रायपुरः खारून नदी को राजधानी की जीवनदायनी माना जाता है. खारून नदी राजधानी में पेयजल का सबसे बड़ा स्त्रोत है और इस स्त्रोत को बनाए रखने के लिए गंगरेल डेम से पानी सप्लाई किया जाता है. शहर के ज्यादातर इलाकों में खारून नदी का पानी ही फिल्टर होकर घरों में पहुंचाया जाता है, लेकिन नगर निगम प्रशासन शहरवासियों के जीवन से खिलावाड़ कर रहे हैं. शहर के सीवरेज द्वारा निकलने वाला गंदा पानी लगातार खारून नदी में मिल रहा है, जिसे नगर निगम फिल्टर कर शहर के हर घरों में सप्लाई कर रहा है.
ETV भारत ने जब इस बात की पड़ताल की तो आंखे खुली की खुली रह गई. हमने पाया शहर से निकलने वाला गंदा पानी नालों के माध्यम से सीधे खारुन नदी में मिल रहा है और इसी पानी को इंटक वेल के माध्यम से फिल्टर प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है. क्या अंदाजा लगा सकते है कि शहर के फिल्टर प्लांट्स की गुणवत्ता इतनी अच्छा है जो सीवरेज के पानी को पीने के लायक बना सकता है.
शहरवासी गंदा पानी पीने को मजबूर
भाजपा पार्षद मृत्युंजय दुबे ने कहा कि शहर की जनता कांग्रेस के शासन काल मे गंदा पाने पीने के लिए मजबूर हो रही है. शहर में हर साल पीलिया डायरिया जैसी कई बीमारियों के मामले सामने आते हैं. इनसे हर साल कई लोगों की मौत भी हो जाती है. खारुन नदी में गंदे नालों का पानी छोड़ा जा रहा है, जो इंटकवेल के माध्यम से फिल्टर प्लांट जा रहा है और लोगों के घर तक पहुंच रहा है. इस तरह की ज्यादातर बीमारी गंदा पानी पीने की वजह से होती है बावजूद इसके सीवरेज के पानी को फिल्टर कर घरों में सप्लाई किया जा रहा है.
आयुक्त ने दी सफाई
वहीं मामले पर नगर निगम आयुक्त सौरभ कुमार का कहना है कि वर्तमान में 8 स्थानों पर शहर के नाले मिलते है, निगम द्वारा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है, जो अक्टूबर में पूरा होगा, वर्तामान में जिन क्षेत्रो में शिकायत मिली है वहां निगम का अमला ध्यान दे रहा है और पानी के टंकियों की सफाई भी करवाई जा रही है.
खारुन नदी में गंदे नालों के मिलने से जीवदायिनी खारून जानलेवा बन रही है.