रायपुर: मकर संक्रांति में तिल और गुड़ का दान किया जाता है. इस लिहाज से मकर संक्रांति के दौरान तिल और गुड़ की मांग भी बढ़ गई है. लेकिन व्यापारियों की मानें, तो लोग तिल के दाम में वृद्धि होने के कारण अपने घरों में तिल के लड्डू ना बनाकर बाजार से तिल का लड्डू खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
तिल के दाम में लगभग 70 रुपए की बढ़ोतरी: मकर संक्रांति में तिल और गुड़ के दाम को लेकर किराना व्यापारी सतीश जैन ने बताया कि "बीते साल की तुलना में इस बार अच्छी क्वालिटी की सफेद तिल की कीमत प्रति किलोग्राम लगभग 70 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. वहीं बात अगर गुड़ की करें, तो गुड में सामान्य रूप से प्रति किलोग्राम 5 से 10 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही काली तिल की बात की जाए, तो काली तिल में प्रति किलोग्राम 25 से 30 रुपए का इजाफा हुआ है. अच्छी क्वालिटी का तिल ऊंझा से आता है. स्थानीय स्तर पर तिल्ली की आवक फिलहाल नहीं हो रही है."
काली तिल के मुकाबले सफेद तिल के दाम में इजाफा: दुकानदार मुकेश अग्रवाल बताते हैं कि "काली तिल के मुकाबले सफेद तिल के दाम में इजाफा देखने को मिला है. जिसके कारण सफेद तिल से बने लड्डू, पापड़ी जैसी चीजों के दाम पहले की तुलना में बढ़ गए हैं. काली तिल से बनी लड्डू और पापड़ी के दाम में प्रति किलोग्राम लगभग 20 रुपये का अंतर है. मकर संक्रांति होने के कारण लोग तिल से बनी लड्डू और पापड़ी को खाने के साथ ही इसका दान भी करते हैं. मकर संक्रांति में तिल से बनी सामग्री का अपना अलग महत्व है."
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ठंड में तिल और गुड़ का सेवन जरूरी: महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि "मकर संक्रांति के समय पूरे देश में सर्दी और कड़ाके की ठंड पड़ती है. आयुर्वेद के नजरिए से इस समय शरीर की रक्त वाहिकाएं थोड़ी सिकुड़ जाती है. ऐसे समय में रक्त वाहिकाओं को सिकुड़ने से बचाने के लिए तिल और गुड़ के सेवन को जरूरी बताया गया है.
तेज और ऊर्जा प्रदान करता है तिल: सर्दी और कड़ाके की ठंड से स्वास्थ्य पर कई तरह का असर पड़ता है. ऐसे में शरीर में गर्मी और स्वस्थ रखने के लिए तिल और गुड़ का सेवन करना जरूरी है. प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों ने मौसम को ध्यान में रखते खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण किया है, जो शरीर में तेज और ऊर्जा प्रदान करते हैं."