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साहित्यकार मीर अली मीर ने बताया - छत्तीसगढ़ी बोलने से क्यों हिचकिचाते हैं छत्तीसगढ़िया

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Published : Nov 28, 2019, 7:24 PM IST

Updated : Nov 28, 2019, 8:34 PM IST

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने जैसे विषयों को लेकर एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई.

Seminar organized to implement Chhattisgarhi language in primary education
राजभाषा आयोग ने आयोजित की गोष्ठी

रायपुर: छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर राजधानी के महंत घासीदास संग्रहालय में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की ओर से एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई. प्राथमिक शिक्षा में छत्तीसगढ़ी को लागू करने, सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी बोलने-लिखने जैसे विषयों पर साहित्यकार और जानकारों ने अपने विचार रखे.

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन

कार्यक्रम में साहित्यकार और कवि मीर अली मीर ने बताया कि सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी का उपयोग करने के लिए और छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजभाषा दिवस पर संगोष्ठी आयोजित की गई है.

'छत्तीसगढ़ी बोलने में हिचकिचाते हैं युवा'
उन्होंने बताया कि लोगों का भाषा के प्रति प्रेम तो है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सभी प्रांत के लोग बसे हैं. वहीं यहां के युवा ये सोचते हैं कि अगर छत्तीसगढ़ी में बात करेंगे, तो लोग उन्हें गांव का समझेंगे. जब सभी छत्तीसगढ़ी एक जगह मिलते हैं उस समय छत्तीसगढ़ी का भरपूर उपयोग किया जाता है. जहां छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने वालों की संख्या कम है, वहां छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ी बोलने में हिचकिचाते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर राजधानी के महंत घासीदास संग्रहालय में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की ओर से एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई. प्राथमिक शिक्षा में छत्तीसगढ़ी को लागू करने, सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी बोलने-लिखने जैसे विषयों पर साहित्यकार और जानकारों ने अपने विचार रखे.

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन

कार्यक्रम में साहित्यकार और कवि मीर अली मीर ने बताया कि सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी का उपयोग करने के लिए और छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजभाषा दिवस पर संगोष्ठी आयोजित की गई है.

'छत्तीसगढ़ी बोलने में हिचकिचाते हैं युवा'
उन्होंने बताया कि लोगों का भाषा के प्रति प्रेम तो है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सभी प्रांत के लोग बसे हैं. वहीं यहां के युवा ये सोचते हैं कि अगर छत्तीसगढ़ी में बात करेंगे, तो लोग उन्हें गांव का समझेंगे. जब सभी छत्तीसगढ़ी एक जगह मिलते हैं उस समय छत्तीसगढ़ी का भरपूर उपयोग किया जाता है. जहां छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने वालों की संख्या कम है, वहां छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ी बोलने में हिचकिचाते हैं.

Intro:छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर राजधानी के महंत घासीदास संग्रहालय में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया ।प्राथमिक शिक्षा में छत्तीसगढ़ी भाषा को माध्यम के रूप में लागू करने ।सरकारी काम काज में छत्तीसगढ़ी समस्या और निदान ज जैसे विषयों पर साहित्यकार और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार विमर्श किए।।





Body:कार्यक्रम की शुरुआत राजकीय गीत अरपा पैरी के धार से की गई।।

कार्यक्रम में शामिल हो साहित्यिक कवि मीर अली मीर ने बताया सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी का उपयोग हो रहा है या नहीं इसी विषय को लेकर चर्चा की जा रही है।। वहीं छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में लाने के लिए प्रयास भी चल रहा है इसलिए 28 नवंबर राजभाषा दिवस के अवसर पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया।।





Conclusion:भैरव ने बताया कि लोगों का भाषा के प्रति तो प्रेम है लेकिन छत्तीसगढ़ में सभी प्रांत के लोग आकर यहां रहते हैं। वहीं यहां के युवा यह सोचते हैं कि अगर आप छत्तीसगढ़ी में बात करेंगे तो हमें लोग गांव का तो नहीं समझेंगे। जब सभी छत्तीसगढ़ी एक जगह मिलते हैं उस समय छत्तीसगढ़ी भाषा का भरपूर उपयोग किया जाता है।। जहां छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने वालों की संख्या कम है वहां छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ी भाषा बोले में इसी चाहते हैं।


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मीर अली मीर

साहित्यकार, कवि
Last Updated : Nov 28, 2019, 8:34 PM IST
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