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रायपुर में हादसों को दावत दे रहे हैं जर्जर मकान

रायपुर शहर में बारिश के दौरान जर्जर मकानों में हादसों का खतरा बना रहता है. बावजूद इसके निगम इस बारे में सुस्त नजर आ रहा (Shabby houses are giving feast to accidents in Raipur) है.

Shabby houses are giving feast to accidents in Raipur
रायपुर में हादसों को दावत दे रहे हैं जर्जर मकान
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Published : Jul 6, 2022, 2:04 PM IST

Updated : Jul 6, 2022, 6:44 PM IST

रायपुर : बरसात का मौसम आते ही जर्जर मकानों में हादसों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता (Shabby houses are giving feast to accidents in Raipur) है. शहर में पुराने जर्जर मकानों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. नगर निगम इन जर्जर मकानों के मालिकों को नोटिस जरूर जारी कर रहा है. लेकिन जर्जर मकान को ढहाने की कार्रवाई में सुस्त दिख रहा है. जो कि हादसे का सबब बन सकती है. यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. रायपुर शहर में 100 से अधिक जर्जर भवन की पहचान की जा चुकी है. लेकिन नगर निगम की सुस्त प्रणाली हादसों को न्यौता दे रही (Raipur Municipal Corporation sluggish about dilapidated houses) है.

रायपुर में हादसों को दावत दे रहे हैं जर्जर मकान
ईटीवी भारत ने लिया जायजा : ईटीवी भारत ने शहर के अलग-अलग जर्जर मकानों का जायजा लिया. हमने पाया कि ज्यादातर जर्जर मकान शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में मौजूद है. ऐसे मकानों को नहीं तोड़ा गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.हमने पाया कई जर्जर मकानों की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि छत में लगे सरिया दिख रहे हैं. घरों के छज्जा ना ढह जाए इसलिए कहीं लकड़ी का सहारा दिया गया है तो कहीं पत्थरों से सहारा देकर मकान को बचाया गया (Shabby houses can become deadly in Raipur) है.नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल : रायपुर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं उन्होंने कहा " नगर निगम प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है. निगम सीमा के क्षेत्र के अंदर रहने वाले रहवासियों के जानमाल का नुकसान ना हो. लगातार यह बात बताने के बावजूद इस विषय पर निगम प्रशासन की गंभीरता होनी चाहिए. इससे पहले कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए उससे पहले जर्जर भवानों पर कार्रवाई करनी चाहिए. अगर किसी घर के टूटने फूटने से घरवालों का नुकसान नही होता. उसके आस पास के लोग भी प्रभावित होते है. घर मालिक को तो पता होता है कि उनका मकान जर्जर है वह अपनी सेफ्टी बरतकर चलता होगा .लेकिन जो आस पास रहने वाले लोग है, वह सभी प्रभावित होते हैं. महापौर के अलावा निगम निगम आयुक्त की जिम्मेदारी बनती है कि इन सभी विषय पर संज्ञान लें. कल के दिन कोई हादसा होगा तो सारी जिम्मेदारी निगम प्रशासन की होगी. ऐसे विषय में गंभीरता की आवश्यकता है. मैं नगर निगम के महापौर और नगर निगम कमिश्नर से आग्रह करूंगी इस पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दे."क्या है निगम आयुक्त का बयान : नगर निगम अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी का कहना है " शहर में ज्यादातर पुराने और जर्जर मकानों के प्रकरण न्यायालय में लंबित है. जिसके चलते उन पर कार्यवाही नहीं हो पाती. पारिवारिक प्रॉपर्टी विवाद के चलते पुराने मकानों में सिविल कोर्ट का स्टे होता है. इसलिए नगर निगम प्रशासन ऐसे जर्जर मकानों को तोड़ने में कानूनी रूप से सक्षम नहीं होता. जोन कार्यालय के माध्यम से जर्जर भवनों को नोटिस जारी किया गया है .जर्जर मकानों पर कार्रवाई की सतत प्रकिया होती है और समय- समय पर उन मकानों को तोड़ा जा रहा (Cases of many houses in Raipur hang in court)है.''जर्जर मकानों को तोड़ा जाएगा : ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर महापौर एजाज ढेबर से बातचीत कि ''उन्होंने बताया कि शहर में लगातार जर्जर मकानों पर कार्रवाई की जा रही है. हाल ही में शहर के अलग-अलग जोन में जर्जर भवनों को तोड़ा गया है.पिछले साल जर्जर भवनों की संख्या 150 से अधिक थी, वहीं अब शहर में 100 के करीब जर्जर भवन बचे हैं.उसे तोड़ने का काम किया जाएगा. महापौर ने भी इस बात को दोहराया कि ''कई जगहों पर नगर निगम कार्रवाई नहीं कर पाता क्योंकि वह मामले कोर्ट में लंबित होते हैं. हालांकि जहां कोई समस्या नहीं है. वहां नगर निगम की टीम जाकर मकान ढहाने ने की कार्यवाई करती है.''रायपुर शहर में 4 जुलाई 2022 तक की स्थिति में जर्जर भवनों की संख्याजोन क्रमांक 1 - 9 जोन क्रमांक 2 - 7 जोन क्रमांक 3 - 5 जोन क्रमांक 4 - 29 जोन क्रमांक 5 - 13


जोन क्रमांक 6 - 9

जोन क्रमांक 7 - 12

जोन क्रमांक 8 - 27

जोन क्रमांक 9 - 1

जोन क्रमांक 10 - निरंक


रायपुर शहर में जोन 10 को मिलाकर जर्जर भवनों की कुल संख्या 112 है, जोन क्रमांक नौ में सबसे कम एक जर्जर मकान है, वहीं जोन क्रमांक चार में सबसे ज्यादा 29 जर्जर भवनों को नोटिस दिया गया है




