रायपुरः या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः...7 अक्टूबर गुरुवार के दिन शुभ चौघड़िया में माता के घटस्थापना (Ghatsthapana) की जाएगी. शारदीय नवरात्रि ( Sharadiya Navratri 2021 )का प्रथम दिन प्रतिपदा और नवरात्रि आरंभ दिवस के रूप में भी जाना जाता है. चित्रा नक्षत्र वैधृति योग बालव करण में घट स्थापन (Ghatsthapana) के साथ माता शैलपुत्री (Maa Shailputri) का पूजन किया जाता है.
कहा जाता है कि शैलपुत्री (Shailputri) हिमालयराज (Himalayaraj) की पुत्री हैं. शैल का अर्थ होता है चट्टान. हमारे जीवन में हमारा संकल्प चट्टान की भांति और हिमालय की तरह ऊंचा और सुदृढ़ होना चाहिए. हम जीवन में विकल्प रहित संकल्प की ध्वनि बने. ऐसी माता शैलपुत्री हमें प्रेरणा देती हैं.
Shardiya navratri 2021 : 7 अक्टूबर को सुबह इस मुहूर्त में करें कलश स्थापना
घटस्थापना का मुहुर्त
वहीं, इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक माना गया है. इसे अभिजीत मुहूर्त या अभिजित नक्षत्र भी माना गया है. ऐसी मान्यता है कि ऐसे ही शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा के अनन्य भक्त भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म भी हुआ था.
मां को श्वेत रंग है प्रिय
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री विनीत शर्मा ने ईटीवी से खास बातचीत के दौरान बताया कि माता शैलपुत्री को श्वेत रंग बहुत ही प्रिय है. सफेद फूल, सफेद मिठाई और चमकीली सफेद साड़ी से श्रद्धा पूर्वक और अनंत निष्ठा के साथ माता का शृंगार करना चाहिए. माता शैलपुत्री जीवन में स्थिरता प्रदान करती है. जो लोग जीवन में अस्थिर और भटकने वाले है. उनके जीवन में दुर्गा के इस रूप की आराधना करने पर ठहराव आता है. गुरुवार का शुभ दिन बहुत ही पवित्र माना गया है. इस दिन श्वेत या पीला आदि वस्त्र पहनकर मां दुर्गा की आराधना स्तुति करनी चाहिए. माता शैलपुत्री के हाथ में त्रिशूल और कमल रहता है. कमल सुख समृद्धि ऐश्वर्य कृति का प्रतीक है. त्रिशूल हमें पुरुषार्थ साहस और प्रचंड पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करता है.
बैल पर करती हैं मां सवारी
माता की सवारी नंदी बैल को माना गया है. माता शैलपुत्री की पूजा करने पर उत्तम वर की प्राप्ति होती है. ऐसे जातक जिनका चंद्रमा बहुत कमजोर है. नीच राशि का है. पाप ग्रहों से युक्त है. ऐसे जातको को शैलपुत्री की आराधना अनंत श्रद्धा से करनी चाहिए. माता के मुकुट में अर्धचंद्र शोभायमान है यह प्रयोग भक्तों को चंद्र के दोष से विमुक्त करती है ऐसे जातक जो बार-बार काम या नौकरी बदलते हैं, उन्हें मां दुर्गा के इस पवित्र उत्तम रूप की निश्चित तौर पर साधना करनी चाहिए. इस दिन यथासंभव निराहार अथवा एकासन कर प्रतिपदा के व्रत को उत्तम कोटि से प्रारंभ करना चाहिए.