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क्या है सिकल सेल रोग?, जिसके छत्तीसगढ़ में 25 लाख से ज्यादा लोग हैं मरीज - sickle cell disease treatment

सिकल सेल डिजीज (Sickle cell) खून की एक खतरनाक बीमारी है. इस बिमारी के छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में मरीज पाए जाते हैं. खून में जींस के अनेक सेट होते हैं, जो हमें सभी अपने माता-पिता से मिलते हैं. देश में 25 लाख से ज्यादा लोग सिकल सेल से प्रभावित हैं

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सिकल सेल रोग
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Published : Aug 22, 2021, 8:06 PM IST

Updated : Aug 22, 2021, 9:07 PM IST

रायपुर: सिकल सेल डिजीज (Sickle cell) खून की एक खतरनाक बीमारी है. इस बिमारी के छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में मरीज पाए जाते हैं. खून में जींस के अनेक सेट होते हैं, जो हमें सभी अपने माता-पिता से मिलते हैं. प्रत्येक सेट आपके शरीर में खास भूमिका निभाता है. जैसे आंखों के रंग का निर्धारण, त्वचा के रंग को तय करना आदि. जींस के एक अन्य सेट द्वारा यह भी निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसी बनी हैं. वह किस प्रकार से काम करती हैं. यह एक ऐसी विशेषता है जिसे अपनी आंखों से नहीं देख सकते.

सिकल सेल रोग

प्रदेश में 25 लाख से ज्यादा लोग सिकल सेल से प्रभावित

सिकल सेल बीमारी वास्तव में विभिन्न प्रकार के रक्त विकारों के समूह को कहा जाता है. जो सिकल हीमोग्लोबिन से होता है. विभिन्न प्रकार के सिकल सेल रोग होते हैं. इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स यानी खून की लाल कोशिका विकृति का शिकार होती है और हसिए के आकार की हो जाती हैं. ऐसे मरीजों की औसत उम्र 48 साल तक होती है. यह बीमारी अनुवांशिक है, यानी यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है. बता दें कि हर दिन प्रदेश में 150 से ज्यादा मरीज ओपीडी में इस बीमारी को लेकर पहुंचते हैं. जिसमें से 20 फीसदी नए मरीज होते हैं. इस बीमारी से छत्तीसगढ़ में 25 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं.और हर साल 1 फ़ीसदी मरीज इस बीमारी के प्रदेश में बढ़ रहे हैं.

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जेनेटिक (Genetics) बीमारी होती है सिकल सेल

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. पी के गुप्ता ने बताया कि सिकल सेल एक अनुवांशिक खून की बीमारी है. इसमें शरीर की लाल रक्त कोशिका ऑक्सीजन की कमी के वजह से हसिए के शेप में हो जाता है. इस वजह से इसको सिकल सेल कहा जाता है. जो शरीर के किसी भी ऑर्गन में खून की धमनियों को ब्लॉक कर देता है. जिससे उस जगह दर्द होता है. वहां के टिशूज मर जाते हैं और भी काफी कॉम्प्लिकेशन होते हैं. यह बीमारी क्योंकि अनुवांशिक है, इसीलिए प्रदेश के कुछ खास जाति वर्गों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है. बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग जातियों में अगर शादी होती है तो इस बीमारी की संभावनाएं काफी कम हो जाती है, लेकिन जिन लोगों को यह बीमारी हो गई है. उनका इलाज सही समय पर करना बहुत जरूरी है. अगर इलाज सही समय पर नहीं हुआ तो ऑर्गन डैमेज होने का खतरा रहता है.

सिकल सेल बीमारी में ऑर्गन खराब होने का रहता है डर

सिकल सेल्स जब शरीर में बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं तो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द होना चालू हो जाता हैं. कभी जॉइंट में तो कभी पैर में दर्द होता है. बहुत सारे ऑर्गन में खून पहुंचना बंद हो जाता है. जैसे किडनी में दिल में, क्योंकि सिकल सेल खून की छोटी धमनियों को ब्लॉक कर देता है. ऐसे में उस ऑर्गन का काम धीमा हो जाता है जो शरीर के लिए काफी खतरनाक है. ऐसे में जल्दी ऑपरेशन करना बहुत जरूरी हो जाता है.