रायपुर : बरसात का मौसम आते ही जर्जर मकानों में हादसों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता (Shabby houses are giving feast to accidents in Raipur) है. शहर में पुराने जर्जर मकानों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. नगर निगम इन जर्जर मकानों के मालिकों को नोटिस जरूर जारी कर रहा है. लेकिन जर्जर मकान को ढहाने की कार्रवाई में सुस्त दिख रहा है. जो कि हादसे का सबब बन सकती है. यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. रायपुर शहर में 100 से अधिक जर्जर भवन की पहचान की जा चुकी है. लेकिन नगर निगम की सुस्त प्रणाली हादसों को न्यौता दे रही (Raipur Municipal Corporation sluggish about dilapidated houses) है.

रायपुर में हादसों को दावत दे रहे हैं जर्जर मकान
ईटीवी भारत ने लिया जायजा : ईटीवी भारत ने शहर के अलग-अलग जर्जर मकानों का जायजा लिया. हमने पाया कि ज्यादातर जर्जर मकान शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में मौजूद है. ऐसे मकानों को नहीं तोड़ा गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.हमने पाया कई जर्जर मकानों की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि छत में लगे सरिया दिख रहे हैं. घरों के छज्जा ना ढह जाए इसलिए कहीं लकड़ी का सहारा दिया गया है तो कहीं पत्थरों से सहारा देकर मकान को बचाया गया (Shabby houses can become deadly in Raipur) है.नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल : रायपुर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं उन्होंने कहा " नगर निगम प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है. निगम सीमा के क्षेत्र के अंदर रहने वाले रहवासियों के जानमाल का नुकसान ना हो. लगातार यह बात बताने के बावजूद इस विषय पर निगम प्रशासन की गंभीरता होनी चाहिए. इससे पहले कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए उससे पहले जर्जर भवानों पर कार्रवाई करनी चाहिए. अगर किसी घर के टूटने फूटने से घरवालों का नुकसान नही होता. उसके आस पास के लोग भी प्रभावित होते है. घर मालिक को तो पता होता है कि उनका मकान जर्जर है वह अपनी सेफ्टी बरतकर चलता होगा .लेकिन जो आस पास रहने वाले लोग है, वह सभी प्रभावित होते हैं. महापौर के अलावा निगम निगम आयुक्त की जिम्मेदारी बनती है कि इन सभी विषय पर संज्ञान लें. कल के दिन कोई हादसा होगा तो सारी जिम्मेदारी निगम प्रशासन की होगी. ऐसे विषय में गंभीरता की आवश्यकता है. मैं नगर निगम के महापौर और नगर निगम कमिश्नर से आग्रह करूंगी इस पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दे."क्या है निगम आयुक्त का बयान : नगर निगम अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी का कहना है " शहर में ज्यादातर पुराने और जर्जर मकानों के प्रकरण न्यायालय में लंबित है. जिसके चलते उन पर कार्यवाही नहीं हो पाती. पारिवारिक प्रॉपर्टी विवाद के चलते पुराने मकानों में सिविल कोर्ट का स्टे होता है. इसलिए नगर निगम प्रशासन ऐसे जर्जर मकानों को तोड़ने में कानूनी रूप से सक्षम नहीं होता. जोन कार्यालय के माध्यम से जर्जर भवनों को नोटिस जारी किया गया है .जर्जर मकानों पर कार्रवाई की सतत प्रकिया होती है और समय- समय पर उन मकानों को तोड़ा जा रहा (Cases of many houses in Raipur hang in court)है.''जर्जर मकानों को तोड़ा जाएगा : ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर महापौर एजाज ढेबर से बातचीत कि ''उन्होंने बताया कि शहर में लगातार जर्जर मकानों पर कार्रवाई की जा रही है. हाल ही में शहर के अलग-अलग जोन में जर्जर भवनों को तोड़ा गया है.पिछले साल जर्जर भवनों की संख्या 150 से अधिक थी, वहीं अब शहर में 100 के करीब जर्जर भवन बचे हैं.उसे तोड़ने का काम किया जाएगा. महापौर ने भी इस बात को दोहराया कि ''कई जगहों पर नगर निगम कार्रवाई नहीं कर पाता क्योंकि वह मामले कोर्ट में लंबित होते हैं. हालांकि जहां कोई समस्या नहीं है. वहां नगर निगम की टीम जाकर मकान ढहाने ने की कार्यवाई करती है.''रायपुर शहर में 4 जुलाई 2022 तक की स्थिति में जर्जर भवनों की संख्याजोन क्रमांक 1 - 9 जोन क्रमांक 2 - 7 जोन क्रमांक 3 - 5 जोन क्रमांक 4 - 29 जोन क्रमांक 5 - 13


जोन क्रमांक 6 - 9

जोन क्रमांक 7 - 12

जोन क्रमांक 8 - 27

जोन क्रमांक 9 - 1

जोन क्रमांक 10 - निरंक


रायपुर शहर में जोन 10 को मिलाकर जर्जर भवनों की कुल संख्या 112 है, जोन क्रमांक नौ में सबसे कम एक जर्जर मकान है, वहीं जोन क्रमांक चार में सबसे ज्यादा 29 जर्जर भवनों को नोटिस दिया गया है




Last Updated : Jul 6, 2022, 6:44 PM IST

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