रायपुर: रामनवमी के मौके पर सुप्रसिद्ध भजन गायिका मैथिली ठाकुर रायपुर पहुंची. इस दौरान मैथिली के पिता और छोटे भाई ऋषभ और अयाची भी उनके साथ थे. मैथिली ठाकुर ने अपने भजनों से रायपुरियंस का दिल जीत लिया.
रामजी के ननिहाल आकर खुश हूं: मैथिली ठाकुर ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में पहली बार मेरा कार्यक्रम हो रहा है. मैं बहुत खुश हूं. मुझे जानकारी मिली कि यह भगवान राम का ननिहाल है. हम वहां से आते हैं, जहां भगवान राम का ससुराल है. मैं बहुत खुश हूं कि रामनवमी के मौके पर मुझे श्री राम के ननिहाल आने का मौका मिला. रामजी के ननिहाल आकर खुश हूं." मैथिली ने बताया कि "आज मैं जो भी कुछ हूं अपने पिता की बदौलत हूं. मेरे पिता ने ही मुझे गाना सिखाया है."
अब लोग धर्म की ओर बढ़ रहे हैं: मैथिली ने बताया कि समय बहुत बदल गया है. पहले बच्चे वेस्टर्न कल्चर के पीछे भागते थे, लेकिन मैंने पिछले 7-8 सालों में देखा है कि लोग धर्म की ओर बढ़ रहे हैं. धर्म की ओर जागरूक हो रहे हैं. ये अच्छी बात है. धर्म को बचाने के लिए हर दिन नई चीजें हो रही है. हाल ही में मैं अयोध्या होकर आई हूं. वहां राम मंदिर निर्माण हो रहा है.जनकपुर गई, मैहर जाना हुआ, मैने देखा कि सिर्फ बड़े उम्र के नहीं बल्कि छोटी उम्र के लोग भी अब भगवान के उपासक बन रहे हैं. आज लोग धर्म को बचाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं."
भजन गाने की प्रेरणा दादाजी से मिली: मैथिली ठाकुर ने बताया कि "मुझे यह जल्दी एहसास हो गया कि मुझे क्या पसंद है. मैं भजन और अपना लोकगीत गाना चाहती हूं. इस क्षेत्र में मैं आगे बढ़ रही हूं. मेरे दादा दिन-रात भजन ही गाते हैं. जब मैं गांव जाती हूं, वो मुझे एक दो नए भजन सिखा देते हैं. भजन गाने की प्रेरणा मुझे मेरे दादाजी से मिली है."
कला और राजनीति अलग-अलग: मैथिली ठाकुर ने बॉलीवुड में बायकॉट को लेकर कहा कि" हम सभी का जो कर्तव्य है, उसे लेकर हमें काम करना चाहिए. राजनीति एक अलग चीज है. राजनीति और कला दोनों को मिलाना नहीं चाहिए.
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7 साल की उम्र में सीखना शुरु किया: मैथिली ठाकुर ने बताया" मैं बिहार की रहने वाली हूं. जब मैं 7 साल की थी, तब मेरे पापा हमें दिल्ली लेकर आ गए थे. मेरे पापा एक म्यूजिक टीचर हैं. उन्होंने ही हमें संगीत की शिक्षा दी है. मैं जब भी गीत गाती हूं, तब मैं ये नहीं सोचती कि आज का कार्यक्रम मुझे शानदार करना है या लोगों को भजन गाकर झुमाना है. जब भी मैं मंच पर जाती हूं तो सबसे पहले मैं यह सोचती हूं कि मुझे बहुत अच्छे से गाना है. भजन से लोगों को कनेक्ट करना है. गीत से जो चीज मैंने महसूस की है, सुनने वाले भी वैसी चीजें महसूस करें."
भजन से लोगों को प्रभावित करना मेरा लक्ष्य: मैथिली ठाकुर ने बताया "मैंने जैसा सोचा था. वैसा ही होता जा रहा है. धीरे-धीरे मैं अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही हूं. मुझे लगता है कि मैं सही रास्ते पर चल रही हूं. लोगों का प्यार और सम्मान मुझे मिल रहा है. लोग भजन सुनने के लिए एकत्रित हो जाते हैं. लोगों का प्यार मिल रहा है. ये मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अपने भजन से लोगों को प्रभावित करना मेरा लक्ष्य है."
सभी का मिल रहा सहयोग: मैथिली ने कहा कि "मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा जन्म ऐसे परिवार में हुआ, जहां सभी लोग संगीत से जुड़े हुए हैं. मेरे पापा मुझे पढ़ाई के लिए ज्यादा टोकते नहीं हैं. उनका कहना है कि रियाज मत छोड़ो और हमेशा रियाज करते रहो. जब आप एक काम ध्यान लगा कर करते हो तो पढ़ाई अपने आप होती है. मेरे पिताजी, मेरे दोनों भाई, मेरी मां सभी का इसमें बेहद सहयोग रहता है."
मैं खुद वीडियो एडिटिंग करती हूं: मैथिली ठाकुर ने बताया कि वो अपना सोशल मीडिया खुद ही हैंडल करती हैं. अब तक सोशल मीडिया में जितने वीडियो पोस्ट हुए हैं. उसे रिकॉर्ड करने के साथ-साथ उसे पब्लिश और एडिट खुद करती हूं. मैंने सोशल मीडिया के लिए किसी टीम को हायर नहीं किया है.