गरियाबंद: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ग्रामीण इलाकों में भी कहर बनकर टूट रही है. शहर के अलावा अब ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में संक्रमित मिल रहे हैं. गांवों में कोरोना वायरस को लेकर दहशत का माहौल है. ईटीवी भारत की टीम ने गरियाबंद के 3 गांवों में हालातों का जायजा लिया. ईटीवी भारत की टीम मालगांव, बेहराबुड़ा और मड़ेली गांव पहुंची.
800 की आबादी वाले मालगांव में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. कोरोना के खौफ ने लोगों के दिल- दिमाग में घर कर लिया है. लोग अब अपने घरों से निकलने से डरने लगे हैं. वहीं लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. गांव में ज्यादातर लोग किसानी करते हैं. जो पैरी नदी के किनारे सब्जी, तरबूज उगाते हैं. किसान जितेंद्र साहू ने बताया कि फसल में कीड़े लगे थे, जिन्हें मारने दवा की सख्त जरूरत थी, लेकिन लॉकडाउन लग गया. कोई दुकान खुली नहीं थी और सब्जी की फसल का एक बड़ा हिस्सा कीड़ों ने तबाह कर दिया. बची-कुची फसल बेचने की उम्मीद भी लॉकडाउन ने तोड़ कर रख दी. गरियाबंद में बाजार बंद है. आसपास के गांवों के साप्ताहिक बाजार भी पूरी तरह बंद है. एक अकेला व्यक्ति गांव-गांव घूमकर कितनी सब्जी बेच पाएगा. 80% सब्जी बाड़ी में पड़ी-पड़ी खराब हो चुकी है.
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किसानों की टूटी कमर
तरबूज उगाने वाले किसान गणेश राम निषाद ने बताया कि फसल बेचने का समय आया तो लॉकडाउन लग गया. अब ना गरियाबंद में बाजार खुल रहा है. ना गांव-गांव घूमने पर तरबूज बिक पा रहा है. जो तरबूज 80 रुपये में बेच रहे थे उसे 20 रुपये में बेचने को मजबूर है.
गांव की सड़कें बंद
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम बहराबुड़ा गांव पहुंची. कोरोना का डर ऐसा कि गांव के बाहर ही सड़कें बंद कर दी गई हैं. लिखा गया है 'बाहरी व्यक्तियों का गांव में प्रवेश वर्जित है'. बाहरी व्यक्ति को गांव में एंट्री नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि जब भी कोई गरियाबंद से गांव लौटता है, तो उसे पहले गांव के बाहर तालाब या बोरिंग में नहाने भेजा जाता है. बाहर के कपड़े बाहर धोने पड़ते हैं, तब उसे घर में प्रवेश दिया जाता है.
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कोरोना से दहशत का माहौल
सरपंच मनीष ध्रुव ने बताया कि कोरोना संक्रमण से कई लोगों की जान भी जा चुकी है. हम लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन करवा रहे हैं. ताकि हमारे गांव को इस बीमारी के प्रकोप से बचाया जा सके. हमने हैंडपंप में भी यह नियम कर दिया है कि एक महिला जब पानी भर कर वहां से हटेगी तभी दूसरी महिला उसमें पानी भरेगी. हमसे जो बन पड़ रहा है, सब कुछ कर रहे हैं. पहले हमारे गांव में बीमार पड़ने पर भी लोग जांच नहीं कराया करते थे. लेकिन अब लोग बीमार पड़ते ही तत्काल जांच करा रहा रहे हैं.
गांव को सैनिटाइज करवा रहे ग्रामीण
मड़ेली में ग्रामीणों ने गांव को खुद सैनिटाइज कराया है. ट्रैक्टर के जरिए गांव की गलियों को सैनिटाइज करवाया जा रहा है. पहले इस बीमारी के प्रति लोगों में इतनी जागरूकता नहीं थी, अब लोग जागरूक हो चुके हैं और इस संक्रमण से बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.