्काल बंद करा दिया और इसे कई जगहों से गुणवत्ताविहीन निर्माण का आरोप लगाकर तोड़ भी दिया गया. पिछले डेढ़ साल से ज्यादा वक्त से यह एक्सप्रेस-वे अपने निर्माण के पूर्ण होने की राह देख रहा है.
नैरोगेज लाइन के ऊपर बनाया गया एक्सप्रेस-वे
रायपुर-केंद्री एक्सप्रेसव-वे परियोजना बीजेपी सरकार का ड्रीम प्रोजक्ट था. रायपुर रेलवे स्टेशन से धमतरी की ओर जाने वाली नैरोगेज लाइन को हटाकर उसके ऊपर एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया गया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 300 करोड़ थी, लेकिन बीच में ही इस निर्माण कार्य के रुकने और फिर उसे तोड़ने से इसकी लागत और भी बढ़ने का अनुमान है. वहीं आधे-अधूरे ड्रीम प्रोजेक्ट के पूरा होने पर आम जनता को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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एक्सप्रेस-वे में मिली थी कई खामियां
गौरतलब है कि राजधानी से छोटी लाइन पर 300 करोड़ की लागत से बने एक्सप्रेस-वे में तेलीबांधा ओवर ब्रिज का एक हिस्सा 11 अगस्त 2019 को धंस गया था, जिस पर शासन ने जांच के आदेश दिए थे. सीटीआई और एनआईटी के विशेषज्ञों ने एक्सप्रेस-वे की रोड, एप्रोच रोड, ब्रिज एलाइनमेंट, ब्रिज में पानी की निकासी व्यवस्था, रोलिंग, गिट्टी की मिक्सिंग और ब्रिज के दोनों तरफ की रिटेनिंग वॉल की जांच की. शासन की रिपोर्ट में एप्रोच रोड का कॉमपेक्शन फेल था, वहीं रिटेनिंग वॉल खराब पाई गई. इसके बाद शासन ने जिम्मेदार पर कार्रवाई कर दोबारा एक्सप्रेस-वे का काम शुरू करवाया था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान यह काम बंद हो गया था.
काफी धीमी गति से हो रहा निर्माण कार्य
हालांकि लॉकडाउन में मिली ढील के बाद एक बार फिर सरकार की ओर से इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण का कार्य शुरू किया गया है. लेकिन इस निर्माण कार्य की गति को देखकर लगता नहीं है कि यह एक्सप्रेस में जल्द शुरू हो पाएगा. लोगों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे का निर्माण होने से स्टेशन आने-जाने वाले लोगों के लिए समय की भारी बचत होती. वहीं पंडरी, देवेंद्र नगर, फाफाडीह जैसे व्यस्त इलाकों में ट्रैफिक का दबाव भी कम होता. लोगों को इंतजार है कि एक्सप्रेव-वे का निर्माण कार्य जल्द पूरा कराकर इसे आम लोगों के लिए खोला जाए.
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कांग्रेस सरकार ने रोके बीजेपी शासनकाल के निर्माण कार्य
कांग्रेस सरकार ने इसके निर्माण कार्य को फिर से शुरू कराने और इसे जल्द पूरा करने के प्रति उदासीनता ही दिखाई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि कांग्रेस सरकार के आते ही बीजेपी शासनकाल में शुरू किए गए सारे निर्माण कार्य रोक दिए गए. उसी में से एक है एक्सप्रेस-वे भी है, जिसका निर्माण कार्य बीजेपी के शासन कार्य में किया गया था. लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे पूरा कराने के बजाय तोड़ दिया. सच्चिदानंद उपासने ने बताया कि वर्तमान में जिस गति से एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, उसे देखते हुए तो यही लग रहा है कि आने वाले समय में जब हमारी सरकार आएगी तभी यह एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य पूर्ण होगा.
बीजेपी ने श्रेय लेने के लिए जल्दबाजी में एक्सप्रेस-वे को बनवाया
एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में हो रही लेट-लतीफी को लेकर प्रदेश सरकार के मंत्री रविंद्र चौबे ने बीजेपी पर बड़े आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने चुनाव के समय श्रेय लेने के लिए जल्दबाजी में इसका निर्माण कराया. वहीं बीजेपी शासन कार्य में निर्माण कार्य रोके जाने के बीजेपी के आरोपों पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने काह कि बीजेपी के लोग अपने पाप को खुद ढोने के बारे में कह रहे हैं, लेकिन ऐसी स्थिति हमारी सरकार में नहीं आएगी.
स्काई वॉक पर भी सरकार ने लगाया है रोक
बता दें कि शहर में एक्सप्रेस-वे ही एकमात्र ऐसा प्रोजेक्ट नहीं है, जिसके निर्माण कार्य पर ब्रेक लगा हो. स्काई वॉक का भी यही हाल है. पहले सरकार ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई. इसके बाद जनता से इसकी आवश्यकता के बारे में सुझाव मांगे. बहरहाल भूपेश सरकार को यह सोचना ही होगा कि अटके-लटके प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द कैसे पूरा किया जाए.