रायपुर: सिकल सेल डिजीज (Sickle cell) खून की एक खतरनाक बीमारी है. इस बिमारी के छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में मरीज पाए जाते हैं. खून में जींस के अनेक सेट होते हैं, जो हमें सभी अपने माता-पिता से मिलते हैं. प्रत्येक सेट आपके शरीर में खास भूमिका निभाता है. जैसे आंखों के रंग का निर्धारण, त्वचा के रंग को तय करना आदि. जींस के एक अन्य सेट द्वारा यह भी निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसी बनी हैं. वह किस प्रकार से काम करती हैं. यह एक ऐसी विशेषता है जिसे अपनी आंखों से नहीं देख सकते.

सिकल सेल रोग

प्रदेश में 25 लाख से ज्यादा लोग सिकल सेल से प्रभावित

सिकल सेल बीमारी वास्तव में विभिन्न प्रकार के रक्त विकारों के समूह को कहा जाता है. जो सिकल हीमोग्लोबिन से होता है. विभिन्न प्रकार के सिकल सेल रोग होते हैं. इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स यानी खून की लाल कोशिका विकृति का शिकार होती है और हसिए के आकार की हो जाती हैं. ऐसे मरीजों की औसत उम्र 48 साल तक होती है. यह बीमारी अनुवांशिक है, यानी यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है. बता दें कि हर दिन प्रदेश में 150 से ज्यादा मरीज ओपीडी में इस बीमारी को लेकर पहुंचते हैं. जिसमें से 20 फीसदी नए मरीज होते हैं. इस बीमारी से छत्तीसगढ़ में 25 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं.और हर साल 1 फ़ीसदी मरीज इस बीमारी के प्रदेश में बढ़ रहे हैं.

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जेनेटिक (Genetics) बीमारी होती है सिकल सेल

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. पी के गुप्ता ने बताया कि सिकल सेल एक अनुवांशिक खून की बीमारी है. इसमें शरीर की लाल रक्त कोशिका ऑक्सीजन की कमी के वजह से हसिए के शेप में हो जाता है. इस वजह से इसको सिकल सेल कहा जाता है. जो शरीर के किसी भी ऑर्गन में खून की धमनियों को ब्लॉक कर देता है. जिससे उस जगह दर्द होता है. वहां के टिशूज मर जाते हैं और भी काफी कॉम्प्लिकेशन होते हैं. यह बीमारी क्योंकि अनुवांशिक है, इसीलिए प्रदेश के कुछ खास जाति वर्गों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है. बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग जातियों में अगर शादी होती है तो इस बीमारी की संभावनाएं काफी कम हो जाती है, लेकिन जिन लोगों को यह बीमारी हो गई है. उनका इलाज सही समय पर करना बहुत जरूरी है. अगर इलाज सही समय पर नहीं हुआ तो ऑर्गन डैमेज होने का खतरा रहता है.

सिकल सेल बीमारी में ऑर्गन खराब होने का रहता है डर

सिकल सेल्स जब शरीर में बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं तो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द होना चालू हो जाता हैं. कभी जॉइंट में तो कभी पैर में दर्द होता है. बहुत सारे ऑर्गन में खून पहुंचना बंद हो जाता है. जैसे किडनी में दिल में, क्योंकि सिकल सेल खून की छोटी धमनियों को ब्लॉक कर देता है. ऐसे में उस ऑर्गन का काम धीमा हो जाता है जो शरीर के लिए काफी खतरनाक है. ऐसे में जल्दी ऑपरेशन करना बहुत जरूरी हो जाता है.

Last Updated : Aug 22, 2021, 9:07 PM IST
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