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Sharadiya Navratri 2021: अष्टमी को कन्या पूजन से पहले जान लें ये खास नियम वरना...

नवरात्र (Navratri) में नौ दिनों (Nine day) तक मां शक्ति की आराधना (Shakti ki aaradhna) के बाद अष्टमी (Ashtami) को कन्या पूजन (Kanya pujan) का विधान है. इस दिन 2 से 10 वर्ष तक की कन्या का पूजन (Kanya pujan) करने के बाद भोजन कराने का विधान है.

Sharadiya Navratri 2021
शारदीय नवरात्र 2021
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Published : Oct 11, 2021, 4:23 PM IST

रायपुरः नवरात्र (Navratri) के नौ दिनों (Nine day) तक मां के नौ शक्ति (Nine Shakti) की आराधना की जाती है. इन नौ दिनों के उपवास के दौरान अष्टमी (Ashtami) को कन्या पूजन (Kanya pujan )किया जाता है. जिसका खास महत्व है.कहते हैं कि नवरात्र(Sharadiya Navratri 2021) के व्रत तभी सफल माने जाते हैं, जब कन्या पूजन विधि-विधान से संपन्न किया जाता है. कन्या पूजन के कई नियम शास्त्रों में बताये गये हैं.

वहीं कन्या को पूजन के बाद भोग का प्रसाद (Bhog ka prasaad) खिलाया जाता है. कई जगहों कन्या को भोजन में चना, हलवा, खीर और पूड़ियां खिलाई जाती है. उसके बाद कन्या को मनपसंद चीजें देकर विदा किया जाता है.

Sharadiya Navratri 2021: मां दुर्गा के ये प्रसिद्ध मंदिर, जहां होती है हर मुराद पूरी

आइए आज हम आपको कन्‍या पूजन के साथ कन्या को भोजन करवाने के नियम बताते हैं.....

  • कन्‍या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष की कन्‍याओं को सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है.
  • वैसे तो नवरात्र में कन्‍या भोज के लिए आदर्श संख्‍या 9 होती है, लेकिन लोग अपनी सामर्थ्‍य और श्रद्धा के अनुसार कम या फिर ज्‍यादा कन्‍याओं को भी भोजन करवा सकते हैं.
  • 9 कन्‍याओं को मां दुर्गा के 9 रूप मानकर पूजा की जाती है और इन सभी के नाम भी अलग-अलग होते हैं.
  • पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, 2 साल की कन्‍या को कन्‍या कुमारी और 3 साल की कन्‍या को त्रिमूर्ति माना जाता है.
  • 4 साल की कन्‍या को कल्‍याणी और 5 साल की कन्‍या को रोहिणी के रूप में पूजा जाता है.
  • 6 साल की कन्‍या को कालिका और 7 साल की कन्‍या को चंडिका के रूप में पूजा जाता है.
  • 8 साल की कन्‍या को शांभवी और 9 साल की कन्‍या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है.
  • वहीं 10 साल की कन्‍या को सुभद्रा कहा जाता है.
  • देवी पुराण के अनुसार नवरात्र में मां भवानी जितनी प्रसन्‍न कन्‍या भोज से होती हैं, उतनी प्रसन्‍न हवन और दान करने से भी नहीं होती हैं.
  • प्रसाद में कन्‍याओं को खीर, पूरी, हलवा, चना देना चाहिए और आदर पूर्वक उनके पांव धोने चाहिए.
  • कन्‍याओं को भोजन करवाने से पहले उसका भोग मां दुर्गा को जरूर लगाना चाहिए.
  • 9 कन्‍याओं के साथ एक बालक को भी लांगुरा के रूप में बैठाना चाहिए.
  • बालक को भैरवा बाबा का स्‍वरूप माना गया है.
  • कन्‍याओं को भरपेट भोजन करवाने के बाद उनको टीका लगाकर दक्षिणा देनी चाहिए.
  • कलाई पर रक्षा बांधकर विदा करना चाहिए.
  • विदा करते वक्‍त उनके पैर छूकर आशीर्वाद जरूर लें.

रायपुरः नवरात्र (Navratri) के नौ दिनों (Nine day) तक मां के नौ शक्ति (Nine Shakti) की आराधना की जाती है. इन नौ दिनों के उपवास के दौरान अष्टमी (Ashtami) को कन्या पूजन (Kanya pujan )किया जाता है. जिसका खास महत्व है.कहते हैं कि नवरात्र(Sharadiya Navratri 2021) के व्रत तभी सफल माने जाते हैं, जब कन्या पूजन विधि-विधान से संपन्न किया जाता है. कन्या पूजन के कई नियम शास्त्रों में बताये गये हैं.

वहीं कन्या को पूजन के बाद भोग का प्रसाद (Bhog ka prasaad) खिलाया जाता है. कई जगहों कन्या को भोजन में चना, हलवा, खीर और पूड़ियां खिलाई जाती है. उसके बाद कन्या को मनपसंद चीजें देकर विदा किया जाता है.

Sharadiya Navratri 2021: मां दुर्गा के ये प्रसिद्ध मंदिर, जहां होती है हर मुराद पूरी

आइए आज हम आपको कन्‍या पूजन के साथ कन्या को भोजन करवाने के नियम बताते हैं.....

  • कन्‍या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष की कन्‍याओं को सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है.
  • वैसे तो नवरात्र में कन्‍या भोज के लिए आदर्श संख्‍या 9 होती है, लेकिन लोग अपनी सामर्थ्‍य और श्रद्धा के अनुसार कम या फिर ज्‍यादा कन्‍याओं को भी भोजन करवा सकते हैं.
  • 9 कन्‍याओं को मां दुर्गा के 9 रूप मानकर पूजा की जाती है और इन सभी के नाम भी अलग-अलग होते हैं.
  • पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, 2 साल की कन्‍या को कन्‍या कुमारी और 3 साल की कन्‍या को त्रिमूर्ति माना जाता है.
  • 4 साल की कन्‍या को कल्‍याणी और 5 साल की कन्‍या को रोहिणी के रूप में पूजा जाता है.
  • 6 साल की कन्‍या को कालिका और 7 साल की कन्‍या को चंडिका के रूप में पूजा जाता है.
  • 8 साल की कन्‍या को शांभवी और 9 साल की कन्‍या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है.
  • वहीं 10 साल की कन्‍या को सुभद्रा कहा जाता है.
  • देवी पुराण के अनुसार नवरात्र में मां भवानी जितनी प्रसन्‍न कन्‍या भोज से होती हैं, उतनी प्रसन्‍न हवन और दान करने से भी नहीं होती हैं.
  • प्रसाद में कन्‍याओं को खीर, पूरी, हलवा, चना देना चाहिए और आदर पूर्वक उनके पांव धोने चाहिए.
  • कन्‍याओं को भोजन करवाने से पहले उसका भोग मां दुर्गा को जरूर लगाना चाहिए.
  • 9 कन्‍याओं के साथ एक बालक को भी लांगुरा के रूप में बैठाना चाहिए.
  • बालक को भैरवा बाबा का स्‍वरूप माना गया है.
  • कन्‍याओं को भरपेट भोजन करवाने के बाद उनको टीका लगाकर दक्षिणा देनी चाहिए.
  • कलाई पर रक्षा बांधकर विदा करना चाहिए.
  • विदा करते वक्‍त उनके पैर छूकर आशीर्वाद जरूर लें.
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